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उत्तर प्रदेश

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नाम एक खुला ख़त : आप दोबारा उत्तर प्रदेश के सीएम न बनें

आदरणीय अखिलेश यादव जी,
मुख्यमंत्री
उप्र सरकार

सबसे पहले तो मैं आपको अपने बारे में बता दूं। मैं उसी उत्तर प्रदेश का एक साधारण सा नागरिक हूं, जिसके आप मुख्यमंत्री हैं। काम से ‘जर्नलिस्ट’ हूं, आपका प्रशंसक हूं और आज भी इस मुगालते में जी रहा हूं कि मेरा पेशा लोगों की आवाज़ उठाना है। मैंने कभी आपसे सीधे मिलने की कोशिश नहीं की, न ही इस तरह का कोई पत्र कभी लिखा। हालांकि कई बार मेरा मन कहता था कि आपको लिखूं, कभी आपकी प्रशंसा करूं या कभी जोर से चीखूं कि यह क्या तमाशा लगा रखा है!

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आदरणीय अखिलेश यादव जी,
मुख्यमंत्री
उप्र सरकार

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सबसे पहले तो मैं आपको अपने बारे में बता दूं। मैं उसी उत्तर प्रदेश का एक साधारण सा नागरिक हूं, जिसके आप मुख्यमंत्री हैं। काम से ‘जर्नलिस्ट’ हूं, आपका प्रशंसक हूं और आज भी इस मुगालते में जी रहा हूं कि मेरा पेशा लोगों की आवाज़ उठाना है। मैंने कभी आपसे सीधे मिलने की कोशिश नहीं की, न ही इस तरह का कोई पत्र कभी लिखा। हालांकि कई बार मेरा मन कहता था कि आपको लिखूं, कभी आपकी प्रशंसा करूं या कभी जोर से चीखूं कि यह क्या तमाशा लगा रखा है!

यकीन मानिये, मैं आपका फैन / प्रशंसक रहा हूं। मैं मानसिक तौर से आपके करीब तब आया जब आप उत्तर-प्रदेश में अपने पिता का मुलायम राज लाने निकले थे। 2012 के उस दौर में मैं ‘जी-न्यूज’ का ब्यूरो-हेड हुआ करता था और गोरखपुर में ही तैनात था। आपकी ‘सवारी’ या कहें ‘रथ’ वहां से भी गुजरा था। पेशा था, तो आपको कवर भी करना था। लेकिन इसी दौरान अपने पढे-लिखे इंजीनियरिंग बैक ग्राउंड, बात-चीत, ईमानदार तेवर, और नयी सोच से आप ने हम सरीखे कई पत्रकारों को भी अपना मुरीद बना लिया था। और फिर प्रदेश को भी। बाद में जब आपने मोहन सिंह (स्व.) और आजम खान सरीखे नेताओं को गलतबयानी पर हद दिखायी, और डीपी यादव सरीखे बाहुबली नेताओं को बाहर का दरवाजा दिखाया, तो हम सब तो आपके लिए ‘जुनूनी’ हो गये थे। यकीन हो चला था कि आप ही हैं जो इस प्रदेश की तस्वीर बदल देंगे।

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पर हो क्या गया अखिलेश भइया? आपने हम सब के ‘जुनून’ और ‘उम्मीद’ को मायूस क्यों कर दिया? ऐसी क्या मजबूरी आन पड़ी, कि आप कुछ न कर सके। मुलायम सिंह, शिवपाल यादव, राम गोपाल यादव, आजम खान, आपके दूसरे अजीजों और कुछ भ्रष्ट लोक प्रशासकों ने भी पूरा उत्तर प्रदेश बांट लिया और आप ‘छाया मुख्यमंत्री’ बन कर रह गये। आपको पता नहीं, कि प्रदेश के डीएम-एसपी के पास हर रोज कोई न कोई छुटभइय्या नेता पहुंचता है और ‘भइया का फोन है’ कहकर अपना उल्टा-सीधा काम करा ले जाता है? आपको पता नहीं, कि आपके चाचाओं-भइय्याओं ने अपने-अपने गढ़ बांट लिए हैं, और बेखौफ हर ठेके में लूट कर रहे हैं? आपको पता नहीं, कि आपके थाने-चौकियां बोलियों पर बिकती हैं और फिर छोटे साहब नुकसान पूरा करने के लिए आम लोगों को मारे डाल रहे हैं?

