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उत्तर प्रदेश

यूपी में महिला आयोग और मंत्री की सांठगांठ से आईपीएस अमिताभ ठाकुर पर एक और बलात्कार का आरोप!

सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने राज्य महिला आयोग को उनके और उनके पति आईपीएस अमिताभ ठाकुर के खिलाफ षडयंत्र करने का आरोप लगाते हुए इसकी गन्दी भूमिका की उच्चस्तरीय जांच कराने हेतु आज राज्यपाल की प्रमुख सचिव जुथिका पाटनकर से मुलाकात की. सुश्री पाटनकर ने इसमें न्यायसंगत कार्यवाही की बात कही. सुश्री ठाकुर के अनुसार एक ही दिन (14 जनवरी) को लगातार क्रम संख्या 1501 और 1502 पर दो शिकायतें राज्य महिला आयोग को मिलीं, एक में गाजियाबाद की एक महिला का आरोप है कि उन्होंने उसे नौकरी के बहाने लखनऊ बुला कर पति से रेप कराया, दूसरे में एटा की लड़की का कहना है कि डॉ ठाकुर एनजीओ के नाम पर लड़की सप्लाई करती हैं और उस औरत को जबरदस्ती अपने पति के पास तेल मालिश और दुराचार के लिए भेजा.

<p>सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने राज्य महिला आयोग को उनके और उनके पति आईपीएस अमिताभ ठाकुर के खिलाफ षडयंत्र करने का आरोप लगाते हुए इसकी गन्दी भूमिका की उच्चस्तरीय जांच कराने हेतु आज राज्यपाल की प्रमुख सचिव जुथिका पाटनकर से मुलाकात की. सुश्री पाटनकर ने इसमें न्यायसंगत कार्यवाही की बात कही. सुश्री ठाकुर के अनुसार एक ही दिन (14 जनवरी) को लगातार क्रम संख्या 1501 और 1502 पर दो शिकायतें राज्य महिला आयोग को मिलीं, एक में गाजियाबाद की एक महिला का आरोप है कि उन्होंने उसे नौकरी के बहाने लखनऊ बुला कर पति से रेप कराया, दूसरे में एटा की लड़की का कहना है कि डॉ ठाकुर एनजीओ के नाम पर लड़की सप्लाई करती हैं और उस औरत को जबरदस्ती अपने पति के पास तेल मालिश और दुराचार के लिए भेजा.</p>

सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने राज्य महिला आयोग को उनके और उनके पति आईपीएस अमिताभ ठाकुर के खिलाफ षडयंत्र करने का आरोप लगाते हुए इसकी गन्दी भूमिका की उच्चस्तरीय जांच कराने हेतु आज राज्यपाल की प्रमुख सचिव जुथिका पाटनकर से मुलाकात की. सुश्री पाटनकर ने इसमें न्यायसंगत कार्यवाही की बात कही. सुश्री ठाकुर के अनुसार एक ही दिन (14 जनवरी) को लगातार क्रम संख्या 1501 और 1502 पर दो शिकायतें राज्य महिला आयोग को मिलीं, एक में गाजियाबाद की एक महिला का आरोप है कि उन्होंने उसे नौकरी के बहाने लखनऊ बुला कर पति से रेप कराया, दूसरे में एटा की लड़की का कहना है कि डॉ ठाकुर एनजीओ के नाम पर लड़की सप्लाई करती हैं और उस औरत को जबरदस्ती अपने पति के पास तेल मालिश और दुराचार के लिए भेजा.

डॉ ठाकुर के अनुसार पहली शिकायत के मिलने पर ही उन्हें पूरा शक हो गया था कि यह महिला आयोग की मदद से मंत्री गायत्री प्रजापति का षडयंत्र हैं और अब दूसरी शिकायत ने इस बात को पक्का कर दिया है. उन्होंने इसके कई कारण बताये- दोनों शिकायतें केवल महिला आयोग की एक ही सदस्य अशोक पाण्डेय को मिलीं, किसी थाने-पुलिस के पास नहीं- न गाजियाबाद में, न एटा में, न लखनऊ में, दोनों शिकायतों की भाषा और स्टाइल भी लगभग एक है, शिकायतों में सुश्री पाण्डेय ने तत्काल फैक्स भेजने की बात कही जबकि ये शिकायतें 19 जनवरी को एसएसपी को तब मिलीं जब इस मामले में जांच की मांग की गयी और शिकायत के आठ दिन बाद भी दोनों महिलाएं किसी के सामने नहीं आई हैं, आदि.

