ये उत्तर प्रदेश है। यहाँ कानून नहीं, बल्कि राजनेताओं, मंत्रियों, किस्म-किस्म के माफिया, अपरााधियों, भाड़े के हत्यारों का राज चलता है। आजकल इस राज्य में गुण्डागर्दी अपने चरम पर है और पूरी तरह ‘जंगलराज’ कायम है।
चोरी, लूट-खसोट, डकैती, चौथ वसूली, सरकारी-गैर सरकारी जमीनों पर कब्जे अपहरण, हत्याएँ आम बात हो गयी हैं। बिना रिश्वत किसी भी सरकारी कार्यालय में कोई काम नहीं होता। अब जो भी इन गुण्डों और माफियों का विरोध करता है या सच्चाई का साथ देता है उसे या तो झूठे मुकदमों में फँसा दिया जाता है या फिर मारपीट कर हाथ-पाँव तोड़ कर उसे खामोश कर दिया जाता है। आखिर में उसे हमेशा-हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया जाता है। पुलिस-प्रशासन भी इन्हीं राजनेताओं, माफियों के इशारे पर काम करता है जिससे ये लोग हर तरह से जनता का शोषण और उत्पीड़न कर रहे हैं। यहाँ पत्रकार ही क्या? इनके काले कारनामों की मुखाफत करने वाले हर शख्स की जान खतरे में है इनमें ईमानदार कर्त्तव्यनिष्ठ पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हैं। कई बार अधिकारी और पुलिसकर्मी भी इस सरकार के मंत्रियों से अपमानित ही नहीं, उनके पाले पोसे खनन तथा भू-माफियों से पिट भी चुके हैं।
हाल ही में शाहजहाँपुर के पत्रकार जगेन्द्र सिंह को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। वह ‘शाहजहाँपुर समाचार’ के नाम से एक ई-अखबार पत्र चला रहे थे। इसमें वे अपने शहर की विभिन्न समाचार प्रकाशित करते थे। मुश्किल तब आयी ,जब अपने क्षेत्र के विधायक और पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्य मंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा के खिलाफ खबरें दिखाना शुरू किया। इस मंत्री और उसके गुर्गों पर एक आँगनवाड़ी कार्यकर्ती ने अपने साथ सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया था। हालाँकि ये खबर प्रदेश के सभी प्रमुख अखबारों में छपी थी, इसी खबर को जगेन्द्र सिंह ने भी अपने ‘शाहजहाँपुर समाचार’ में विस्तार से छापा। इससे पहले भी जगेन्द्र सिंह राममूर्ति वर्मा के अवैध कारोबार ,जमीनों पर अवैध कब्जों और भ्रष्टाचार के बारे में लगातार लिखते आये थे। इससे मंत्री राममूर्ति वर्मा उनसे बेहद खफा थे। इसी सिलसिले में 28 अप्रैल को जगेन्द्र सिंह के साथ मारपीट की गई ,जिसमें उनके पैर की हडडी टूट गयी। इस घटना की शिकायत उन्होंने जिले के सभी उच्च पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों से की और उनसे अपनी जान की सुरक्षा की गुहार लगायी। इस पर पुलिस ने उन्हीं के खिलाफ अपहरण और हत्या की साजिश का रचने का झूठा मुकदमा लिख लिया। 22मई को सांय 5बजे जगेन्द्र ने अपनी फेसबुक पेज पर पोस्ट किया कि मंत्री राममूर्ति वर्मा मेरी हत्या करा सकते हैं। इस समय नेता, गुण्डे और पुलिस मेरे पीछे पड़े हैं। ‘सच लिखना भारी पड़ रहा है जिन्दगी पर …….. विश्वस्त सूत्रों से सूचना मिल रही है कि मंत्री राममूर्ति वर्मा मेरी हत्या का षडयंत्र रच रहे हैं और जल्दी ही कुछ गलत घटने वाला है…….
फिर 31 मई को जगेन्द्र सिंह की कई खबरांे से दो पोस्ट वर्मा के खिलाफ थी जिनका शीर्षक ‘राज्यमंत्री राममूर्ति वर्मा के पास कहाँ से आयी अरबों की सम्पत्ति?’ दूसरा ‘बलात्कारियों को बचाने में जुटे सपा नेता’। अगले दिन ही पुलिस उनके घर आ धमकी। यह देख कर जगेन्द्र ने घर का दरवाजा बन्द करते हुए कहा,‘‘चले जाओ, नहीं तो मैं आत्महत्या कर लूँगा।’’ उनकी इस बात का अनसुना कर दिया गया। पुलिस वाले दरवाजा तोड़ कर अन्दर घुस जाते हैं। पेट्रोल से सराबोर जगेन्द्र परिवार के सामने जल जाते हैं। अब पुलिस कह रही है कि आग उन्होंने खुद लगायी, जबकि जगेन्द्र के परिजनों का कहना है कि आग पुलिस वालों ने लगायी थी। यही बात 9जून को मरने से पहले अपने मृत्युपूर्व बयान में मजिस्टेªट के समक्ष जगेन्द्र सिंह ने की थी।इसमें उन्होंने कोतवाल श्रीप्रकाशराय समेत अन्य पुलिसकर्मियों पर राज्यमंत्री वर्मा के इशारे पर जलाने का आरोप लगाया था। असलियत क्या है? इसका पता जाँच के बाद ही चलेगा। अब सवाल यह है कि जिस पुलिस पर पत्रकार जगेन्द्र को जलाने का आरोप है, वह क्या सही जाँच कर पायेगी?
