इस बीच, ताजी सूचना ये है कि राष्ट्रीय सहारा देहरादून के कर्मचारियों की लिस्ट जो श्रम आयुक्त को प्रबंधन द्वारा सौंपी गई है, उस सूची में अपना नाम न पाकर संवादसूत्र भड़क उठे हैं। आठ-आठ साल से नियमित कर्मचारी की तरह काम कर रहे संवादसूत्रों का कहीं नाम ही नहीं है।
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दैनिक जागरण नोएडा के 18 मीडियाकर्मी टर्मिनेट, प्रबंधन ने बाउंसर बुलाया, पुलिस फोर्स तैनात
दैनिक जागरण नोएडा की हालत बेहद खराब है. यहां मीडियाकर्मियों का जमकर उत्पीड़न किया जा रहा है और कानून, पुलिस, प्रशासन, श्रम विभाग, श्रम कानून जैसी चीजें धन्नासेठों के कदमों में नतमस्तक हैं. बिना किसी वजह 18 लोगों को टर्मिनेट कर उनका टर्मिनेशन लेटर गेट पर रख दिया गया. साथ ही प्रबंधन ने बाउंसर बुलाकर गेट पर तैनात करा दिया है. भारी पुलिस फोर्स भी गेट पर तैनात है ताकि मीडियाकर्मियों के अंदर घुसने के प्रयास को विफल किया जा सके. टर्मिनेट किए गए लोग कई विभागों के हैं. संपादकीय, पीटीएस से लेकर मशीन, प्रोडक्शन, मार्केटिंग आदि विभागों के लोग टर्मिनेट किए हुए लोगों में शामिल हैं.
सहारा मीडिया : हड़ताल से अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे, कर्मियों से अपील
पहले तो राष्ट्रीय सहारा नोएडा और वाराणसी सहित उन सभी यूनिटों के बहादुर साथियों को सलाम, जिन्होंने कार्य बहिष्कार कर ऐतिहासिक एकजुटता का परिचय दिया। देहरादून यूनिट के लोग कब जगेंगे, यह कहा नहीं जा सकता। लेकिन बाकी तीन यूनिटों के बहादुर साथियों ने सहारा प्रबंधन की हेकड़ी निकाल दी, जो सीना ठोंक कर कहते थे कि हम विश्व सबसे बड़े और एकमात्र संस्थान हैं जहां यूनियन नहीं है। हमारा संस्थान विश्व का सबसे बडा भावनात्मक परिवार है।
विवादित चिटफंड कंपनी समृद्ध जीवन के अखबार ‘प्रजातंत्र लाइव’ में बवाल, पुलिस पहुंची, मालिक से शिकायत
खबर है कि विवादित चिटफंड कंपनी समृद्ध जीवन के अखबार प्रजातंत्र लाइव में अचानक की गई छंटनी के खिलाफ बवाल हो गया है. छंटनी के शिकार मीडियाकर्मी आफिस पहुंचे. ये लोग संपादक बसंत झा से मिलना चाहते थे. बसंत झा ने मिलने से इनकार कर दिया. इसके बाद सभी छंटनी के शिकार कर्मचारी जबरन बसंत झा की केबिन में घुस गए. इससे नाराज संपादक बसंत झा ने सेक्यूरिटी गार्ड्स को बुलाकर सबको बाहर करने का आदेश दिया. इससे नाराज कर्मियों ने 100 नंबर पर पुलिस को काल कर दिया. पुलिस आफिस आई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की.
दैनिक भास्कर जयपुर में भी हड़ताल, मीडियाकर्मी आफिस से बाहर आए
एक बड़ी खबर जयपुर से आ रही है. कल शाम दर्जनों मीडियाकर्मी दैनिक भास्कर आफिस से बाहर आ गए. ये लोग मजीठिया वेज बोर्ड मांगने और सुप्रीम कोर्ट में मानहानि का मुकदमा करने के कारण प्रबंधन की रोज-रोज की प्रताड़ना से परेशान थे. कल जब फिर प्रबंधन के लोगों ने मीडियाकर्मियों को धमकाया और परेशान करना शुरू किया तो सभी ने एक साथ हड़ताल का ऐलान करके आफिस से बाहर निकल गए.
मजीठिया की आग दैनिक भास्कर रतलाम पहुंची, कर्मचारी हुए एकजुट
: यहां भी हो सकती है होशंगाबाद, कोटा, भीलवाड़ा, हिसार और नोएडा जैसी हड़ताल : मजीठिया की आग मध्य प्रदेश के रतलाम जिले तक भी पहुंच गई है। यहां भी दैनिक भास्कर, नईदुनिया, पत्रिका के सभी विभागों के कर्मचारी (पत्रकार और गैर पत्रकार) ने अलग-अलग माध्यमों से सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में अखबारों के मालिकों के खिलाफ न्यायालय की अवमानना का केस दायर कर दिया है। अखबार प्रबंधनों को इसकी भनक भी लग गई है। उन्होंने समझाने, दबाने और प्रताड़ित करने की तैयारी भी कर ली है।
कोटा के बाद दैनिक भास्कर भीलवाड़ा में भी बगावत, प्रबंधन पीछे हटा
मजीठिया वेज बोर्ड के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने वाले कर्मियों को लगातार परेशान करने के कारण भास्कर ग्रुप में जगह-जगह विद्रोह शुरू हो गया है. अब तक प्रबंधन की मनमानी और शोषण चुपचाप सहने वाले कर्मियों ने आंखे दिखाना और प्रबंधन को औकात पर लाना शुरू कर दिया है. दैनिक भास्कर कोटा में कई कर्मियों को काम से रोके जाने के बाद लगभग चार दर्जन भास्कर कर्मियों ने एकजुटता दिखाते हुए हड़ताल कर दिया और आफिस से बाहर निकल गए.
