लखनऊ : सामाजिक कार्यर्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने आरटीआई कार्यकर्ताओं महेन्द्र अग्रवाल, देवेन्द्र दीक्षित, सलीम बेग, अनुपम पाण्डेय के साथ मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी को आरटीआई नियमावली, 2015 और उसके संलग्नकों के ड्राफ्ट मात्र अंग्रेजी भाषा में होने के सम्बन्ध में अपनी प्राथमिक आपत्ति प्रस्तुत की है.
उन्होंने कहा है कि उत्तर प्रदेश राज्य भाषा अधिनियम, 1951 के अधीन निर्गत अधिसूचना दिनांक 30 अक्टूबर, 1952 में सभी शासकीय कार्यों में देवनागरी लिपि में लिखित हिन्दी भाषा का प्रयोग अनिवार्य किया गया है और पूर्व मुख्य सचिव राज कुमार भार्गव द्वारा निर्गत शासनादेश दिनांक 26 मार्च 1990 में समस्त सरकारी कामकाज में अंग्रेजी भाषा का प्रयोग पूर्णतया बंद करने के आदेश दिए गए थे.
उन्होंने कहा है कि मात्र अंग्रेजी में नियमावली का आलेख प्रस्तुत कर सुझाव माँगना प्रदेश की भाषा नीति के उल्लंघन के साथ ही प्रदेश के उत्तर प्रदेश में बहुसंख्यक हिंदी भाषी आरटीआई कार्यकताओं एवं जन सामान्य के साथ खिलवाड़ है. अतः हिंदी में नियमावली का आलेख प्रस्तुत करने के साथ सुझाव के लिए एक माह का समय देने और उस संबंध में समाचारपत्रों में पर्याप्त प्रचार-प्रसार कराने का अनुरोध किया गया है.