यूपी में अजब गजब राज चल रहा है. सीएम किसी बच्चे की तरह अपनी हर हार का ठीकरा मीडिया पर फोड़ रहा है. प्रदेश में जंगलराज चरम पर है. सरकारी आफिसों में घूसखोरी और भ्रष्टाचार, सपा नेताओं व मंत्रियों की नंगई, सत्ताधारियों के परिजनों की गुंडई, समाजवादी पार्टी के कुनबे में आंतरिक विवाद, महिलाओं का उत्पीड़न और बलात्कार, बाढ़ से परेशान लाखों किसान, पुलिस प्रशासन द्वारा आम जनता की सुनवाई से इनकार… यूपी के बारे में जितना लिखा जाए कम है. लेकिन नौजवान सीएम अखिलेश यादव लंबे चौड़े कई कई पन्ने और कई कई मिनट के विज्ञापन अखबारों-चैनलों में देकर खुद की बढ़िया इमेज गढ़ने-काढ़ने में लगे हैं लेकिन कोई मामला जब उनके सिर के उपर सवार हो जाता है तो वह सारा ठीकरा मीडिया के सिर मढ़ देते हैं…
कुछ दिन पहले चाचा शिवपाल के साथ एक कार्यक्रम में शिरकत करने के बाद कहा कि हे मीडिया वालों, हम लोगों में झगड़े मत लगाओ. सोचिए जरा, क्या मीडिया वालों की इतनी हैसियत है कि वे अखिलेश, शिवपाल, रामगोपाल, मुलायम के बीच झगड़े लगा दें? अरे जब आपके घर में कई किस्म के महत्वाकांक्षाओं के चलते झगड़े रगड़े चल रहे हैं तो मीडिया तो उसे रिपोर्ट करेगी ही, मीडिया तो नेताओं से अलग अलग मिलकर उनके मन की बात, मूड, मिजाज जानकर उसे खबर बनाएगी ही, लेकिन ये कहना कि मीडिया वाले झगड़ा लगा रहे हैं, अखिलेश की अपरिपक्वता दर्शाता है. अखिलेश अपने गिरेबान में झांके तो खुद पता चलेगा कि असल में झगड़े के लिए वे खुद जिम्मेदार हैं. कौमी एकता दल का विलय होने के बाद उसे रद्द कराना शिवपाल को बुरी तरह नाराज करने के लिए काफी है. अमर सिंह ने जो ताजा बयान दिया है कि उससे पता चलता है कि अखिलेश तो इतने बड़े हो गए हैं कि वे अब अमर सिंह जैसे नेताओं के अनुरोध करने पर भी उनसे बात तक करने का वक्त नहीं निकाल पाते. ऐसे में अशांति, तूतूमैंमैं को भला कौन रोक सकता है.
अखिलेश का मन नहीं भरा तो एक बार फिर मीडिया को गरिया दिए हैं… मीडिया पर फिर भड़के अखिलेश बोले, ‘मालूम है कहां से आता है मुनाफा’. अखिलेश यादव का ये मौसम मीडिया से नाराजगी का है. उन्होंने मीडिया पर पक्षपात करने का आरोप लगाया. अखिलेश ने कहा कि टीवी और अखबारों से जो यूपी को देखता है, उसे लगता है यूपी में बुरी हालत है. यूपी में कुछ हो जाता है तो टीवी चैनल में खूब दिखाया जाता है. अखिलेश यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि टीवी वालों हमें पता नहीं कि तुम्हारा मुनाफा कहां से आता है. अखिलेश ने कहा कि एक टीवी चैनल ने सर्वे दिखाया है जिसमें पहले हमें तीन नंबर पर बताया था और अब एक नंबर पर बता रहे हैं. लगता है चुनाव आने के साथ ही इनका हिसाब-किताब ठीक हो गया है.
अखिलेश जी, आप खुद बताइए कि मीडिया को आपके अफसर किस तरह मैनेज करते हैं. कोई बड़ी घटना हो जाने पर मीडिया को मैनेज करने के वास्ते नोटों भरी अटैची के साथ अफसरों को दिल्ली कौन भेजता है. मीडिया वाले भ्रष्ट तो हैं ही. लेकिन उन्हें भ्रष्ट किसने किया? आप जैसों ने ही तो. नेताजी मुलायम सिंह यादव ने तो अपने जमाने में मीडिया को मैनेज करने के लिए विवेकाधीन कोष से करोड़ों रुपये बांट डाले. अपात्रों को मान्यता प्राप्त पत्रकार बनाने और उन्हें सरकारी मकान देकर उपकृत करने का खेल कौन खेलता है. सीएम साहब, मीडिया पर भड़ास निकालने से नहीं, अपने गिरेबां में झांकने से समस्या का हल निकलेगा वरना चुनाव आने वाला है, जनता बोलती नहीं तो भूलती भी नहीं. सारे सर्वे धरे रह जाएंगी और आपके नीचे से कुर्सी सरक जाएगी.
अखिलेश खुद को ट्रेनी सीएम बता रहे हैं. साथ ही यह भी कह रहे हैं कि उन्हें फिर मौका मिला तो वह खूब काम करेंगे, खूब विकास करेंगे. यह सुनकर सिहरन पैदा होती है. उनके ट्रेनी राज में यूपी में क्या क्या कांड हुआ और उन कांडों पर किस तरह सरकार ने राख डाला, सबको पता है… इस ट्रेनी सीएम के राज में एक रीढ़ वाला पत्रकार जिंदा जलाकर फूंक डाला गया.. आरोपी मंत्री और पुलिस वाले सब आज भी मौज काट रहे हैं… अगर आप लोगों की स्मृति कमजोर न हो तो शाहजहांपुर का पत्रकार जोगेंद्र सिंह हत्याकांड याद होगा… ऐसे दर्जनों कांड इनके राज में हुए और सब पर राख डालते गए… जाने किस विकास में लीन हैं कि जनता हर ओर करप्शन घूसखोरी उत्पीड़न बलात्कार दबंगई से त्रस्त है और ये महाशय हैं कि विकास गान गाते हुए अघा नहीं रहे हैं… कहो भाई रे, ये टीपू कैसा विकास कर रहा है… और, जब इस टीपू पर लोग सवाल उठाने लगते हैं तो परेशान होकर गुस्से में सारा ठीकरा मीडिया पर फोड़ देता है… न न, बहुत हो गया टीपू… अब किसी और को मौका दो और पांच साल थोड़ा सीखो देखो सोचो मंथन करो… बहुत पाप किए हैं… पश्चाताप के लिए भी दिन मिलने चाहिए…
लेखक यशवंत सिंह भड़ास के संस्थापक और संपादक हैं. उनसे संपर्क yashwant@bhadas4media.com के जरिए किया जा सकता है.
पिछले चौबीस घंटे में यूपी में जंगलराज से संबंधित तीन समाचार भड़ास के पास मीडिया वालों ने भेजे हैं, जो इस प्रकार हैं…
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