अजय तिवारी-
मैंने होश संभाला, पढ़ाई पूरी की और हाथ मे कैमरा थाम लिया था। 25 वर्षों से टेलीविजन कैमरे के पीछे खड़ा हूँ। कैमरे पर जब भी मेरी जरूरत लगी मैं एक कॉल पर आया और उसका ग्रिप पकड़ लिया। सुबह, शाम, रात, बरसात, आंधी, पानी, तूफान कभी भी मैंने कैमरे को हाथों से छूटने नही दिया।
कई बार तो हिल गया मैं, पर कैमरा को हिलने से बचाया। पत्नी अस्पताल में थी, बच्चे का जन्म हुआ पर मैं कहीं दूर अपने कैमरा के साथ खड़ा था। मां की मौत हुई, पापा जी ने दम तोड़ दिया लेकिन मैं TVकैमरा लिए कहीं और घूम रहा था जन्म-मृत्यु, तीज-त्योहार-शादी के अवसर पर परिवार के साथ नही कैमरे के साथ रहना चुना था मैंने।
पैसे की भूख नही थी, पर इसी कैमरे की वजह से छोटी सी तनख्वाह आती थी, जिससे बच्चों को ऊपर तक की पढ़ाने का ख्वाब देखा था मैंने। आज मेरे दो बच्चों ने 12वीं पास कर ली है, वो कॉलेज जाने की तैयारी कर रहे थे, कैमरे ने ठीक उसी समय मेरा साथ छोड़ दिया
जब मुझे इस नौकरी की सबसे ज्यादा जरूरत थी। बच्चे कॉलेज की वेबसाइट खंगाल रहे थे, उन्हें फॉर्म भरने और रजिस्ट्रेशन के लिए फीस चाहिए थी, लेकिन बच्चों को अभी तक पता नही है कि उनके #कैमरामैन पापा की नौकरी चली गई है। कैमरे ने मेरा साथ तब छोड़ा दिया जब मुझे उसके छांव की सख्त जरूरत थी। कुछ दिनों और कि बात थी, बच्चों का कालेज पूरा हो जाता और मेरा उनकी पढ़ाई पूरा कराने का सपना पूरा होता
मेरे कैमरे के सामने जो लोग आए वो देशभर में TV पर नजर आए, कुछ ने जल्दी बड़ी पहचान भी बना ली जिनके अंदर काबिलियत थी, पर मैं आज आज भी गुमनाम हूँ!
हो सकता है मेरे कैमरे के सामने “कैमरामैन अजय तिवारी के साथ मैं ABC” कह कर साइन ऑफ़ करने वाले कुछ लोग इस ट्वीट को देख पा रहे होंगे। मुझे पता है वो रिट्वीट या लाइक नही करेंगें लेकिन उन्होंने मुझे बहुत कुछ सीखने को दिया है उन सभी पत्रकारों का धन्यवाद जिन्होंने मुझे अपने साथ काम करने का मौका दिया। मेरी गलतियों को नजर अंदाज किया, मुझे टिके रहने में मदद की। मुझे आदर और सम्मान दिया। उन सभी का आभार और माफी यदि किसी का काम मैंने खराब किया हो।
सबका आभार
मैं Noida से “रामभरोसे” के साथ कैमरामैन अजय तिवारी।
Ranjeet Gupta
June 24, 2023 at 10:23 pm
अजय जी की पोस्ट पढ़कर नहीं लगा की आप सिर्फ वीडियो जर्नलिस्ट हैं आप बेहतरीन कलमकार भी हैं क्योंकि आप की चिट्ठी में शब्दों का संयोजन और लय पाठक को अंत तक चिट्ठी पढ़ने को मजबूर कर रही ।
निश्चित तौर पर आप के लिए यह समय कठिन है लेकिन ईश्वर पर भरोसा रखिए आप जैसे निष्ठावान हुनरमंद लोगों के लिए काम की कोई कमी नहीं है
शालीन
June 25, 2023 at 10:23 am
अजय जी मैं भी एक प्रसिद्ध चैनल में 18 साल काम किया बिल्कुल आपकी तरह घर छोडकर,पर कुछ कर्म अच्छे किये होंगे मेरे मां बाप ने की मुझे उस कम्पनी से निकलते ही फिर एक प्रसिद्ध चैनल में काम मिल गया ,,पर ज़िन्दगी हर पल अदृश्य डर में गुज़रती है
