-शेष नारायण सिंह-
धार्मिक कठमुल्लापन चाहे जहां हो, चाहे जिस धर्म का अनुयायी हो, उसका विरोध किया जाना चाहिए। फ्रांस में एक मुस्लिम आतंकी ने किसी का गला काट दिया। मैं उसकी निंदा करता हूं। मलयेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री टाइप जो लोग कह रहे हैं कि उस दुष्टात्मा ने सही काम किया, मैं उनकी निंदा करता हूं।
अगर इस दृष्टिकोण के कारण लोग मुझे सेक्युलर मानने से इनकार करते हैं तो मुझे सेक्युलर नहीं रहना है। धर्मनिरपेक्षता की ठेकेदार जमातों से निवेदन है कि मेरा नाम धर्मनिरपेक्ष लोगों की लिस्ट से काट दें।
ऐसे सेकुलरिज्म से अपन भी इस्तीफा देते हैं
-यशवन्त सिंह-
गला रेतने की सीख देने वाले धर्म और इसके गुरुओं ने हालिया करतूतों से खुद को पूरी दुनिया में अलग थलग कर लिया है। हो सकता है इस्लाम के पतन की शुरुआत हो चुकी हो। वैश्विक स्तर पर गोलबंदी शुरू हो चुकी है। शायद ही कोई ऐसा गैर मुस्लिम शेष बचेगा जो ऐसे हिंसक गतिविधियों के चलते इस मज़हब से नफरत न करने लगा हो। कायदे से तो अब मुस्लिमों को खुद ही ऐसे नफरती धर्म से इस्तीफा देकर एक प्रगतिशील आधुनिक आचार विचार वाले धर्म की नींव डालनी चाहिए। ऐसा न कर पाए तो इनकी आने वाली नस्लों को बहुत कुछ झेलना पड़ सकता है। वो कहते हैं न, लम्हों ने खता की, सदियों ने सजा पाई!
हम लोग जब विहिप-बजरंग दल के कट्टरपन के खिलाफ लिखते हैं तो उतना ही बेखौफ होकर मुल्लों-कठमुल्लों की संगठित हिंसक जाहिलियत के खिलाफ भी लिखना चाहिए। आज Samarendra, Atul , Sheetal P Singh जी और ताबिश की चार एफबी पोस्ट्स का एक संकलन पेश कर रहा हूँ। नीचे लिंक है।
इसे मेरा भी मत माना जाए।
दुर्भाग्य ये है कि सोशल मीडिया पर अब भी 99 परसेंट मुस्लिम साथी फ्रांस हमला हिंसा का येन केन प्रकारेण बचाव कर रहे हैं। मैँ ऐसे सभी जाहिलों को खारिज करता हूँ। ये बन्द दिमाग के लोग धर्म के अलावा कुछ सोच ही नहीं पाते हैं। जो धार्मिक पहचान से इतर अन्य किसी शख्सियत / जीवन शैली की कल्पना न कर पाते हों, उनसे आप नबी की शान में गुस्ताखी पर गला रेतने के कुकृत्य का येन केन प्रकारेण बचाव ही सुनेंगे।
ऐसे सेकुलरिज्म से अपन भी इस्तीफा देते हैं।
फ्रांस दरअसल एक टेस्ट केस है। इस पर चुप रहे तो ये जाहिल धर्मांध पूरी दुनिया को मक़तल में तब्दील कर देंगे।