इन दिनों देवभूमि हिमाचल प्रदेश की जनता एक बेटी से हुए गैंगरेप के बाद उसकी नृशंस हत्या के मामले को लेकर सड़कों पर है। दसवीं की इस छात्रा गुडिय़ा के साथ कातिलों ने जो किया, वह दिल्ली में हुए निर्भयाकांड से भी कहीं ज्यादा अमानवीय और दहलाने वाला अपराध था। इस मामले में हिमाचल की पुलिस की कार्यप्रणाली शक के घेरे में है और प्रदेश की वीरभद्र सरकार के प्रति भी जनता में भारी रोष है। राजनीतिक दल इस मुद्दे पर खुलकर राजनीति कर रहे हैं। सरकार ने मामले की जांच पुलिस से छीन कर सीबीआई को सौंप दी है। हाई कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए सीबीआई को तुरंत जांच करने के साथ कुछ सख्त दिशानिर्देश दिए हैं। इस बीच पुलिस द्वारा पकड़े गए छह आरोपियों में से एक की पुलिस कस्टिडी में उसके ही साथी आरोपी ने हत्या कर दी है।
जनता का आरोप है कि इस मामले में शामिल रईसजादों को बचाया जा रहा है। इसके चलते जनता में रोष है। आरोपी की हत्या के बाद गुस्साई जनता एक थाने को जला दिया है और पुलिस की गाडिय़ों को आग के हवाले करने के साथ ही पुलिस कर्मियों पर पत्थरबाजी करके अस्पताल पहुंचा दिया। सरकासर ने कई पुलिस अधिकारी व थाने का पुरा स्टाफ बदल दिया है। कुल मिलाकर मामला इतना संगीन है कि हर रोज प्रदेश के अखबार इस प्रकरण की खबरों से भरे पड़े हैं, मगर बेशर्म राष्ट्रीय चैनल हैं कि उन्हें यह खबर नहीं दिख रही है। या कहें कि इस खबर में इन्हें ब्लैकमेलिंग या किसी सरकार को तंग करने का मसाला नहीं नजर आ रहा। ऐसे समाचार चैनलों पर थू है, जो दिल्ली की बेटियों पर हुए अत्याचार को पूरे देश की बेटियों से हुए अत्याचार से जोड़कर 24 घंटे भोंकने लगते हैं और जब इससे भी कहीं ज्यादा अमानवीय कृत्य किसी छोटे से राज्य की बेटी से होता है, तो ये आंखें मूंद लेते हैं।
अब इस वारदात की बात करें तो हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला के कोटखाई थाना के तहत दसवीं कक्षा में पढऩे वाली एक स्कूली छात्रा को स्कूल से घर लौटते समय चार जुलाई को अगवाह कर लिया गया। इसके दो दिन बाद छह जुलाई को गुडिय़ा का क्षतविक्षत शव जंगल में एक खड्डे में मिला। जब शव का पोस्टमार्टम हुआ तो पता चला कि इस नाबालिग छात्रा के साथ गैंगरेप हुआ है और आरोपियों ने बाद में इसकी बेरहमी से तड़पा-तड़पा कर हत्या कर दी है। इस खबर ने देवभूमि को झकझोर कर रख दिया। शांतिप्रिय हिमाचल प्रदेश का हर बाशिंदा इस घटना के बाद अपनी बेटियों की सुरक्षा को लेकर ङ्क्षचतित और आक्रोशित है। प्रदेश की शांत वादियों में विचरते बहशी भेडिय़ों की यह हरकत दिल्ली में हुए निर्भया कांड से भी कहीं अधिक झकझोरने वाली है। एक बच्ची जो पढ़ाई करके कुछ बनने की चाह लिए घर से रोजाना दस किलोमीटर का पैदल सफर करके स्कूल तक आती-जाती थी। रास्ते में घने जंगल में मौजूद जंगली जानवरों के खतरों की परवाह किए बिना यह बेटी रोजाना पैदल या फिर किसी से लिफ्ट लेकर स्कूल आती-जाती थी। उसे क्या पता था कि उसकी इस कठिन राह में जंगली जानवरों से कहीं खतरनाक इंसान के वेष में घुम रहे भेडिय़ों भी खतरा बन सकते हैं।
देवभूमि हिमाचल की शांत वादियों में इंसानी भेडिय़ों के छिपे होने के खतरों से अनजान एक दिन चार जुलाई को जैसे ही उसने अपने साथियों से अलग अकेले घर की ओर बढऩे का फैसला लिया। वह इन भेडिय़ों के चंगुल में फंस गई। फिर जो हुआ उसका मंजर इतना भयानक रहा होगा, इसकी तस्दीक इस दसवीं कक्षा की छात्रा का मृत शरीर और इस पर मौजूदा दरिंदगी के निशान साफ करते नजर आ रहे थे। जिस किसी ने भी हसती खेलती इस गुडिय़ा का क्षतविक्षत शरीर देखा, वह उस पर हुए जुल्म की कल्पना से ही दहल उठा।