समाजवादी पार्टी का युवा चेहरा अखिलेश यादव दोहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। वर्ष 2017 के विधान सभा चुनाव पार्टी अखिलेश को आगे करके ही लड़ने का मन बना रही है। प्रदेश में कानून व्यवस्था का बुरा हाल है। उनके मंत्रियों पर भी भ्रष्टाचार-दबंगई के आरोप लग रहे हैं। इन मुद्दों पर वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार की मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से बातचीत-
उत्तर प्रदेश में पत्रकार त्रस्त हैं, आरोप आपके मंत्री पर हैं ?
मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। इसे कमजोर या फिर दबाया नहीं जा सकता है। अगर आपका इशारा शाहजहांपुर में जल कर मरे पत्रकार के मामले की तरफ है तो पीड़ित परिवार के साथ मेरी पूरी सहानुभूति है। जगेन्द्र के परिवार को तीस लाख की आर्थिक मदद, दो बच्चों को सरकारी नौकरी, पत्नी को समाजवादी पेंशन और उसकी जमीन को बाहुबलियों से कब्जा मुक्त कराने का आदेश दे दिया है। पत्रकारों का उत्पीड़न किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। राजनीति में इस तरह के आरोप लगते रहते हैं। जांच निष्पक्ष रूप से चल रही है। जांच से पहले केवल आरोप के आधार पर किसी को दंडित या गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। पूर्व में भी आरोपों के चलते हमने अपने मंत्रियों राजा भैय्या और पंडित सिंह से इस्तीफा लिया था, लेकिन जांच में वह बेकसूर निकले। बदांयू कांड में भी ऐसा ही हुआ था। आरोप कुछ लगे थे और जांच में कुछ और खुलासा हुआ था। पत्रकार जगेन्द्र की मौत की जांच रिपोर्ट जल्द ही आयेगी, जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी।
क्या सरकार सही दिशा में जा रही है ?
यह मैं कैसे बताऊं। मेरे संतुष्ट होने न होने से कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ता है। वैसे सरकार की सफलता का पैमाना यही होता है कि जिस योजना का वह उदघाटन करे, उसे समय रहते पूरा कर ले।आज से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ,लेकिन अब ऐसा हो रहा है।सरकार से अधिक जनता को सतुष्ट होना चाहिए। मैं मुख्यमंत्री बना था तब मेरे पास शासन-प्रशासन का कोई अनुभव नहीं था,सिवाय इसके की मैंने एक राजनैतिक परिवार में जन्म लिया था,लेकिन मैंने इस बात की परवाह नहीं की।मैं राजनीति में पाने के लिये नहीं, कुछ करने के लिये आया था।काम के प्रति मेरी निष्ठा में न तो तब कमी थी, न आज है।मैं अपना काम पूरी ईमानदारी से करता हूं। इसी लिये आधी बाधाएं तो वैसे ही दूर हो जाती हैं। मेरी नियत साफ है।मैं इसे ऊपर वाले का आशीर्वाद मानता हूं। जनता से किये गये वायदे पूरा करना मेरा कर्तव्य ही नहीं राजनैतिक धर्म भी है, जिसे मैं निभा रहा हूं।
जनता सतुष्ट है ?
इसका कोई पैमाना नहीं है। सर्वे सरकार के पक्ष में आ रहे हैं। इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है कि विरोधी भी सरकार के कामकाज की तारीफ कर रहे हैं।
आपका इशारा मोदी जी की तरफ?
मेरी कोई प्रशंसा नहीं कर रहा है। प्रशंसा मेरे काम की हो रही है। विरोधियों को मुझमें कोई कमी नहीं दिख रही है इसलिये उन्हें प्रशंसा तो करनी ही पड़ेगी। इसे अन्यथा नहीं लिया जाना चाहिए। केन्द्रीय उर्जा और स्वास्थ्य मंत्री ने भी प्रदेश में हो रहे विकास के काम की सराहना की है।
मोदी विदेश बहुत घूम रहे हैं ?
कुछ सोचते हुए,जब मैं कहता हॅू कि देश में निवेश को बढ़ावा देने के लिये इस तरह को विदेशी दौरे आवश्यक हैं तो हमारे विरोधी कहने लगते हैं कि वह(अखिलेश यादव)खुद विदेश में घूमते रहते हैं तो पीएम पर कैसे उंगली उठायेंगे। ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में हम अपने तक सिमट कर नहीं रह सकते हैं।दौरों के चलते ही देश और प्रदेश में विदेशी निवेश आ रहा है।बसपा राज में उद्योगपतियों ने यूपी से किनारा कर लिया था,अब ऐसा नहीं है।प्रदेश में आद्योगिक विकास का माहौल बन रहा है।मोदी जी भले ही मेरी तारीफ करते हों,लेकिन मै प्रधानमंत्री से संतुष्ट नही हॅू।
कारण ?
बहुत क्लीयर है। प्रधानमंत्री बनने के समय उन्होंने कहा था कि मैं न तो खाऊंगा,न खाने दूंगा। उनकी चार-चार ‘देवियों’ पर उंगली उठ रही है। जरा-जरा सी बात पर ट्वीट करने वाले मोदी से इस मुद्दे पर भी मैं ट्वीट की उम्मीद तो कर ही सकता हूं।
विधान सभा चुनाव का समय करीब आ रहा है ?
हमारे लिये चुनाव चिंता का विषय नहीं हैं। हमने काम करके दिखाया है। लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी की हालत खस्ता है। कई उप-चुनाव हार चुकी है।उसके पास कोई ऐसा चेहरा नहीं है जिसे वह सीएम के रूप में आगे कर सके,इसलिये मोदी के नाम पर राज्य में चुनाव लड़ने की बात हो रही है।
आपका मुकाबला किससे है ?
