आग के पीछे कहीं कमीशनबाजी का खेल तो नहीं!
राष्ट्रीय सहारा, पटना के आफिस में आग को लेकर एक अन्य चर्चा भी है. न्यूज प्रिंट और इंक आदि की सहारा में थोक खरीद दिल्ली आफिस के जरिए की जाती है. यहां से इकट्ठी खरीद के बाद इसे पटना से लेकर देहरादून, लखनऊ आदि एडिशन्स के लिए रवाना करा दिया जाता है. इस खरीद फरोख्त में जो कमीशनबाजी का खेल होता है उसमें शीर्ष पर बैठे दर्जन भर लोग लाखों-करोड़ों में खेलते हैं. संभव है हजार रुपये किसी को देकर आग लगवा दिया गया हो और अब जबकि करोड़ों का माल नष्ट हो गया तो इसे फिर से खरीदना पड़ेगा.
इस खरीद पर जो दस प्रतिशत कमीशन का खेल होगा उससे उपर के अफसरों को फायदा होगा और मुश्किल कड़की के इन दिनों में उनके पास ठीकठाक रकम की व्यवस्था हो जाएगी. हालांकि ये दोनों किस्म की बातें सिर्फ कानाफूसी और चर्चाओं के लेवल तक है. हो सकता है कि वाकई किसी तकनीकी कारण से चिंगारी कहीं फूटी हो जिसने बाद में आग का रूप धर लिया हो लेकिन जब आग लग ही गई है तो धुआं तो इसका देर तक व दूर तक निकलेगा फैलेगा. सूत्रों का कहना है कि सहारा मीडिया के एडमिनिस्ट्रेटिव हेड सीबी सिंह अगलगी के बाद पटना गए और कर्मचारियों को इस मुश्किल घड़ी में संयम बनाए रखने को कहा.
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Comments on “सेलरी संकट से परेशान सहारा मीडिया के कर्मियों ने प्रिंटिंग मशीन से लेकर न्यूज प्रिंट गोदाम तक में लगा दी आग!”
aadhaa sach…aadhaa jhooth…