राजेश शर्मा चले गए. दिवाली की रात. हार्ट अटैक के कारण. उमर बस 44-45 के आसपास रही होगी. वे इंडिया न्यूज यूपी यूके रीजनल चैनल के सीईओ थे. राजेश भाई से मेरी जान पहचान करीब आठ साल पुरानी है. वो अक्सर फोन पर बातचीत में कहा करते- ”यशवंत भाई, तुम जो काम कर रहे हो न, ये तुम्हारे अलावा कोई दूसरा नहीं कर सकता. मैंने मीडिया इंडस्ट्री को बहुत करीब से देखा है. यहां सब मुखौटे लगाए लोग हैं. भड़ास के जरिए तुमने आजकल की पत्रकारिता को आइना दिखाया है.”
राजेश प्रैक्टिकल आदमी थे. वह मीडिया और बाजार के रिश्तों को अच्छे से समझते थे. वह कहते भी थे- ”यार, हम लोगों को टारगेट पूरा करना होता है, रिजल्ट देना होता है. तब जाकर सेलरी मिलती है.”
मेरी पिछली बातचीत राजेश शर्मा से तब हुई जब इंडिया न्यूज के मालिक कार्तिक शर्मा ने भड़ास पर मुकदमा किया था. बहुत सारी बातें हुई थी फोन पर. राजेश ने कहा था कि यार यशवंत, बहुत दिन हुआ, बैठते हैं अपन एक दिन.
काफी पहले की बात है. राजेश तब इंडिया न्यूज में नहीं थे. नौकरी तलाश रहे थे. उनके रिक्वेस्ट पर एक बार मैं तबके अपने मित्र रहे समाचार प्लस वाले उमेश शर्मा के पास ले गया. वहां से मिलकर हम दोनों बाहर निकले. राजेश के कार में ज्यों ही बैठा, त्यों कुछ लोगों ने मेरा नाम पूछा और मुझे बाहर निकाल कर टांग लिया. वे लोग खुद को पुलिस वाले बता रहे थे. राजेश बेहद डर गए, इस अप्रत्याशित घटनाक्रम से. बाद में उन्होंने बताया था- ”यशवंत, मैं यार इतना डर गया था कि गाड़ी फुल स्पीड में भगाते हुए सीधे अपने घर जाकर ही रुका.” यह राजेश की साफगोई थी, उनकी सहजता थी जो इस बात को भी सीधे-सीधे कह दिया.
बता दें कि नोएडा पुलिस की एसटीएफ द्वारा की गई उस गिरफ्तारी के बाद मुझे दो दिन नोएडा के कई थानों के हवालातों में रखा गया. फिर डासना जेल भेज दिया गया जहां 68 दिन रहने के बाद छूटा. इस जेल जीवन पर ‘जानेमन जेल’ नामक किताब लिखी. यह गिरफ्तारी इंडिया टीवी, दैनिक जागरण समेत कई चैनलों-अखबारों के मालिकों-मैनेजरों-संपादकों की एक बड़ी साजिश के तहत हुई थी. तात्कालिक कारण बना विनोद कापड़ी और उनकी पत्नी साक्षी जोशी से मेरा पुराना झगड़ा. इन दोनों के कंधें पर बंदूक रहकर ढेर सारे मीडिया हाउसेज ने पूरी योजना बनाई कि अबकी यशवंत और भड़ास को नेस्तनाबूत कर देना है. इस साजिश में मीडिया मालिकों ने यूपी की तत्कालीन नई-नई आई अखिलेश सरकार के बड़े अफसरों और मुलायम घराने के कुछ बड़े नेताओं को भी शामिल कर लिया था, गलत तथ्य और गलत जानकारियां देकर.
खैर, बात हम लोग कर रहे थे राजेश शर्मा की.
भड़ास पर जब जब आर्थिक मदद के लिए अपील की गई, राजेश भाई ने हर बार चुपचाप पांच हजार या दस हजार रुपये भड़ास के एकाउंट में डालने के बाद फोन पर कहते- ”यशवंत यार इस मदद के बारे में किसी से न जिक्र करना और न कुछ लिखना.”
राजेश प्रबंधन के हिस्से हुआ करते थे, इसलिए जानते थे कि भड़ास से खुलेआम संबंध शो करना करियर के लिए अच्छा नहीं. वो इसका जिक्र फोन पर मजाक में किया करते थे और चुटकी लेते हुए कहते थे- ”भड़ास से दोस्ती और दुश्मनी दोनों करियर के लिए बुरी है…” यह कहते हुए वह ठठा कर हंसते थे…
जिंदादिल राजेश से एक दफे लखनऊ के एक होटल में मुलाकात हो गई, अचानक. राजेश अपने आफिसियल टूर पर लखनऊ गए थे और होटल में रुके हुए थे. मैं एक प्रोग्राम में शिरकत करने होटल में गया हुआ था. हम दोनों होटल के रेस्टोरेंट में अचानक टकरा गए. निगाह मिलते ही राजेश भाई एकदम से खड़े हुए और दोनों हाथ फैलाकर मुस्कराते हुए आगे बढ़े, मैं भी उनकी ओर मुखातिब हुआ. उन्होंने गले लगाया और पीठ थपथपाते हुए कई बार कहा- ”मेरे भाई, मेरे भाई… जमाने बाद मिले हम लोग.” फिर देर तक बात हुई, हंसी-मजाक चला.
