वाट्सअप, फेसबुक, ट्विटर पर दो पन्ने का एक लेटर शेयर फारवर्ड किया जा रहा है जिसे यूपी एसटीएफ का बताया गया है. इस लेटर में चाइनीज एप्प हटाने के निर्देश हैं. आखिर में पुलिस महानिरीक्षक एसटीएफ लखनऊ का नाम लिखा गया है. पर यहां किसी के नाम से कोई हस्ताक्षर नहीं है.
हस्ताक्षर विहीन इस लेटर का लुक एंड फील भी प्रथम नजर में यह बता देता है कि यह आफिसियल लेटर नहीं है. लेटर में न तो यूपी पुलिस का लोगो है न ही कोई लेटर पैड है. न ही कोई पत्र क्रमांक संख्या है और न ही पत्र किसी को संबोधित है. पत्र की प्रतिलिपि भी किसी को नहीं है.
साथ ही ये भी सोचने की बात है कि जब भारत सरकार, यूपी सरकार ने ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया तो अचानक यूपी एसटीएफ कैसे अंतरराष्ट्रीय व्यापार से जुड़े मामले में किसी एक देश का एप्प जोड़ने या हटाने को लेकर आदेश जारी कर देगी?
हां ये हो सकता है कि अनआफिसियली ये लेटर जारी किया गया हो लेकिन अनधिकृत पत्र को कैसे असली व सरकारी मानकर खबर का प्रकाशन किया जा सकता है?
आजतक, हिंदुस्तान समेत कई बड़े-छोटे मीडिया वालों ने इस लेटर के आधार पर खबर का प्रकाशन कर दिया.
बताया जाता है कि कुछ जगहों से इस खबर को वरिष्ठों के निर्देश के बाद हटा लिया गया.
देखें छोटे बड़े कई पोर्टलों पर छपी इस खबर का स्क्रीनशाट-
ध्यान रहे, किसी कागज़ पर कुछ भी लिखा गया हो, जब तक उस पर हस्ताक्षर नहीं हैं, तब तक उसे आदेश-निर्देश नहीं माना जा सकता। ये सम्भव है stf के इंटरनल स्टाफ के लिए ये एक ऑफ़ दी रिकॉर्ड मैसेज हो पर इसे एसटीएफ का अधिकृत पत्र कहकर ख़बर का प्रकाशन करना ग़लत है।