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सेवा में,
मा० राज्यपाल,
उत्तर प्रदेश,
लखनऊ

विषय- मेरे और मेरे पति आईपीएस अफसर श्री अमिताभ ठाकुर के विरुद्ध उ०प्र० राज्य महिला आयोग के षडयंत्र के सम्बन्ध में

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महोदय,

मुझे सादर अनुरोध करना है कि दिनांक 17/01/2015 को समय 19.09 पर मुझे एक पत्रकार के माध्यम से ज्ञात हुआ कि मेरे पति श्री अमिताभ ठाकुर, आईपीएस पर गाज़ियाबाद की एक महिला ने बलात्कार का आरोप लगाया है. यह पूर्णतया अप्रत्याशित शिकायत थी. मैंने प्रयास कर उसी पत्रकार से इसकी प्रति प्राप्त की. यह शिकायत कथित रूप से XXX की थी जिसे हम दूर-दूर तक नहीं जानते. यह शिकायत राज्य महिला आयोग को थी जो क्रम संख्या 1501 दिनांक 14/01/2015 को प्राप्त हुई थी जिस पर सुश्री अशोक पाण्डेय, सदस्य राज्य महिला आयोग के हस्ताक्षर से एसएसपी को “बलात्कार” शब्द लिख कर तुरंत/बाई फैक्स के आदेश थे.

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शिकायत में अजीबोगरीब बात लिखी थी कि एक गरीब महिला XX को हमसे किसी नेता ने मिलाया था और मैंने उसे नौकरी दिलाने के नाम पर लखनऊ बुलाया जहां वह अपने पति के साथ हमारे गोमतीनगर आवास पर आई, मैंने उस महिला से पति श्री अमिताभ ठाकुर को मिलाया जिन्होंने काफी रात होने पर उसे उन्होंने कमरे में बुलाया और दरवाज़ा बंद कर उसके साथ बेइज्जती की और बलात्कार किया, बाद में हमने उसे धमकी दी कि अगर यह बात कहीं बतायी गयी तो उन्हें जेल भिजवा दिया जाएगा.

यह घटना सिर से पाँव तक बिना सिर-पूँछ के थी और हमने किसी षडयंत्र की आशंका से दिनांक 18/01/2015 रविवार को ही डीजीपी श्री ए के गुप्ता से मिल कर इसकी जांच करा कर षडयंत्र का पर्दाफाश करने को निवेदन किया था. हमने बताया कि हमें विशेषकर श्री गायत्री प्रसाद प्रजापति, मंत्री, उ०प्र० शासन पर शंका है क्योंकि जब से मैंने उनके खिलाफ लोकायुक्त को शिकायत की है, तब से धमकी सहित तमाम दिक्कतें आ रही हैं.

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हमने उसी दिन एसएसपी लखनऊ और थानाध्यक्ष गोमतीनगर को भी इस झूठी और पूर्णतया मनगढ़ंत शिकायत पर हमारी ओर से एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही करने का निवेदन किया था. थानाध्यक्ष गोमतीनगर ने हमारी शिकायत रिसीव करने से मना कर दिया पर एसएसपी के पास हमारी शिकायत उसी तारीख को रिसीव हुई. इसी दिन हमें ज्ञात हुआ कि इस शिकायत की प्रतियां कई पत्रकारों को भेजी गयीं पर चूँकि वे सभी हमें जानते हैं अतः उन्होंने इसे प्रथमद्रष्टया ही खारिज कर दिया और कोई गौर नहीं किया.

अगले दिन दिनांक 19/01/2015 को मैं सुश्री जरीना उस्मानी, अध्यक्ष, राज्य महिला आयोग से मिली और इसे षडयंत्र बताते हुए इसकी निष्पक्ष जांच की मांग की. साथ ही इस पत्र के आयोग की प्रति के पत्रकारों में लीक होने की भी शिकायत की. मैंने उन्हें आयोग को किसी राजनैतिक उद्देश्य से प्रयोग नहीं होने देने का भी निवेदन किया था. उन्होंने निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया पर मैं देख रही थी कि वे बातचीत में बहुत अधिक घबराई हुई हैं. उस कक्ष में एक और महिला लगातार बैठी रहीं जो शायद सुश्री अशोक पाण्डेय थीं.