मूल खबर : इंडिया न्यूज यूपी-यूके रीजनल चैनल के सीईओ राजेश शर्मा का हार्ट अटैक से निधन
राजेश को लेकर बहुत सारी बातें हैं, यादें हैं. क्या-क्या कहा जाए. एक इतने जीवंत, सहज, सरल, जिंदादिल और भावुक आदमी का इतना जल्द चले जाना किसी को भी हजम नहीं हो रहा. पर मौत एक कड़वी सच्चाई है जिसे मन मसोस कर कुबूल करना पड़ता है, हजम करना पड़ता है. राजेश का शरीर भले ही आग के हवाले होकर राख में तब्दील हो चुका है लेकिन उनकी यादें हम जैसों के दिलों में हमेशा बनी रहेंगी, जीवंत रहेंगी…
राजेश मेरे अच्छे शुभचिंतकों में से थे लेकिन हम दोनों फेसबुक पर फ्रेंड नहीं थे. राजेश रिश्तों की शो-बाजी पसंद नहीं करते थे. और, शायद भड़ास वाला यशवंत होने के कारण मेरे साथ रिलेशन को पब्लिक डोमेन में चर्चा का विषय नहीं बनाना चाहते थे क्योंकि यह उनके करियर की भी मजबूरी थी. राजेश के मन-दिल को मैं समझता था इसलिए उनकी भावनाओं, उनकी मजबूरियों को भी महसूस करता था. सो, हम लोग फेसबुक पर भले फ्रेंड न रहे हों, लेकिन दिल के स्तर पर बेहद करीबी नाता था…
दोस्त, जिस भी दुनिया में गए हो, ऐसे ही हंसते मुस्कराते इठलाते जीना.. तुम्हारे जाने से मीडिया की दुनिया एक शानदार शख्सियत से महरूम हो गई है… खासकर मैंने अपना एक सच्चा शुभचिंतक / साथी खो दिया है जो हमेशा पूछा करता था- ”यशवंत, कोई दिक्कत हो तो बताना…” ये पूछना ही मेरे लिए काफी था क्योंकि आजकल की मायावी दुनिया में कौन किसकी चिंता करता है…
राजेश भाई, आप कहा करते थे, साथ क्या जाएगा, सब यहीं रह जाएगा, इसलिए किसके खातिर बेइमानी करना. आपके भीतर एक उदात्त किस्म का इंसान था जो सब कुछ, हर ओर-छोर महसूस करता था और सबकी सीमाओं-दायरों को समझा करता था. राजेश अपनी व्यस्त लाइफ, आफिसियल टूर आदि को लेकर कई बार चिंतित होते थे. कहते- यार सांस लेने की फुर्सत नहीं मिलती. एक जगह से टूर निपटा कर लौटे तो दूसरा टूर तैयार रहता है.
राजेश भाई, आपने देख लिया न करियर की आपाधापी का नतीजा. इस तनाव और भागदौड़ से निजात पाने के लिए एल्कोहल का सहारा लेते हैं. योगा कसरत के लिए समय निकाल नहीं पाते. नतीजा, शरीर और नसें दिन प्रतिदिन शिथिल होती जातीं. कई किस्म के लेयर्स नसों के भीतर चढ़ते भरते चले जाते हैं… एक दिन नतीजा आता है हार्ट अटैक के रूप में… उम्मीद करते हैं आपके असमय चले जाने से मीडिया के कुछ ऐसे साथी सबक लेंगे जो आपकी ही तरह की व्यस्ततम लाइफस्टाइल जीते हैं. मुझे याद आता है राजेश भाई आपके घर पर घंटों बैठकर बतियाना. तब मैं दिल्ली के बाबा नीम करोली आश्रम गया था और बगल में ही छतरपुर में आपका घर था. मैंने फोन लगाया और आपने फौरन घर पर बुला लिया. वह केयर, प्यार और सम्मान सब याद आ रहा.
लव यू राजेश भाई, सैल्यूट यू राजेश भाई…
लेखक यशवंत भड़ास4मीडिया डॉट कॉम के संस्थापक और संपादक हैं. संपर्क : [email protected]
भड़ास पर राजेश शर्मा को लेकर छपी पिछली खबर ये है…
राजेश शर्मा को इडिया न्यूज़ UP/UK के CEO का प्रभार
इस खबर में राजेश शर्मा की तस्वीर है, दीपक चौरसिया और रवि शर्मा के साथ…
Ritesh dwivedi
October 20, 2017 at 11:31 am
Bhagwan sharma ji ki aatma ko shanti de