आज सुबह मैंने कहा था कि हिंदी खबर के प्रधान संपादक श्री अतुल अग्रवाल से मेरा वाद विवाद हुआ था।
हुआ यों था कि कांग्रेस प्रवक्ता और सपा के वक्ता को खूब बोलने दिया पर भाजपा का पक्ष रखने की बारी आई तो वो मुझे पहले ही वाक्य से टोकने लगे।
मैंने प्रतिरोध किया परन्तु उनका यह रवैया जारी रहा।
वो निष्पक्ष नहीं थे और भाषा असभ्य थी।
मैंने पार्टी प्रवक्ता और शिक्षक होने के नाते तगड़ी डांट पिलाई।
शुरू से उनका एजेंडा भाजपा विरोधी और व्यक्तिगत लाभ का था। वो भाजपा सरकार को गरिया कर कुछ लाभ लेना चाहते हैं।
लोकतंत्र में स्वस्थ विरोध और मीडिया द्वारा विषय उठाकर सरकार के ध्यान में लेना अच्छा है पर निजी स्वार्थ और व्यक्तिगत लाभ और अपना एजेंडा लादना अलग बात है।
उन्हें पिछले 2 महीने के योगी जी की सरकार का कोई कार्य काबिले तारीफ नहीं लगा।
वो अपने एजेंडा के तहत सरकार की कमियों को हाईलाइट करते रहे। उस एक घंटे ऐसा लगता रहा कि उन्हें योगी जी और भाजपा सरकार से निजी खुन्नस है।
जिन लोगों ने वो शो देखा उन्होंने देखा होगा कि एंकर की भाषा अभद्र ही नहीं, असभ्य भी थी।
उन्होंने कोई ऐसा शब्द कहा जो मुझे चुभ गया और वो शब्द मेरी गरिमा के विरूद्ध था।
एक तो मैं दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा का प्रतिनिधित्व कर रहा था और दूसरे मैं एशिया के सबसे बड़े कालेज का भी प्रतिनिधित्व कर रहा था।
मैंने उनको संतुलित लेकिन कठोर शब्दों में तगड़ी डांट पिलाई।
मैंने उनसे कहा कि राजनीति करने वाला व्यक्ति दो टके का नहीं होता है और हर आदमी टीवी पर शक्ल दिखाने को आतुर नहीं होता।
मैं हिंदी खबर पर पहली बार गया था और अगर यही रवैया रहा तो अंतिम बार भी।
मैं पार्टी, उसके नेता और अपने सेल्फ रिस्पेक्ट को बहुत प्यार करता हूं।
आगे से ऐसे ही चैनल अपने निजी हित और एजेंडा के चलते शीघ्र ही अपनी विश्वसनीयता खोकर अतीत के गर्भ में समा जाते हैं।
इनके एंकर पैनल को डांटकर यह दिखाना चाहते हैं कि देखो हमने इतने बड़े नेता को सरेआम डांट दिया।
लेकिन उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि वे कभी कभी दही के धोखे में चूना चाट जाते हैं।
ऐसा ही कल उनके साथ हुआ।
यूपी भाजपा के प्रवक्ता डा. मनोज मिश्रा की एफबी वॉल से.
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