हिसार : मजीठिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केस करने वाले कर्मचारी अब भास्कर प्रबंधन के गले की फांस बनते जा रहे हैं। एक तरफ तो अधिकारियों को कर्मचारी सुप्रीम कोर्ट में पार्टी बनाने की योजना बना रहे हैं वहीं आला अधिकारी डर के मारे लेबर कोर्ट में चल रही सुनाई में भी स्वयं न आकर अपने जूनियरों को भेज रहे हैं ताकि उनका दामन और गला दोनों सेफ रहे। सोमवार को हुई लेबर कोर्ट की सुनवाई में बाहर से कोई भी अधिकारी नहीं पहुंचा।
एचआर के कार्यकारी मैनेजर को फिर से लेबर कोर्ट में भेज दिया गया। पिछली बार तो वो कर्मचारियों से पहले जाकर टाइम लेने को तैयार हो गए थे। इस बार कर्मचारियों ने पहले ही डेरा जमाया हुआ था। लीलाधर ने लेबर कोर्ट से कागजात पेश करने के लिए फिर एक महीने का समय मांगा। इस पर लेबर कोर्ट ने साफ तौर से मना कर दिया। पहले आपको चार दिन का समय दिया गया था अब और समय नहीं दिया जा सकता। बार बार प्रार्थना किए जाने पर लीलाधर को 48 घंटे का समय दिया गया है, जिस पर सुनवाई बुधवार को होनी है।
उधर, मंगलवार को मजीठिया न लेने के लिए शपथ पत्र पर साइन न करने वाले 8 माह पूर्व टर्मिनेट किए गए महाबीर सिंह की तारीख थी। शिकायत पर हिसार की लेबर कोर्ट की सुनवाई के दौरान चंडीगढ़ से प्रबंधन ने अपने अपने जूनियर अधिकारी को भेज दिया। उसके साथ हिसार एचआर विभाग के कार्यकारी मैनेजर लीलाधर जांगिड़ को भी कदमताल करने पड़ी। इस दौरान चंडीगढ़ से आए भास्कर के एक जूनियर अधिकारी पर लीलाधर को इतना कुछ सुनना पड़ा, जितनी इन्होंने कभी उम्मीद नहीं की थी।
दोनों साहेबान ने फिर से एक महीने का समय मांगा। लेकिन लेबर कोर्ट ने कोई समय नहीं दिया। सुनवाई के दौरान भास्कर के अधिकारी से टर्मिनेट के कागजात मांगे गए। ये अधिकारी बार बार समय देने की मांग करता रहा। लेबर कोर्ट में अधिकारी का कहना था कि हमें एक महीने की मोहल्लत दे दो भोपाल में कागजात पड़े हैं ढूंढ़ कर जमा करा दिए जाएंगे। लेबर इस्पेक्टर का कहना था कि 8 घंटे में भोपाल जाया जा सकता है और 8 घंटे में वापस भी आया जा सकता है। फिर एक महीना किस लिए। जूनियर अधिकारी को मेल पर कागजात मंगवाने की बात भी इंस्पेक्टर ने कही। लेकिन जूनियर अधिकारी को तो चंडीगढ़ के आकाओं ने एक महीने के समय की पट्टी जो पढ़ा रखी थी। वो बार बार बस यही बात दोहराए जा रहा था।
जूनियर अधिकारी से पूछा कि आप कह रहे हैं कि मजीठिया न लेने वालों ने शपथ पत्र दिया हुआ है तो फिर महाबीर सिंह ने तो उस पर साइन ही नहीं किया जिसकी एवज में भास्कर प्रबंधन ने उसे टर्मिनेट कर दिया। जिस दिन आप लोगों ने इसे टर्मिनेट किया, उस तारीख के वो कागजात दिखाओ जिसमें महाबीर सिंह के खाते में आप द्वारा डाली गई ग्रेच्यूटी, पैसे का बाकी हिसाब है। बैंक स्टेटमेंट के कागज तो होंगे आपके पास। अगर पैसे नहीं डाले गए तो इतने दिन तक इनका पैसा आप लोगों ने कैसे रखा। इस पर अधिकारी के पास कोई जवाब नहीं था। फिर लेबर इंस्टेक्टर ने कहा कि अगर इसने मजीठिया न लेने वाले शपथ पत्र पर साइन ही नहीं किए तो आप लोगों ने इसे मजीठिया की रकम दी होगी। उसकी डिटेल पेश करो। जूनियर अधिकारी ने इस बात पर अपने आपको अनजान बताया। लेबर इंस्पेक्टर ने जूनियर अधिकारी को बुधबार सुबह फिर से पेश होने के आदेश दिए क्योंकि बुधवार को दूसरे कर्मचारियों द्वारा कोर्ट को दी गई मानसिक प्रताड़ना की शिकायत पर भी सुनवाई होनी है।