बाएं से दाएं : आंदोलनकारी मीडियाकर्मियों के साथ बात करते भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह, अजमेर के वरिष्ठ पत्रकार रजनीश रोहिल्ला और जर्नलिस्ट एसोसिएशन आफ राजस्थान (जार) के जिलाध्यक्ष हरि बल्लभ मेघवाल.
बगावत की आग दैनिक भास्कर तक पहुंची, कोटा में हड़ताल
मजीठिया वेज बोर्ड पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने वाले मीडियाकर्मियों के प्रताड़ना का सिलसिला तेज हो गया है. दैनिक जागरण नोएडा के कर्मियों ने पिछले दिनों इसी तरह के प्रताड़ना के खिलाफ एकजुट होकर हड़ताल कर दिया था और मैनेजमेंट को झुकाने में सफलता हासिल की थी. ताजी खबर दैनिक भास्कर से है. यहां भी मीडियाकर्मियों को सुप्रीम कोर्ट जाने पर परेशान किया जाना जारी है. इसके जवाब में दैनिक भास्कर के कोटा के दर्जनों कर्मियों ने एकजुट होकर हड़ताल शुरू कर दिया है.
मीडियाकर्मियों को अपनी कमर कसकर रहना होगा, मालिकान के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का समय करीब आ रहा है…
Abhishek Srivastava : रात साढ़े दस बजे जब मैं शनि बाज़ार में सब्ज़ी खरीद रहा था, कि अचानक मोबाइल पर Yashwant Singh का नाम चमका। हलो बोलने के बाद बिना किसी औपचारिकता के उधर से आवाज़ आई, ”जागरण में हड़ताल हो गई है। दो सौ लोग सड़क पर हैं। पहुंचिए।” मैंने Sandeep Rauzi को फोन मिलाया, तो वे दफ्तर में थे। वे बोले कि घर पहुंचकर और बाइक लेकर मेरे यहां कुछ देर में पहुंच रहे हैं। फिर मैंने Pankaj भाई को एसएमएस किया। संयोग देखिए कि आंदोलन के बीचोबीच हम सभी मौके पर घंटे भर बाद मौजूद थे। पंकज भाई के साथ वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत टंडन भी आंदोलनरत कर्मचारियों को समर्थन देने रात एक बजे पहुंचे। तीन चैनलों के पत्रकारों के वहां कैमरा टीम के साथ पहुंचने से आंदोलन को और बल मिला।
(दैनिक जागरण के महाप्रबंधक का घेराव और कर्मचारियों के साथ सड़क पर समझौते की वार्ता.)
संजय गुप्ता को रात भर नींद नहीं आई, जागरण कर्मियों में खुशी की लहर
बहुत दिनों बाद ऐसा हुआ. इसे पहले ही हो जाना चाहिए था. डिपार्टमेंट का कोई भेद नहीं था. सब एक थे. सब मीडियाकर्मी थे. सब सड़क पर थे. सबकी एक मांग थी. मजीठिया वेज बोर्ड खुलकर मांगने और सुप्रीम कोर्ट जाने वाले जिन-जिन साथियों को दैनिक जागरण प्रबंधन ने परेशान किया, ट्रांसफर किया, धमकाया, इस्तीफा देने के लिए दबाव बनाया, उन-उन साथियों के खिलाफ हुई दंडात्मक कार्रवाई तुरंत वापस लो और आगे ऐसा न करने का लिखित आश्वासन दो.
लिखित आश्वासन के बाद काम पर लौटे हड़ताली जागरणकर्मी
(दैनिक जागरण, नोएडा के कर्मियों द्वारा हड़ताल की जानकारी मिलने पर जनपक्षधर पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव कैमरे समेत मौके पर पहुंचे और फोटोग्राफी में जुट गए)
अरसे से अपने पत्रकारों, कर्मचारियों को अपना दास समझने वाले दैनिक जागरण समूह के मालिकों पहली बार सामूहिक शक्ति के सामने झुकना पड़ा है. दैनिक जागरण के मीडिया कर्मचारी इस मीडिया हाउस के समूह संपादक व सीर्इओ संजय गुप्ता के लिखित आश्वासन के बाद ही हड़ताल समाप्त करने को राजी हुए और काम पर वापस लौटे. मैनेजर टाइप लोगों के लालीपाप थमाकर हड़ताल खत्म कराने के तमाम प्रयास फेल होने के बाद संजय गुप्ता को मजबूरी में लिखित आश्वासन देकर मामला सुलझाना पड़ा. बताया जा रहा है कि दिल्ली चुनाव के चलते गुप्ता एंड कंपनी ने तात्कालिक तौर पर यह रास्ता अपनाया है और किसी को परेशान न करने का लिखित वादा किया है.
