कोटा के बाद दैनिक भास्कर भीलवाड़ा में भी बगावत, प्रबंधन पीछे हटा

Share the news

मजीठिया वेज बोर्ड के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने वाले कर्मियों को लगातार परेशान करने के कारण भास्कर ग्रुप में जगह-जगह विद्रोह शुरू हो गया है. अब तक प्रबंधन की मनमानी और शोषण चुपचाप सहने वाले कर्मियों ने आंखे दिखाना और प्रबंधन को औकात पर लाना शुरू कर दिया है. दैनिक भास्कर कोटा में कई कर्मियों को काम से रोके जाने के बाद लगभग चार दर्जन भास्कर कर्मियों ने एकजुटता दिखाते हुए हड़ताल कर दिया और आफिस से बाहर निकल गए.

बाएं से दाएं : आंदोलनकारी मीडियाकर्मियों के साथ बात करते भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह, अजमेर के वरिष्ठ पत्रकार रजनीश रोहिल्ला और जर्नलिस्ट एसोसिएशन आफ राजस्थान (जार) के जिलाध्यक्ष हरि बल्लभ मेघवाल.

यह सब कोटा में चल ही रहा था कि बगल के भीलवाड़ा एडिशन से खबर आई कि वहां भी प्रबंधन ने सुप्रीम कोर्ट जाने के कारण दो लोगों को काम पर जाने से रोका तो दर्जनों मीडियाकर्मियों ने एकजुट होकर आफिस जाने से मना कर दिया. इससे प्रबंधन के हाथ पांव फूल गए. इन्हें अंदाजा नहीं था कि किसी एक को रोकने से दर्जनों लोग काम पर न जाने का ऐलान कर देंगे. ऐसे में कोटा एडिशन की बगावत से निपट रहे भास्कर प्रबंधन ने फौरन पांव पीछे खींचना ही बेहतर समझा और सभी को काम पर जाने की अनुमति दे दी. इस तरह भास्कर प्रबंधन की रणनीति भीलवाड़ा में फेल हो गई.

भीलवाड़ा एडिशन में बगावत की खबर सुनकर कोटा पहुंचे भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह ने भीलवाड़ा का रुख कर लिया और वहां पहुंचकर आंदोलित मीडियाकर्मियों के साथ बैठक की. उन्हें आगे की रणनीति और प्रबंधन से लड़ने-भिड़ने के तरीके समझाए. साथ ही स्थानीय लेबर आफिस में प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ शिकायत करने के लिए फार्मेट दिया. भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के साथ दैनिक भास्कर अजमेर में वरिष्ठ पद पर कार्यरत रहे और सुप्रीम कोर्ट जाकर मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से अपना हिस्सा भास्कर प्रबंधन से छीन लेने में सफल रहे पत्रकार रजनीश रोहिल्ला भी दैनिक भास्कर कोटा और भीलवाड़ा के कर्मियों से मिलते जुलते रहे और लड़ने पर ही हक मिलने की बात समझाते रहे. उन्होंने बताया कि मीडिया के मालिकान सिर्फ सुप्रीम कोर्ट से ही डरते हैं. वे लेबर आफिस से लेकर निचली अदालतों तक को मैनेज कर पाने में कामयाब हो चुके हैं. ये मालिकान डरा धमका कर किसी तरह सुप्रीम कोर्ट से केस वापस कराना चाहते हैं. जो इस वक्त डर गया, साइन कर गया, झुक गया, वह जीवन भर पछताएगा. यही वक्त है डटे रहने का. ये प्रबंधन आप का कुछ नहीं बिगाड़ सकता.

इस बीच, भास्कर प्रबंधन की तरफ से तरह-तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं. भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह ने भास्कर कर्मियों से अपील की कि वे प्रबंधन की बातों पर भरोसा न करें क्योंकि प्रबंधन की अंतिम कोशिश यही होगी कि किसी तरह झूठ बोलकर, बरगला कर, अफवाह फैला कर, डरा कर, धमका कर सुप्रीम कोर्ट जाने वालों से फर्जी कागजातों पर साइन करा लें. साथ ही मीडियाकर्मियों की एकजुटता को खत्म कर दें. यशवंत ने कहा कि एकजुटता और संगठन ही वो ताकत है जो मालिकों को घुटनों पर बिठाने में सफल हो सकेगा.