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अभी यह प्रकरण चल ही रहा था कि कल दिनांक 21/01/2015 को एक अन्य पत्रकार साथी के माध्यम से दूसरी वैसी ही शिकायत की प्रति हमें मिली. यह शिकायत और भी फूहड़ और घटिया थी जिसमे कथित रूप से एटा की 18 साल की गरीब महिला को मेरे द्वारा एनजीओ में नौकरी के नाम पर बुलाने, साहब इंटरव्यू लेंगे कह कर उसे अपने पति के पास भेजने और उससे तेल लगवाने और बेड पर गलत हरकतें करने जैसी उलूल-जुलूल बातें लिखी थीं. यह भी लिखा था कि मैं लड़कियों को नौकरी के नाम पर पैसे ले कर बड़े-बड़े लोगों के पास भेजती हूँ.

इन दो शिकायतों के मिलने के बाद अब मैं पूरी तरह समझ चुकी हूँ कि इस साजिश में राज्य महिला आयोग की पूर्ण संलिप्तता है. इसके निम्न कारण हैं-

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1. दोनों शिकायतें लगातार एक ही दिन, एक ही समय एक के बाद एक मिलती हैं, एक का क्रम संख्या 1501 है और दूसरे का 1502.

2. दोनों महिलाएं केवल महिला आयोग की एक ही सदस्य के पास पहुँचती हैं, किसी थाने-पुलिस के पास नहीं- न गाजियाबाद में, न एटा में, न लखनऊ में.

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3. दोनों शिकायतों की भाषा और स्टाइल भी लगभग एक है. यदि दोनों शिकायतों को अगल-बगल कर के देखें तो साफ़ दिख जाएगा कि इन्हें एक ही जगह पर, एक ही व्यक्ति द्वारा लिखवाया गया है. कई सारे शब्द तक समान हैं

4. दोनों शिकायतों पर लगभग एक ही तरह से सुश्री अशोक पाण्डेय, सदस्य की लिखावट भी है- एक ही स्टाइल में

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5. इन शिकायतों की कॉपी धीरे-धीरे मीडिया में भेजी जाती है और आयोग द्वारा खबर लीक की जाती है. मैं ऐसा इसीलिए कह सकती हूँ कि मीडिया में लीक हुए दोनों शिकायतपत्र पर कहीं भी एसएसपी लखनऊ कार्यालय के कोई निशान नहीं हैं और मात्र महिला आयोग द्वारा लिखी बातें हैं

6. शिकायत के आठ दिन हुए दोनों महिलाओं में से कोई भी सामने नहीं आई हैं. अतः यह भी पूरी सम्भावना है कि इन महिलाओं के नाम पर आयोग के स्तर पर ही झूठी शिकायत बना ली गयी हो

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7. जब मैं गाजियाबाद वाली शिकायत की जानकारी होने पर आयोग की अध्यक्ष से इस बारे में मिलने गयी तो उन्होंने मुझसे करीब बीस मिनट बात की पर वह एक बार भी नहीं बताती हैं कि एक और शिकायत एटा से भी आई है, जबकि यह न्यूनतम रूप से स्वाभाविक था

8. कथित रूप से यह शिकायत दिनांक 14/01/2015 को द्वारा फैक्स एसएसपी लखनऊ को भेजी गयी पर एसएसपी लखनऊ के कैंप कार्यालय से मैंने ज्ञात किया है कि ये दोनों शिकायतें लगातार उनके क्रम संख्या 682 और 683 पर दिनांक 19/01/2015 को समय 11.10 बजे प्राप्त होती हैं.

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9. एसएसपी लखनऊ कैम्प कार्यालय से ज्ञात किये गए अभिलेखों के अनुसार इससे पहले एसएसपी लखनऊ के पास इस मामले में कोई पत्र नहीं मिला है

10. यहाँ यह द्रष्टव्य है कि जब मैं दिनांक 18/01/2015 को सुश्री उस्मानी से तत्काल मिलने का समय मांगती हूँ तो वे अगले दिन 11 बजे मिलने को कहती हैं क्योंकि वे कथित रूप से शहर में नहीं हैं. अगले दिन दिनांक 19/01/2015 को मैं  करीब 10.20 बजे मिलने का पूछती हूँ तो वे कहती हैं कि अभी नहीं 2 बजे मुलाकात हो सकती है. लेकिन इसके आधे घंटे बाद स्वयं उनका ही फोन आता है कि मैं अब किसी भी समय आ सकती हूँ. यह वही समय है जब एसएसपी लखनऊ को फैक्स पहुंचता है.

