दैनिक जागरण अखबार ने अस्पताल की जगह श्मशान घाट की तैयारी परोस दी। वो भी तब जब योगी सरकार तीसरी वेब में जीरो कैजुअलिटी के लिए युद्धस्तर पर तैयारी का दावा कर रही है।
आख़िर दैनिक जागरण वाले अस्पताल की बजाय श्मशान की अच्छी तैयारी करने में क्यों जुटे हैं? क्या उन्हें लोगों के मरने का इंतज़ार है? क्या वे मानते हैं कि तीसरी लहर आएगी तो लोग भारी मात्रा में मरेंगे? क्या इलाज करके ज़िंदा रखने से ज़्यादा ज़रूरी है मृत्यु के बाद के इंतज़ाम?
दैनिक जागरण के देवरिया ज़िले के अख़बार में छपी ये न्यूज़ देखिए। जो भी इसे पढ़ रहा, डर जा रहा है। खबर में कंटेंट के नाम पर कुछ नहीं है। लकड़ियाँ पर्याप्त हैं जलाने के लिए, यही बस न्यूज़ है।
इस समय लकड़ियाँ तो रहेंगी ही क्योंकि महामारी से मौत अब नहीं हो रही है। ऐसी डराने वाली नकारात्मक खबर छाप कर दैनिक जागरण अपने पाठकों को क्या शिक्षा देना चाह रहा है?
खबर में लोगो लगा है – ‘तीसरी लहर की कितनी तैयारी – अस्पताल का हाल’। लेकिन रिपोर्टर अस्पताल की बजाय मरघट का हाल बताने लगा है। इस खबर को लिखने और छापने वाले दोनों ही पक्ष धन्य हैं!
दैनिक जागरण देवरिया ने तीसरी लहर की तैयारी में अस्पतालों का हाल छापने की जगह श्मसान घाट पर लकड़ी का पर्याप्त इंतजाम छाप दिया तो खबर जिसने भी पढ़ी जागरण की खूब खिल्ली उड़ाई। गोरखपुर के शुभम प्रताप सिंह ने जागरण की इस कटिंग को पीएमओ, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई बड़े लोगों को ट्वीट के माध्यम से भेजकर ध्यान आकृष्ट कराया है।