मुम्बई से प्रकाशित गोयल फैमिली के अखबार प्रातःकाल में बड़े गड़बड़झाले की खबर सामने आ रही है। चर्चा है कि प्रातःकाल अखबार के सर्वेसर्वा गोयल फैमिली के चाचा- भतीजे ने अपने यहाँ कार्यरत मीडियाकर्मियों को मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ ना देना पड़े, इसके लिए दर्जनों मीडियाकर्मियों का नाम झटके से अपने रजिस्टर से बाहर कर दिया है। जब लेबर विभाग की ओर से दबाव पड़ा तो इन्होंने जो नाम दिया उसमे वर्किंग जर्नलिस्ट कैटेगरी में सिर्फ दो नाम हैं- पहला नाम था सुरेश गोयल जो कि मुख्य संपादक हैं और दूसरा महीप गोयल जो स्थानीय संपादक हैं।
इतना ही नहीं, दूसरे पृष्ठ पर महीप गोयल को डायरेक्टर बताया गया है। इन गोयल बंधुओं जो दोनों चाचा-भतीजा हैं के अखबार के बारे में चर्चा है कि इस 12 पेज के अखबार में न तो कोई उपसम्पादक है न कोई रिपोर्टर. न ही कोई सहायक सम्पादक है और न कोई प्रूफ रीडर. यहां तक कि किसी डीटीपी आपरेटर का भी कोई जिक्र नहीं है. गोयल फैमिली ने मुंबई के कामगार विभाग में जो कर्मचारियों की लिस्ट भेजी है उसमें जो 8 नाम दिए गए हैं, वो इस प्रकार हैं….
सुरेश गोयल – चीफ एडिटर
महीप गोयल – स्थानीय संपादक
शालिनी राकेश – एजीएम
विष्णु देशमुख – मैनेजर
नरेश आमेटा – डीटीपी इंचार्ज
इंद्रनाथ झा – अ. अकाउंटेंट
मनीष पालीवाल – एड ट्रांसलेटर
सैफ अहमद – जूनियर क्लर्क
अब जरा गोयल बंधुओं से पूछा जाए कि भाई आपके यहाँ जब डीटीपी आपरेटर तक नहीं है तो इंचार्ज का क्या काम? अब सवाल यह उठता है कि 12 पेज का अखबार क्या दोनों चाचा-भतीजे ही निकाल लेते हैं? कामगार विभाग की रिपोर्ट बताती है कि 12 पेज के इस अखबार में न तो मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू है और न ही मणिसाना वेज बोर्ड की। इस समाचार पत्र में वर्किंग जर्नलिस्ट कैटेगरी में सिर्फ 2 कर्मचारी काम करते हैं.
इनके द्वारा लेबर कमिश्नर को दी गई जानकारी के अनुसार इस अखबार में कुल 8 कर्मचारी हैं, जिसमें 2 वर्किंग जर्नलिस्ट कैटगरी में और बाकी छह नान एडमिन कैटगरी में आते हैं. यानी दो पत्रकार 12 पेज का ये अखबार निकाल रहे हैं। आश्चर्य कि बात तो यह है कि जिस एसजी चिटनीस के माध्यम से ये सारे विवरण भेजे गये हैं, उसका भी नाम सूची से गायब है। इस अखबार का कार्यालय मुम्बई के अँधेरी पश्चिम में है और 13 जून 2016 को इसके कार्यालय में श्रम विभाग के अधिकारी जाँच के लिए गए लेकिन कंपनी प्रबंधन ने तब मजीठिया वेज बोर्ड से जुड़ा कोई कागजात नहीं दिया। बाद में दबाव पड़ा तो कागजात तो दे दिया लेकिन उसमें भी गड़बड़झाला कर दिया।
शशिकान्त सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट
9322411335