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11. इन दोनों मामलों में ना तो घटनाओं की कोई तारीख दी गयी है, ना कोई अन्य विवरण.

12. इन दोनों मामलों में आरोप का ढंग और स्टाइल भी एक है

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13. यह भी स्पष्ट है कि एक पत्नी की उपस्थिति में उसके पति द्वारा किसी अन्य महिला के साथ बलात्कार या छेड़छाड़ किया जाना असंभव एवं अप्राकृतिक है

14. यह कहना कि पत्नी ने अपने पति को ऐसा कार्य करने में सहायता की, यह उससे भी अधिक असंभव है

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15. कहीं और शिकायत नहीं दे कर केवल राज्य महिला आयोग में शिकायत दिया जाना, वह भी लगातार एक के बाद एक, भी बहुत अधिक मायने रखता है

16. गाजियाबाद की महिला के घर से वहां के संवाददाताओं द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार वह महिला और उसके पति लखनऊ में हैं पर अब तक की जानकारी के अनुसार उन्होंने किसी के सामने एक बार कोई बात तक नहीं की है और मात्र शिकायत कर शांत बैठ गयी हैं

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17. सबसे अजीब बात यह है कि एक टीवी चैनेल की खबर के अनुसार इस महिला की बेटी तक इस कथित घटना से पूर्णतया अनभिज्ञ है

18. इसी प्रकार एक समाचारपत्र के अनुसार उस महिला के घर वालों को इस घटना की कोई जानकारी नहीं है

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19. यही स्थिति एटा की कथित शिकायतकर्ता की भी है

जब तक केवल पहली शिकायत आई थी, हमें यह शंका थी कि इसमें महिला आयोग का भी हाथ हो सकता है. इसीलिए मैंने सुश्री उस्मानी से आयोग का राजनैतिक दुरुपयोग होने से बचाने का अनुरोध किया था. अब दूसरी शिकायत ने उपरोक्त कारणों से इसे पूरी तरह स्थापित कर दिया है कि ये दोनों झूठी शिकायतें राज्य महिला आयोग के षडयंत्र पर रची गयी हैं.

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महिला अधिकारों की रक्षा के लिए बने इस आयोग का यह कुत्सित कर्म पूर्णतया अक्षम्य है, विशेषकर एक सम्मानित महिला के साथ. अतः आपसे अनुरोध है कि इस प्रकरण की जांच कराते हुए इस कुत्सित षडयंत्र में शामिल राज्य महिला आयोग, उ०प्र० की अध्यक्ष तथा/अथवा सदस्य एवं अन्य अधिकारीगण के विरुद्ध कठोरतम न्यायिक और प्रशासनिक कार्यवाही कराये जाने की कृपा करें.

दिनांक- 22/01/2015
पत्र संख्या-NT/Complaint/56                               
भवदीया,
(डॉ नूतन ठाकुर)
5/426, विराम खंड,
गोमती नगर, लखनऊ
# 94155-34525
[email protected]

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0 Comments

  1. Brahma Nand Pandey

    January 24, 2015 at 2:03 am

    Aaj kal Yah koi nai baat nahi hai. Up govt. mahilao se sambandhit aayogo me bhrast mahilao ko ho jagah de kar apne birodhiyo ko unke sahare charitrik hanan aur kanoni karywaiyo me fasa kar paresan kerne per tuli hai….ScSt commisson me up govt ne ak aishi mahila ko sadsy banaya hai jo apni hi bahan ke pati ke sath galat tarike se rah kar uske do bachacho ki maa hai. yahi nahi ishi mahila ko jile ke bal klyan smiti . pariwar pramersh kendra me bhi rakha gaya…9451158095….nutan ji kanun to surkchha ke liye bante hai lekin jab iska durupyog hota hai to adalte bhi dekhati hai…aap khud ak adhiwakta bhi hai aur samajik karykerta aap inhe court me hi chunauti de to adhik faydemand hoga…saty parazit nahi hota..kewal paresan hota hai…..bhagwan aap ki sahayta kare..

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