क्योंकि मुझे चमचा गिरी करनी नही आती है
Avnish Pawar
June 25, 2023 at 10:44 am
भाई अजय तिवारी कोई बात नहीं जो भी होता है अच्छे के लिए होता है शायद आपके जीवन में कुछ अच्छा होने वाला है मेरे साथ भी यही हुआ था मैंने जी न्यूज़ को अपना जीवन समर्पण किया था ना दिन देखता था और ना ही रात देखता था जब मैं रात को 2:00 बजे नोएडा से हापुड़ अपने घर पहुंचता था तो मेरे बाबूजी यह बोलते थे कि बेटा कैसी नौकरी करते हो जो सुबह 6:00 बजे जाते हो और रात को 2:00 बजे आते हो अगले दिन फिर सुबह 6:00 बजे निकलना होता था क्योंकि दफ्तर 10:00 बजे पहुंचना होता था जहां पर हमारे बॉस पी जे मैथ्यू जी हुआ करते थे मेरे बॉस पी जे मैथ्यू जी मेरा बहुत ध्यान रखते थे लिहाजा वह मेरी शिफ्ट जरनल ही लगाते थे यह सब नीचे वाले लोगो को अच्छी नहीं लगती थी मैंने जी न्यूज़ सन 2005 में ज्वाइन किया था मैंने संस्थान के लिए दिल जान से काम किया था ना दिन देखता था और ना ही रात देखता था मेरी वहां पर स्टिंग मास्टर के नाम से पहचान होती थी मैंने वहां रहते न जाने कितने स्टिंग किए जिनकी वजह से हमारे चैनल जी न्यूज को अच्छी खासी टी आर पी मिलती थी कई बार मुझे ग्रुप एडिटर बी वी राव जी ने अवार्ड भी दिया और कई बार सम्मानित भी किया गया एक बार की बात है आगरा में एक छोटी सी बच्ची गड्ढे में गिर गई थी उसे निकालने के लिए वह पर आर्मी कड़ी मशक्कत से अपना काम कर रही थी वहां पर मैं और वरिष्ठ पत्रकार अमित प्रकाश जी कवरेज करने के लिए वहां पहुंचे और वहां सोलह घंटे एक पैर पर खड़े होकर बिना कैमरा बंद करे चैनल को आउट पुट दिया था और जो विजुअल जी न्यूज को मिले थे वो किसी चैनल के पास नहीं थे वह दिन जी न्यूज के लिए बहुत शानदार था उस दिन जी न्यूज ने सभी बड़े चैनलों को टक्कर दी थी क्योंकि जो विजुअल जी न्यूज के पास थे वह किसी चैनल के पास नहीं थे ऐसा भी नहीं कि वहां एक दो ही चैनल थे वहां छोटे से लेकर बड़े-बड़े चैनल की टीम मौजूद थी इतना ही नहीं एक बार की बात है भूषण स्टील में कबाड़ में मिसाइलें मिली थी जिनको डिफ्यूज करने का काम गाजियाबाद के करेड़ा गांव में हिंडन नदी के किनारे हमारी सेना कर रही थी जहां पर किसी भी कैमरामैन या पत्रकार को जाने की अनुमति नहीं थी उसके बावजूद मैंने वहां के विजुअल जी न्यूज को दिए जिसमें जोरदार टीआरपी ज़ी न्यूज़ को मिली थी ऐसे ही न जाने कितने काम हैं जो मैंने वहां रहकर किए थे लेकिन वहां के चापलूस लोगों को मेरा यह काम अच्छा नहीं लगता था और जो लोग वहां पर शराब पीने और पिलाने का काम करते थे और बॉस लोगों को शराब परोसने का काम करते थे उन्हीं लोगों को ज्यादा नंबर दिए जाते थे सन 2013 की बात है जब वहां के लोगों