अखिलेश भइया! आप तो चुनाव से पहले साइकिल से ही पूरी यूपी नाप डाले थे। काश, जीतने के बाद हेलीकाप्टर से ही थोड़ा प्रदेश नाप डालते तो जानते, कि आपने हमें मायूस किया है, और आक्रोशित भी! सच बतायें भइया, तो जर्नलिस्ट बनने से पहले हमारा भी सपना था कि आईएएस-आईपीएस बनें। हनक और ताकत देखते थे न, तो दूसरों की तरह हम भी ख्वाब बुन लिए थे, कि यही बनेंगे। पर आपने इनका जो हाल बना दिया, उससे लगने लगा है कि जो हैं ठीक ही हैं।

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आप को कभी शर्म नहीं आती कि आपके ही शहर में, एक आईएएस अफसर-डॉ हरिओम को कुछ गुण्डे पीटकर चले जाते हैं और आराम से निजी अस्पताल में आराम करने लगते है। और आप के साथ पूरा का पूरा सरकारी अमला न जाने क्यों बेबस-मजबूर नज़र आता है। आपके शासन में वर्दी पर 1200 से ज्यादा हमले हो जाते हैं, और आप कहते हैं कि ‘इस साल तो हम ट्रेनी मुख्यमंत्री थे’। तब भइय्या, डीपी यादव-आजम-मोहन सरीखे लोगों पर इतना कड़ा बोल-बोलकर आपने हमें धोखा काहे दिया था? कम से कम हम किसी ‘ट्रेन्ड’ मुख्यमंत्री को ही ले आते।

मुजफ्फरगर में आप ऐसे बेबस नजर आये जैसे कोई नाबालिग हमारा ‘शाह’ है। कहीं गाय के नाम पर इंसान मार डाला गया और आप भकुआ बने देखते रहे। मथुरा में जमकर खूनी खेल हुआ, दो दर्जन इंसान लाश बन गये और आपने बेचारों की पहचान भी नहीं जाहिर होने दी। इऩ हालातों पर आप ‘रोते नहीं’ अखिलेश भइय्या?  कभी आपको लगता नहीं कि हथियार भले ही अलग-अलग रहे हों, पर कातिल आप ही हैं।

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और, ये जो लखनऊ को जरा रंग-रोगन कर पूरे प्रदेश को फिर से ‘बना रहे’ हैं, ये ठीक नहीं। अच्छी बात कि गोमती-क्रिकेट-मैट्रो-पेड़-गौरैय्या जैसे काम आप किये हैं। पर क्या इतना ही काफी है? इस सब को तो हम तब देखेंगे, जब लखनऊ पहुंचेगे और जिन्दा रहेंगे। आपके ‘प्रचार सचिव’ क्या आपको नहीं बताते कि आप लखनऊ के नहीं, प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं? और एक बात और, ये मुख्तार अंसारी पर अकड़कर आप जो ‘डीपी यादव पार्ट-टू’ का नाटक किये हैं, वो आप पर नहीं अच्छा लगता। और आप तो पढ़ते-लिखते भी हैं, जानते भी होंगे कि ‘काठ की हांडी’ दोबारा नहीं चढ़ती। देश-विदेश में ‘इवेन्ट’ पर सिर्फ ‘साहब’ का ही हक है, उन्हें ही करने दीजिए।  

आप तो पढे लिखे हैं न। हालात नहीं सम्भाल पा रहे, तो किनारे काहे नहीं हो जाते? इंजीनियरिंग की डिग्री है ही, कमा ही लेंगे। डिम्पल भाभी और बच्चे भी आप पर नाज करेंगे। कम से कम ‘कत्ल’ और ‘अपने प्रदेश को बरबाद’ करने की बदनामी तो आपके नाम नहीं दर्ज होगी न। मैं आपका फैन हूं, और जानता हूं कि आप भी किसी न किसी के फैन होंगे। ठेस लगती है, तो दर्द होता है, और फैन-वैन जैसे मामलों में जरा ज्यादा होता है। इसलिए, अगर कहीं कुछ कड़ा कह दिया हो, तो बुरा मत मानिएगा। बुरा लगे तो आइना देखिएगा, खुद को देखिएगा। जानता हूं कि हमारे नेता आपकी जी-हुजूरी करते हैं । इसलिए आपको कुछ नहीं बतायेंगे। पर मैं फिलहाल खुद को ईमानदार खबरनवीस मानता हूं, आपसे कुछ चाहिए भी नहीं, इसलिए यह सब लिखने की हिम्मत कर सका। आप उत्तर प्रदेश के दोबारा मुख्यमंत्री न बनें। इस शुभ कामना के साथ….

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आपका ही एक प्रशंसक,
आलोक वर्मा
[email protected]
9628844666

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