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मजीठिया वेज बोर्ड संघर्ष : सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख से जागरण के वकील कपिल सिब्बल कुछ न बोल पाए

नई दिल्‍ली । सुप्रीम कोर्ट नंबर आठ। केस नंबर 411 ऑफ 2014 एवं अन्‍य। पहले लगा कि इस बार भी दैनिक जागरण की ओर से वरिष्‍ठ वकील पीपी राव पैरवी के लिए आएंगे। लेकिन हैरानी हुई कि इस बार पीपी राव की जगह कपिल सिब्‍बल 411 की पैरवी के लिए प्रबंधन की ओर से हाजिर हुए। लेकिन अफसोस इस बार भी अदालत का रुख पहले ही जैसा था।

नई दिल्‍ली । सुप्रीम कोर्ट नंबर आठ। केस नंबर 411 ऑफ 2014 एवं अन्‍य। पहले लगा कि इस बार भी दैनिक जागरण की ओर से वरिष्‍ठ वकील पीपी राव पैरवी के लिए आएंगे। लेकिन हैरानी हुई कि इस बार पीपी राव की जगह कपिल सिब्‍बल 411 की पैरवी के लिए प्रबंधन की ओर से हाजिर हुए। लेकिन अफसोस इस बार भी अदालत का रुख पहले ही जैसा था।

अदालत में समय पर जवाब न दे पाने पर कपिल सिब्‍बल बोल रहे थे और समय की मांग कर रहे थे. इसी बीच न्‍यायमूर्ति रंजन गोगोई ने उन्‍हें साफ कर दिया कि इस बार वे प्रबंधन को समय दे रहे हैं और आप सब मिलकर एक तारीख तय कर लीजिए, और उस दिन मामले की सुनवाई होगी। इसके बाद सुनवाई की तारीख में कोई बदलाव नहीं होगा और अगर उस दिन भी प्रबंधन की ओर से जवाब दाखिल नहीं किया गया या कोई ना नुकुर किया गया तो उन पर भारी कॉस्‍ट आयद की जाएगी।

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इसके बाद दोनों तरफ के वकीलों में बातचीत शुरू हुई। कई तारीख पर बातचीत हुई लेकिन अंत में 28 अप्रैल की तारीख तय हो गई। आज की सुनवाई की सबसे खास बात यह रही कि सभी मालिक अपनी ओर से भरी भरकम वकीलों को ले आए। जागरण की तरह ही सभी को लग रहा है कि उन्‍हें यह केस उनका फैक्‍ट नहीं बल्कि ”फेस और फीस” जिता देगा।

एक बानगी देखिए। दैनिक जागरण के वकील श्री कपिल सिब्‍ब्‍ल। पता नहीं पीपी राव को प्रबंधन इस बार क्‍यों नहीं लाया। लगता है राव केस देखते ही प्रबंधन के कारनामों के बारे में समझ गए। अब अगर आज के हालात को देखा जाए तो सिब्‍ब्‍ल पिछली सुनवाई की तरह बस एक तारीख ही ले पाए और वह भी अदालत की चेतावनी के साथ। अब कपिल सिब्‍ब्‍ल के बाद अपने पाप छिपाने के लिए किसको लाएगा प्रबंधन, यह देखना है।

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इसी तरह एचटी की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी थे। इसके अलावा दूसरे मालिकों की ओर से गोपाल आनंद और अनिल दीवान जैसे दिग्‍ग्‍ज वकील खड़े थे। लेकिन ये सारे वकील दिग्‍ग्‍ज जरूर हैं पर प्रबंधन और मालिकों ने जो किया है, वह अदालत से छिप नहीं सकता। कानून के घर में देर है, अंधेर नहीं। आज तक के अदालत के आदेश इसकी पुष्टि हो रही है। बस हमें अपने दीपक को जलाए रखना है, उनका सूरज डूबने वाला है। फिर तो उनके लिए अंधेरा ही अंधेरा है।

फेसबुक पर सक्रिय ‘मजीठिया मंच’ नामक पेज से साभार.

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