को यह लगा कि अवनीश पवार कैमरामैन दिन पर दिन तरक्की करता जा रहा है और अपनी पहचान बना रहा है तो वहां के लोगों ने मेरे खिलाफ षड्यंत्र रचा और मुझे वहां से निकलवा दिया गया लेकिन कहते हैं ना जो होता है वह सही होता है और मेरे लिए भी सही हुआ वहां पर सन 2013 में मुझे मात्र ₹20000 तनख्वाह मिलती थी आज मैं अपने परिवार का पालन पोषण अच्छे से कर रहा हूं भले ही मैं छोटा काम कर रहा हूं लेकिन इज्जत की रोटी खा रहा हूं आज भी वहां पर ना जाने कितने कैमरामैन ऐसे हैं जो एक से डेढ़ लाख रुपए महीना तनख्वाह के नाम पर प्राप्त कर रहे हैं लेकिन काम के नाम पर वह लोग जीरो हैं आज भी अगर उन लोगों को किसी क्राइम सूट पर भेज दिया जाए तो शायद वह सूट नहीं कर पाएंगे और अच्छे से दौड़ भी नहीं पाएंगे मेरा तो बस यही मानना है कि अगर आपके साथ गलत होता है तो होने दो शायद वह अच्छे के लिए हो रहा है अजय भाई आपकी नौकरी चली गई है तो इसमें कोई चिंता करने की बात नहीं है आप अगर कोई छोटा मोटा काम भी कर लेंगे तो उसमें भी आपके बच्चे पर जाएंगे जैसे कि मैंने भी नौकरी जाने के बाद छोटा-मोटा ही काम किया था लेकिन कहते हैं ना अगर आपके हाथ में हुनर है तो आप कहीं मार नहीं खाएंगे आपको कोई ना कोई आप के हुनर के कारण बुला ही लेगा अजय भाई आज के जमाने में जो काम करता है वही मरता है हमसे गलती हुई थी कि हमने संस्थान को काम करके दिखाया था हरामखोरी नहीं की थी मैं उन लोगों के नाम नहीं लेना चाहता जो कि आज ज़ी न्यूज़ में चमचागिरी करके ही मजे मार रहे हैं और विदेश यात्रा कर रहे हैं ।
डा. रवीन्द्र अरजरिया
June 26, 2023 at 11:13 am
अजय जी,
हम सब लोग आपके साथ थे, हैं और रहेंगे।
मगर यह भी सत्य है कि आपके सभी सहयोगी आपकी तरह ही कर्तव्यनिष्ठ हैं, चापलूसनिष्ठ नहीं। सभी खुद्दार हैं जिन्होंने हमेशा सम्मानजनक ढंग से काम किया है और कर रहे हैं। ऐसे लोगों के पास देने के लिए सिर्फ दुआयें ही होतीं हैं जो गजब का असर रखतीं। प्रतीक्षा करें जल्दी ही सुहानी सुबह होने वाली है।
Chaudhary
July 7, 2023 at 11:21 pm
हम भी आप जैसे ही काम में कमी नहीं पर चम्मचागिरी करनी नही आई कहने के लिए कैमरामैन मीडिया की आंख है जान पर खेल कर कवरेज करता है कैमरामैन पर बात करें हैसियत की तो शायद गेट पर खड़े गार्ड से भी कम कोई भी बेज्जती कर देता है नौकरी बचानी है तो शिफ्ट तो भूल जाओ बड़े आकाओं की चहती लिस्ट में नाम है तो सही है नहीं तो जीना हराम पक्का पड़ी लकडी की कवरेज तुम्हारे ही नाम और मलाई वाली खुद या चमचों को 20 साल लोकल से लेकर नेशनल तक कम कर लिया पर हर जगह जी हजूरी ही हावी देखी घर से कमजोर नहीं थे तो नमस्ते करते देर नहीं लगती थी आजकल घर पर हूँ बेरोजगार हूँ पर शायद सुकून से हूँ इन्तिज़ार है ऐसे चैनल का जो वाकई कैमरामैन को मीडिया का सारथी समझें।