दूसरा मामला 11जून कानपुर है। कुछ अज्ञात लोगों ने वरिष्ठ पत्रकार दीपक मिश्रा को ताबड़तोड़ गोलियाँ मारीं, जब वे कहीं अपनी बाइक से कहीं जा रहे थे। उन्होंने जुआ, सट्टे के कारोबारियों के खिलाफ कई खबरें लिखीं थीं। इस कारण रंजिश मानकर उनके साथ यह वारदात करायी गयी है।
इसके बाद 12जून को बस्ती में दैनिक ‘अमर उजाला’ के पत्रकार धीरज पाण्डेय को सपा के पूर्व विधायक ने अपनी सफारी कार से कुचल दिया। गम्भीर रूप से घायल पत्रकार मेडिकल कॉलेज के ट्रोमा सेण्टर में इलाज चल रहा है और उनकी हालत नाजुक बनी हुई है।
इसी तरह पीलीभीत में 13जून को न्यूज चैनल के टी.वी.पत्रकार और शेरपुर कलां निवासी हैदर खान को जान से मारने की कोशिश की गयी। वह जमीन पर जबरन कब्जे की रिपोर्टिंग कर रहे थे। खान के अनुसार उन्हें जानकारी मिली थी कि एक फरार डकैत बलिहारी गाँव में एक दुर्घटना में घायल हो गयाहै। लेकिन घटना स्थल पर पहुँचने पर अरविन्द प्रकाश को अपने अन्धे भाई के हिस्से की छह एकड़ जमीन पर कथित कब्जा करते देख वे उसकी रिपोर्टिंग करने लगे। कुछ दिन पहले अरविन्द प्रकाश ने जमीन जबरन अपने नाम कराने को पिता से मारपीट की थी। इस घटना का समाचार भी हैदर खान प्रसारित किया था। इससे नाराज दबंगों ने उनके साथ मारपीट की तथा बाइक से रस्सी से बाँध कर घसीटा। उन्हें मरा हुआ जान कर छोड़ गए। किसी व्यक्ति की सूचना पर पुलिस पूरनपुर कोतवाली लायी तथा उपचार के लिए सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया।
इसके बाद 14जून को बहराइच में आर.टी.आई.कार्यकर्ता गुरुप्रसाद को जान से मार दिया गया।वह भी ग्राम प्रधान के भ्रष्टाचार को उजागर करने की कोशिश कर रहे थे। इसी दौरान शामली के काँधला में पत्रकार विनय बालियान पर जानलेवा हमला हुआ है। अब 23जून को मऊ सलोनी में पत्रकार राजेश जायसवाल पर जानलेवा हमला किया गया। उल्टे स्थानीय विधायक के दबाव में पत्रकार जायसवाल के खिलाफ ही रिपोर्ट दर्ज करायी गयी है। प्रदेश में ये कैसा समाजवाद है कि जो पत्रकारों को ही नहीं, जो इनके काले कारनामों को बाधक बनता है उसी को खत्म करने में लगे हैं। यद्यपि जनता के दबाव में पुलिस ने पत्रकार जगेन्द्र सिंह की हत्या के मामले में कोतवाल श्रीप्रकाश तथा दूसरे पुलिसकर्मियों के साथ-साथ पिछड़ावर्ग कल्याण राज्यमंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा के खिलाफ रिपोर्ट जरूर दर्ज कर ली है, पत्रकार जगेन्द्र सिंह के ‘मृत्युपूर्व बयान’ (डाइंगडिक्लेरेशन) के बावजूद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव वोट का जातीय सन्तुलन बिगड़ने के डर से इस मंत्री की गिरफ्तारी तो दूर, उसे अपने मंत्रिमण्डल से हटाने से भी बच रहे हैं, जबकि राज्यभर में पत्रकार अपने साथी की इस नृशंस हत्या से व्यथित हो आन्दोलित होकर उसे हटाने की माँग कर रहे हैं। अखिलेश यादव की सरकार की इस जातिवादी सोच से भविष्य में उनकी पार्टी को कितना नफा-नुकसान होगा? यह अब सन् 2017 के विधानसभा के चुनाव के नतीजे बताएँगे। उत्तर प्रदेश के मौजूदा हालात पर यह शेर मौजू है-
‘‘कभी शेर की तरह दहड़ता था, आज आवाज खतरे में है। चन्द गद्दारों के कारण, सारा समाज खतरे में है। लहू भर के कलम में देश सींचा जिसने, अरे देखो! आज वही पत्रकार खतरे में है।”
लेखक धर्मेन्द्र कुमार चौधरी से संपर्क : 9412813583