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अजयमेरु प्रेस क्लब के फिर अध्यक्ष बने डा. रमेश अग्रवाल

अजमेर। शहर के पत्रकार, अर्द्ध पत्रकार और गैर पत्रकारों की खिचड़ी बने अजयमेरु प्रेस क्लब के फिर से अध्यक्ष डा. रमेश अग्रवाल बन गए हैं। वैसे तो चुनाव 25 दिसम्बर को होने हैं लेकिन इससे पहले 21 दिसम्बर को पूर्व अध्यक्ष डॉ. रमेश अग्रवाल ने फिर से अध्यक्ष बनने की रजामंदी दे दी और एक रोचक चुनाव को टलवा दिया। अजमेर में तीन बड़े अखबार हैं। दैनिक भास्कर, पत्रिका और दैनिक नवज्योति। पत्रिका और नवज्योति इस प्रेस क्लब से दूर हैं। ऐसे में क्लब केवल भास्कर और अन्य छोटे अखबारों-चैनलों का क्लब है जिसमें आमंत्रित सदस्यों के रूप में शहरभर की भीड़ भी दखल रखती है।

<p>अजमेर। शहर के पत्रकार, अर्द्ध पत्रकार और गैर पत्रकारों की खिचड़ी बने अजयमेरु प्रेस क्लब के फिर से अध्यक्ष डा. रमेश अग्रवाल बन गए हैं। वैसे तो चुनाव 25 दिसम्बर को होने हैं लेकिन इससे पहले 21 दिसम्बर को पूर्व अध्यक्ष डॉ. रमेश अग्रवाल ने फिर से अध्यक्ष बनने की रजामंदी दे दी और एक रोचक चुनाव को टलवा दिया। अजमेर में तीन बड़े अखबार हैं। दैनिक भास्कर, पत्रिका और दैनिक नवज्योति। पत्रिका और नवज्योति इस प्रेस क्लब से दूर हैं। ऐसे में क्लब केवल भास्कर और अन्य छोटे अखबारों-चैनलों का क्लब है जिसमें आमंत्रित सदस्यों के रूप में शहरभर की भीड़ भी दखल रखती है।</p>

अजमेर। शहर के पत्रकार, अर्द्ध पत्रकार और गैर पत्रकारों की खिचड़ी बने अजयमेरु प्रेस क्लब के फिर से अध्यक्ष डा. रमेश अग्रवाल बन गए हैं। वैसे तो चुनाव 25 दिसम्बर को होने हैं लेकिन इससे पहले 21 दिसम्बर को पूर्व अध्यक्ष डॉ. रमेश अग्रवाल ने फिर से अध्यक्ष बनने की रजामंदी दे दी और एक रोचक चुनाव को टलवा दिया। अजमेर में तीन बड़े अखबार हैं। दैनिक भास्कर, पत्रिका और दैनिक नवज्योति। पत्रिका और नवज्योति इस प्रेस क्लब से दूर हैं। ऐसे में क्लब केवल भास्कर और अन्य छोटे अखबारों-चैनलों का क्लब है जिसमें आमंत्रित सदस्यों के रूप में शहरभर की भीड़ भी दखल रखती है।

भास्कर के स्थानीय सम्पादक डॉ. रमेश अग्रवाल दो बार क्लब के अध्यक्ष रहे। भास्कर के चीफ रिपोर्टर सुरेश कासलीवाल ने पिछली बार चुनाव में पंजाब केसरी के एस पी मित्तल से मात खाई थी। कासलीवाल इस बार फिर अध्यक्ष का चुनाव लड़ने को तैयार हो गए। उनके खिलाफ खुद उनके ही डिप्टी न्यूज एडिटर दैनिक भास्कर के प्रताप सनगत ने चुनाव लड़ने की ताल ठोक दी। मोहरे बिछ गए। चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई। वोटरों की लामबन्दी होने लगी। एक ही अखबार के दो नुमाइंदे चुनाव मैदान में आमने सामने डटे हुए थे। बस नामांकन भरना बाकी था। पत्रकारों के बीच जातिवाद का जहर घुलने लगा, जातिगत टिप्पणियां होने लगी। लगा कि मामला मारपीट की हद तक जा सकता है।

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माहौल भांपते हुए कुछ सदस्य लगातार डॉ. अग्रवाल से पुनः अध्यक्ष बनने का आग्रह करते रहे ताकि क्लब की गरिमा कायम रह सके। आखिरकार डॉ. अग्रवाल ने नामांकन वाले दिन ही पुनः अध्यक्ष बनने की सहमति दे दी। इस पर दो धड़े में बंटे भास्कर कर्मियों के साथ ही बाकी सदस्यों ने भी राहत की सांस ली। इस तरह आपसी टकराव टल गया। देखना है कि 25 दिसम्बर को बाकी पदों के लिए क्या सेटलमेंट होता है।

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