दैनिक जागरण, नोएडा के हड़ताल की आंच हिसार तक पहुंची
दैनिक जागरण, नोएडा में कर्मचारी सड़कों पर उतर गए हैं. प्रबंधन की दमनकारी और शोषणकारी नीतियों के खिलाफ कर्मचारियों का सालों से दबा गुस्सा अब छलक कर बाहर आ गया है. मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर एक संपादकीय कर्मचारी का तबादला किए जाने के बाद सारे विभागों के कर्मचारी एकजुट होकर हड़ताल पर चले गए हैं. मौके पर प्रबंधन के लोग भी पहुंच गए हैं, लेकिन कर्मचारी कोई बात सुनने को तैयार नहीं हैं. प्रबंधन ने सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस बल को बुला लिया है, लेकिन प्रबंधन के शह पर सही गलत करने वाली नोएडा पुलिस की हिम्मत भी कर्मचारियों से उलझने की नहीं हो रही है.
दैनिक जागरण, नोएडा में हड़ताल, सैकड़ों मीडियाकर्मी काम बंद कर आफिस से बाहर निकले
मीडिया जगत की एक बहुत बड़ी खबर भड़ास के पास आई है. दैनिक जागरण नोएडा के करीब तीन सौ कर्मचारियों ने काम बंद कर हड़ताल शुरू कर दिया है और आफिस से बाहर आ गए हैं. ये लोग मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से वेतन नहीं दिए जाने और सेलरी को लेकर दैनिक जागरण के मालिकों की मनमानी का विरोध कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक हड़ताल की शुरुआत मशीन यानि प्रिंटिंग विभाग से जुड़े लोगों ने की और धीरे-धीरे इसमें सारे विभागों के लोग शामिल होते गए. सिर्फ संपादक विष्णु त्रिपाठी और इनके शिष्यों को छोड़कर बाकी सारे लोग हड़ताल के हिस्से बन गए हैं.
पी7 के आंदोलनकारी पत्रकारों की इस छिपी प्रतिभा को देखिए
Yashwant Singh : आंदोलन अपने आप में एक बड़ा स्कूल होता है. इसमें शरीक होने वाले विभिन्न किस्म की ट्रेनिंग लर्निंग पाते हैं. सामूहिकता का एक महोत्सव-सा लगने लगता है आंदोलन. अलग-अलग घरों के लोग, अलग-अलग परिवेश के लोग कामन कॉज के तहत एकजुट एकसाथ होकर दिन-रात साथ-साथ गुजारते हैं और इस प्रक्रिया में बहुत कुछ नया सीखते सिखाते हैं. पी7 न्यूज चैनल के आफिस पर कब्जा जमाए युवा और प्रतिभावान मीडियाकर्मियों के धड़कते दिलों को देखना हो तो किसी दिन रात को बारह बजे के आसपास वहां पहुंच जाइए. संगीत का अखिल भारतीय कार्यक्रम शुरू मिलेगा.
‘जिया न्यूज’ चैनल में हड़ताल, एसएन विनोद बता रहे मालिक को महान
जिया न्यूज़ में पिछले काफी समय से बड़े संपादकों और मालिक के चाटुकारों ने इस चैनल से जमकर मलाई खाई… और निकल लिये… पर जब चैनल के नोएडा आफिस बंद कर कर्मचारियों की सेटलमेंट की बात आई तो उंट के मुंह में जीरा आया….. ये चैनल न्यूज चैनल कम, मज़ाक ज्यादा था… हर बार आए नए अधिकारियों ने इसे जमकर लूटा और बेचारे कर्मचारी हाथ मलते रह गये…. पहले जाय सेबस्टियन फिर एसएन विनोद फिर जेपी दीवान फिर एसएन विनोद और आखिर में चैनल का बंटाधार… बस यही कहानी है इस चैनल की….
‘पी7 न्यूज’ के निदेशक केसर सिंह को हड़ताली कर्मियों ने बंधक बनाया, चैनल पर चला दी सेलरी संकट की खबर
कई महीनों से सेलरी के लिए लड़ाई लड़ रहे पीएसीएल / पर्ल समूह के न्यूज चैनल पी7 न्यूज के हड़ताली कर्मचारियों के सब्र का बांध आज टूट गया. इन कर्मियों ने अपने ही चैनल पर सेलरी संकट की खबर चलाlते हुए चैनल का प्रसारण रोक दिया. साथ ही कई महीनों की बकाया सेलरी देने की मांग करते हुए चैनल के निदेशक केसर सिंह को उनके केबिन में ही बंधक बना लिया. कर्मचारियों का आरोप है कि केसर सिंह गुपचुप तरीके से चैनल बंद कर भागने और बकाया सेलरी हड़पने की फिराक में थे.