संबंधित खबरें….

बगावत की आग दैनिक भास्कर तक पहुंची, कोटा में हड़ताल

xxx

भास्कर प्रबंधन नीचता पर उतारू, आंदोलनकारी कर्मियों के खिलाफ थाने में झूठी शिकायत



भड़ास का ऐसे करें भला- Donate

भड़ास वाट्सएप नंबर- 7678515849



Comments on “कोटा के बाद दैनिक भास्कर भीलवाड़ा में भी बगावत, प्रबंधन पीछे हटा

  • जुलाब कोठारी says:

    एक्शन प्लान तैयार, कमांडो कार्रवाई का इंतज़ार

    पत्रिका समूह ने मजीठिया संकट से पार पाने के लिए कुछ रणनीतियां बनाई है। इस बार वन टू वन का प्लान है। कंपनी के सारे तथाकथित विश्वस्त गुर्गे बड़ी ही ख़ामोशी के साथ कदम बढ़ा रहे है। एक तरफ वकीलो की फ़ौज़ तिकडम भिड़ा रही है कि कैसे GK को जेल जाने से बचाया जाए तो दूसरे छोर पर सारे थकेले,आउटडेटेड,कामचोर, पिस्सू अफसरान अलग अलग संस्करणों में फ़ोन करके पता करने का प्रयास कर रहे है कि आखिर आंदोलन की वजह क्या है, कौन कितनी ताकत से उसका नेतृत्व कर रहा है। किसके मुह पर नोट मारने से काम चल जायेगा,कौन नोट सूंघते ही बेहोश हो जायेगा। बचे हुए फौलादियो को पिघलने में कितना लौहा लगेगा। लोगों को समझाया जा रहा है कि उनका carrier दांव पर लग जायेगा, आज पैसा मिल जायेगा पर कल कंपनी बम पर लात मार देगी। बीवी बच्चों का क्या होगा?
    यही नहीं देशभर से छांटें हुए भ्रष्ट, मक्कार सीए,मार्केटिंग और एडिटोरियल के भेड़िया छाप प्रोफेशनल्स की मुंहमांगे दामो पर सेवाएं ली जा रही है ताकि वे मौका देख हंटर चला सकें। दरअसल शुरुआती डेमेज कण्ट्रोल में ही दोनों निकम्मे राजपुत्रों का इस सच से साक्षात्कार हो गया कि बड़े पदों से चिपके चाटुकारों का कौई जनाधार नहीं है। वे कर्मचारी ही रीढ़ की हड्डी है जिन्होंने विरोध का किल्ला ठोका है उनका तम्बू उखाड़ने के लिए।

    मैनेजमेंट की इस चिर्कुटी बिसात पर अदना सा कर्मचारी तक दुलत्ती मार कर सीना ठोके ताली दे रहा है….अरे ओ सेठ के गुलामो…मुझे 5 लाख नहीं चाहिए…मै तो एक बार…उस 56 इंच की कमरवाले को तिहाड़ जेल में ….”मै ही राधा,में ही कृष्ण” की धुन पर सपरिवार ता..था..थाई..या करते देखना चाहता हूँ। मजीठिया देने में तुम जितनी देर करोगे,तुम्हारी सजा उतनी ही बढ़ती जायेगी। 6 महिने पहले तुम मेरे पास आकर रो लेते तो मै मान जाता लेकिन अब तो मै रुलाउंगा भी, चपत भी लगाउँगा, पाई पाई ब्याज सहित वसूलूंगा………..।
    इधर, मजीठिया परिवार के जिंदादिल साथियो को अल्लाह के रहमोकरम का इंतज़ार है। इस बार होली पर दीवाली और ईद सी खुशियां मनाएंगे क्योंकि 2015 में अप्रैल फूल बनाने का मौका सेठ के हाथ से निकल गया है।

    Reply

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *