-मशाहिद अब्बास-
फ्रांस के राष्ट्रपति के खिलाफ पूरा मुस्लिम समाज आगबबूला है, चीख रहा है, गर्दनें फाड़ फाड़ के चिल्ला रहा है. वह मुसलमान जो अब तक टुकड़े-टुकड़े में बंटा हुआ था, वह अब एक स्वर में आवाज़ उठा रहा है… क्यों उठा रहा है……क्योंकि उसके पैगंबर का विवादित कार्टून जारी किया जा रहा है इसलिए वह गुस्से में है, बायकाट कर रहा है, तरह तरह से विरोध दर्ज करा रहा है…..
हालांकि यहां सिर्फ कार्टून जारी किए जाने पर मुसलमान चीख रहे हैं लेकिन इन्हीं के पैगम्बर की बेटी के घर मुसलमान ने ही आग लगाई थी लेकिन मुसलामान उसके खिलाफ एक शब्द तक नहीं बोलता है.
इसी पैगंबर के दामाद को मस्जिद में मारा गया, इसी पैगंबर के एक नवासे को ज़हर खिलाकर मारा गया जब उसका जनाज़ा उठा तो उसके जनाज़े पर भी तीर मार दिए गए.. पूरी दुनिया का पहला लाश था जो घर से दफ्न होने निकला और वापिस खून में लथपथ फिर घर आ गया. इसी पैगंबर के दूसरे नवासे को तीन दिन तक उसके 71 साथियों सहित मार दिया गया, तीर से मारा, तलवार से मारा और पत्थर से मारा… जब इतने पर भी सुकून न मिला तो उसकी लाश पर घोड़े तक दौड़ा डाले… सिर अलग कर डाला और लाश को टुकड़ों में बांट डाला… लेकिन ये मुसलमान उन मारने वालों के खिलाफ खामोश रहते हैं.
मोहम्मद साहब की पूरी नस्ल को मारने वाला मुसलमान ही था. पाकिस्तान, सीरिया, सऊदी अरब, इराक, लेबनान, तुर्की न जाने कितने मुसलमान मुल्क हैं. वहां मुसलमान ही मुसलमान के खून का प्यासा है. मस्जिदें बम से उड़ा दी जा रही हैं, मदरसों में विस्फोट हो रहा है, तबाही ही तबाही है चारो तरफ लेकिन प्रदर्शन सिर्फ फ्रांस के खिलाफ होगा…..गुस्सा सिर्फ आरएसएस पर आएगा.
मुसलमानों को विचार करने की आवश्यकता है कि आखिर वह कौन लोग हैं जिन्होंने मुसलमान को आतंकवाद का मज़हब बना रखा है. वह कौन लोग हैं जिन्होंने जिहाद जैसे पाजिटिव शब्द को भी निगेटिव बना डाला है. वह कौन लोग हैं जिन्होंने कुरान का गलत अनुवाद कर डाला है और उसी की आड़ में पूरी दुनिया में माहौल को खराब कर रहा है..
जो पैगंबर इतना दयालु था कि फालतू दो बूंद पानी बहाना भी अपने धर्म के कानून के खिलाफ समझता था आज उसी पैगंबर के नाम पर खून का दरिया बहाने वाले लोग कौन हैं…..इस्लाम मज़हब जिसमें हिंसा नाम का दूर दूर तक ज़िक्र नहीं है उसी इस्लाम के नाम पर गले काट देने वाले लोग कौन हैं.
मुसलमान देशों में बमबाजी करने वाले लोग कौन हैं, शिया-सुन्नी दोनों की इबादतगाहों को तबाह कर देने वाले कौन से मुसलमान हैं. बंदूक की नोक पर किसी के धर्म को परिवर्तन करवा कलमा पढ़वाने वाले कौन से मुसलमान हैं.
आज इस्लामोफोबिया की बातें हो रही हैं कभी सोचा यह अस्तित्व में क्यों आया. मोहम्मद साहब की बेटी की कब्र तक वीरान कर दी गई. वहां बने मज़ार को बुल्डोजर से ढ़हा दिया गया. आज भी धूप में मोहम्मद साहब की बेटी की कब्र है लेकिन मुसलमान उस पर विरोध नहीं करेगा. क्योंकि वह सऊदी सरकार ने किया है.
मुसलमान घड़ियाली आंसू बहाएगा मुसलमान मुसलमान के विरुद्ध आंदोलन कैसे करेगा. आंदोलन तो दूर मुसलमान तो विरोध का नाम तक न लेगा. ये कैसी मोहब्बत है कि किसी के विवादित कार्टून पर तो क्रोध आ जाता है लेकिन उसी शख्स की नस्ल पर हुए ज़ुल्म पर ज़बान नहीं खुलती है. अरे विरोध करना तो दूर मुसलमान उस ज़ुल्म की निंदा तक नहीं करता है.
मुसलमान आज पूरे विश्व में अशांति के लिए जाना जा रहा है और ये तस्वीर मुसलमानों ने खुद बना कर पेश की है. आज सभी मुस्लिम देशों में अशांति फैली हुयी है ये किसने किया है यह सवाल आप अपने आप से करिए….सोचिये आपके मज़हब को आपने ही इस हाल में पहुंचा रखा है और आपको ही इसके खिलाफ एक बड़ी लड़ाई लड़नी है.
आज अगर मुसलमान एक प्लेटफार्म पर आया है तो मुसलमानों को चाहिए कि अपने ही धर्म में जो लोग अशांति की चादर ओढ़े बैठे हुए हैं और गलत इस्लाम को फैलाने की कोशिश कर रहे हैं उनके खिलाफ भी खड़े हों, वरना मुस्लिम समाज में पैदा होने वाली तुम्हारी नस्लें तुम्हें और तुम्हारे द्वारा तैयार किए गए माहोल और पहचान पर तुम्हें और तुम्हारे कार्य पर कोसेंगे.
मशाहिद अब्बास
पत्रकार (प्रयागराज)
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