नोएडा : 12 मई को हर रोज की तरह वह चौथी दुनिया के कार्यालय गया। उसने अपना काम शुरू किया। उसे नहीं पता था कि उसके खिलाफ साजिशें हो चुकी हैं। दोपहर करीब 1 बजे तक वह अपना काम करता रहा। उसके बाद खाने के लिए बाहर गया। उसके बाहर होने रहने के दौरान पहले उसके कंप्यूटर का पासवर्ड बदला गया। वह वापस आया तो रिसेप्शन पर बताया गया कि जाकर रामपाल जी से बात कर लें, कुछ खास काम है। उस समय तक भी उसे पता नहीं था कि आज इस कार्यालय में उसका आखिरी दिन होगा।
वह उत्साह के साथ रामपाल भदौरिया से मिलने के लिए गया। जब वह अंदर केबिन में गया तो उसके सामने कुछ पेपर पड़े थे जिस पर हस्ताक्षर करने के लिए उसे बोला गया। उसने देखा तो वह इस्तीफे का पत्र था। उसने कारण पूछा तो बताया गया कि आपका काम अच्छा नहीं चल रहा है इसलिए कंपनी को अब आपकी जरूरत नहीं है। उसने संतोष भारतीय से बात करने की बात कही लेकिन रामपाल ने मना कर दिया। उस पत्रकार को केवल 12 मई तक के वेतन का चेक थमा कर उससे पेपर पर हस्ताक्षर करने को कहा गया। उसने जब मना किया तो उसे धमकी दी गई कि अगर तुम हस्ताक्षर नहीं करते हो, तो तुम्हारा करियर खत्म कर दिया जाएगा।
उसे बहुत कुछ कहा गया जिससे वह घबरा गया और साइन कर दिया। लेकिन इन लोगों की गुंडागर्दी वहीं नहीं थमी। जब उसने कहा कि उसके कंप्यूटर पर कुछ स्टोरी तथा उसके कुछ निजी दस्तावेज हैं, जिसे वह लेना चाहता है, तो उसे मना कर दिया गया। उसके साथ दो तीन लोगों को लगा दिया गया। उसके कंप्यूटर का पासवर्ड तो पहले ही बदला जा चुका था, इसके बावजूद उसे एडिटोरियल में जाने से रोक दिया गया। सुरक्षा गार्ड को उसे बाहर करने के लिए कहा गया। यहां तक की उसे बैग लेने के लिए भी कार्यालय में नहीं जाने दिया गया, जो प्रथम तल पर है। अंततः उसे उसका बैग मंगाकर दे दिया गया और धमकी देकर आफिस से बाहर निकाल दिया गया।
दूसरे दिन उसने अपने कुछ दोस्तों से बात की, जिन्होंने उसे अपना पैसा लेने के लिए फिर से चौथी दुनिया जाने के लिए कहा। बहुत साहस करके वह सोमवार (15 मई) को चौथी दुनिया गया। दरवाजे पर उसे रोक दिया गया। उसने कहा कि रामपाल जी से उसे बात करनी है। लेकिन गार्ड को तो पहले ही कह दिया गया था कि उसे अंदर न आने दिया जाए। जब उसने रामपाल भदौरिया को फोन किया तो रामपाल ने उसे फिर से धमकी देना शुरू कर दिया। फोन पर उसे गाली भी दिया। रामपाल अपने ओहदे के नशे में इतना चूर है कि उसने उस पत्रकार को उसकी औकात बतानी शुरू कर दी।
फोन पर हुई इस पूरी बातचीत की रिकार्डिंग भी उसके पास है। जब रामपाल ने उससे मिलने और उसका पैसा देने से मना कर दिया तो उसने पुलिस को फोन किया। कुछ समय बाद पुलिस आई और फिर वह पुलिस के साथ अंदर गया। पुलिस अंदर तो चली गई लेकिन उसने सामान्य तरह से दोनों की बात सुनकर अपनी औपचारिकता निभा दी। उस पत्रकार को पैसा तो नहीं मिला लेकिन पुलिस ने कहा कि अगर वह चाहे तो उन लोगों के खिलाफ शिकायत लिखा सकता है। उसे नोएडा सेक्टर 24 के थाने में आकर रिपोर्ट लिखवाने को कहा गया। वह थाना गया और इन लोगों के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाया। रिपोर्ट के ऊपर कार्रवाई होनी अभी बाकी है लेकिन इस बीच उस पत्रकार के पास कई नंबर से धमकी भरे फोन आ चुके हैं और उसे अपनी शिकायत वापस लेने के लिए कहा जा रहा है।
कंपनी के द्वारा शोषण और कर्मचारियों का उत्पीड़न करने का आलम यह है कि पिछले एक महीने में अखबार के महत्वपूर्ण सदस्य व संतोष भारतीय के बेहद करीबी माने जाने वाले समन्वय संपादक समेत लगभग चार लोग संस्था छोड़ चुके हैं। इसमें एक कैमरामैन, एक वीडियो एडिटर भी शामिल है। संतोष भारतीय, मैनेजर सुरेश त्रिवेदी और रामपाल सिंह भदौरिया द्वारा यहां काम कर रहे गिने चुने कर्मचारियों को तरह—तरह से प्रताड़ित किया जाता ह़ै। संस्था ने कर्मचारियों को प्रताड़ित करके व बिना किसी कारण बाहर निकालने का यही तरीका पिछले कई सालों से अपना रखा ह़ै। आज से 3 साल पहले तक चौथी दुनिया के सभी संस्करणों में लगभग 50 लोगों की टीम काम करती थी लेकिन आज नाममात्र दर्जन भर लोग भी नहीं बचे हैं। अंग्रेजी संस्करण के अलावा कई सप्लीमेंटस भी बंद किये जा चुके हैं। चौथी दुनिया से निकाले गये पत्रकार ने बताया कि वह चौथी दुनिया की तानाशाही, शोषण और गुंडागर्दी के खिलाफ मुहिम छेड़ना चाहता है और आने वाले दिनों में वह चौथी दुनिया के काले सच को बाहर लायेगा।