दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की राह पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री चलने लगे है. तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव के निर्देशों को लागू करते हुए सचिवालय में मीडिया पर पाबंदी शुरू हो गई है. एक ओर मुख्यमंत्री कार्यालय वाले सी ब्लॉक से सुरक्षाकर्मियों ने पत्रकारों को बाहर निकल जाने का आदेश सुनाकर अपमानित किया है तो वहीं दूसरी ओर पत्रकारों को ललचाने के लिए पत्रकार निधि के लिए दस करोड़ रुपये आवंटित किये गए. सरकार की इस नीति का तेलंगाना के पत्रकारों द्वारा जमकर विरोध किया जा रहा है. सरकार ने मीडिया पर नियंत्रण ना होने के दावे करते हुए ही चुपचाप प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया गया है. इस विषय पर सूचना-जनसम्पर्क विभाग के प्रमुख द्वारा ये कहा जा रहा है कि मीडिया पर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन मीडिया को स्वयं नियंत्रण पद्धति को अपनाना चाहिए।
तेलंगाना आंदोलन में अहम भूमिका निभानेवाली मीडिया वही नवगठित तेलंगाना के पुनर्निर्माण में भी विशेष भूमिका निभा रही मीडिया पर इस तरह की पाबंदी का तेलंगाना के पत्रकारों ने तीव्र विरोध करते हुए आंदोलन करने की चेतावनी दी है और अपना विरोध दर्ज कराते हुए सचिवालय के सामने प्रदर्शन भी किया। उधर इस पाबंदी को लेकर ये बात सामने आई है की कुछ मंत्रियो और अधिकारियो ने मुख्यमंत्री राव से शिकायत करते हुए कहा है की प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधि निरंतर सचिवालय आते रहने से कामकाज बाधित होने के साथ साथ सुरक्षा से जुड़े मामलो में भी परेशानिया आ रही है, जिसे देखते हुए सचिवालय में मीडिया पर रोक लगनी चाहिए। इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री द्वारा भी मंजूरी देने के समाचार है.सरकार के इस निर्णय के बाद पत्रकार सिर्फ मंत्रियो के संवाददाता सम्मलेन के दौरान ही सचिवालय में कदम रख पाएंगे।
मीडिया पर पाबंदी को लेकर मुख्यमंत्री के साथ हुई चर्चा में मंत्रियो ने जो कारण गिनाये है, उनमें कहा गया है कि कुछ अपरिपक्व पत्रकार निरंतर मंत्रियो की पेशियों में बने रहते हैं और कामकाज में बाधा पहुंचाते है. यही नहीं, कुछ तो काल्पनिक खबरें छापते हैं. इसलिए दिल्ली व कुछ अन्य राज्यों की तरह पत्रकारों को सिर्फ पत्रकार सम्मलेन के समय ही बुलाना चाहिए और बाकी समाचार उन्हें ईमेल या जनसम्पर्क विभाग के जरिये ही भेजा जाना चाहिए। साथ में ये भी गिनाया है कि सचिवालय आनेवालों में 20 न्यूज़ चैनल, 15 समाचार पत्र, छोटे समाचार पत्रों के प्रतिनिधियों को मिलाकर तक़रीबन 200 लोग पत्रकार के तौर पर आनेवालों में शामिल हैं. इनमे से कौन वास्तविक है और कौन नहीं, यह भी पहचान पाना मुश्किल होने की बात अधिकारियों ने कही है. इस तरह इन कारणों को लेकर सरकार द्वारा मीडिया पर लगानेवाली पाबंदी के खिलाफ पत्रकारों ने विरोध के स्वर तेज कर दिए है, जिससे सरकार के सामने नया विवाद खड़ा होने की आशंका है.
सूर्य प्रकाश तिवाड़ी की रिपोर्ट.