मुकाबले में कोई नजर नहीं आ रहा है। बसपा-भाजपा अपने नेताओं की तानाशाही के कारण रसातल में जा रही हैं। कांग्रेस का मनोबल टूटा हुआ है।
मिशन 2017 पर जल्दी काम शुरू हो गया ?
इसमें बुराई क्या है। पिछले तीन-साढ़े तीन वर्षो में हम जनता के विश्वास पर खरे उतरे हैं।सरकार ने पढ़ाई, दवाई और सिंचाई मुफ्त की है। वूमेन पवर लाइन 1090, यमुना एक्सप्रेस वे, जन कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी प्राप्त करने के लिये यूपीन्यूज.इन का पोर्टल, लखनऊ में मेट्रो, प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को लैपटाप योजना, बेटियों की शिक्षा और विवाह लिये योजनाएं, गरीबों के लिये लोहिया आवास, समाजवादी पेंशन योजना, विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिभाशाली बच्चों का सम्मान, प्रदेश के बुजुर्गो के लिये समाजवादी श्रवण यात्रा,बेरोजगारों के लिये स्किल डेवलेपमेंट प्रोग्राम, नये मेडिकल कालेज, महिला सुरक्षा कोष का निर्माण, बिना केन्द्र की मदद के आपदाग्रस्त किसानों को चार हजार करोड़ रूपये बांटना जैसी तमाम कल्याणकारी और विकासपरक योजनाएं ही हमें पुनः सत्ता में वापस लायेंगी। शुरू में जो लोग हमारी लैपटाप योनना को झुनझुना बता रहे थे, वह ही लोग अब वाई-फाई की बात कर रहे हैं।
सीएम के ऊपर चार-साढ़े चार सीएम और सुपर सीएम की चर्चा…..?
मुस्कुराते हुए। शुरूआती दौर में विरोधियों ने राजनैतिक फायदे के लिये ऐसा प्रचार किया था। उन्हें लगता था जरा सा लड़का क्या प्रदेश चलायेगा। इसी वजह से उन्हें यह कहने का मौका मिल गया कि मैं तो मुखौटा मात्र हॅूं, लेकिन अब क्या इस तरह की चर्चा होती है ? जो भी निर्णय लेता हॅू उस पर कठोरता से अमल करवाता हॅू। मैं मुख्यमंत्री हूं, इसका मतलब यह नहीं है कि मैं भी अन्य नेताओं की तरह अहंकारी हो जाऊं। मेरी विनम्रता को लोग कमजोरी समझते हैं तो समझते रहें।
सरकार पर आरोप लगते हैं कि वह गुंडे-माफिया को संरक्षण देती है? विरोधियों का नारा है,‘जिस गाड़ी पर सपा का झंडा, समझो बैठा उसमें…..?
यह सही नहीं है। विरोधी भ्रामक प्रचार कर रहे हैं। मैंने या मेरी सरकार ने कभी अपराधियों को संरक्षण दिया, न कभी दूंगा। इस दौरान जितने अपराधी जेल की सलाखों के पीछे गये, वह एक रिकार्ड है। ऐसे आरोपों में सच्चाई कम, राजनीति ज्यादा होती है, जिनके दामन खुद दागदार हैं, वह ही दूसरों पर उंगली उठाते हैं। पिछले शासनकाल में एक आईएएस ने आत्महत्या की। चिकित्साधिकारियों की हत्याएं हुईं। उस समय के तमाम भ्रष्टाचारी आज जेल में हैं। इनके खिलाफ जांच चल रही है। तमाम अपराधिक किस्म के लोगों के पुलिस से बचने के लिये पार्टी के झंडे का दुरूपयोग करने की मुझ तक शिकायतें आई हैं। ऐसे लोगों के विरूद्ध कार्रवाई का आदेश जारी किये जा रहे हैं। अब केवल अधिकृत पदाधिकारियों के अलावा कोई नेता या कार्यकर्ता सपा का झंडा लगाकर गाड़ी में नहीं घूमेगा। अनधिकृत रूप से पार्टी का झंडा लगाकर घूमने वालों के खिलाफ अभियान चलाया जायेगा।
विरोधियों का कहना है कि प्रदेश में जंगलराज जैसे हालात हैं ?
हां, पहली नजर में ऐसा लगता है कि प्रदेश की कानून व्यवस्था कुछ खराब है। हमने पुलिस के आला अफसरों को सख्त हिदायत दी है कि किसी भी मामले में एफआईआर लिखने में जरा भी हीलाहवाली न की जाये। बसपा राज में क्या होता था, सब जानते हैं। भुक्तभोगी को रिपोर्ट लिखाने के लिये अदालत के चक्कर लगाने पड़ते थे। फिर भी हम निश्चिंत होकर नहीं बैठे हैं। अपराध कहां नहीं हो रहे हैं, लेकिन यूपी को लेकर ज्यादा ही चर्चा की जाती है। गुंडों-माफिया की पार्टी में कोई जगह नहीं है। ऐसी शिकायतें मिलने पर कई लोगों के खिलाफ कारवाई तो हो ही रही है, उन्हें पार्टी से बाहर का भी रास्ता दिखा दिया गया है।
कुछ दार्शनिक अंदाज में मुख्यमंत्री एक संत की कथा सुनाते हैं। संत महात्मा प्रवचन दे रहे थे। इसी बीच एक भक्त के सवाल का समाधान करने के लिये वह तेजी से खड़े हुए और मंच पर लगी सफेद चादर पर पेंसिल से एक छोटा सा गोला बिना दिया। इसके बाद उन्होंने बारी-बारी से कई भक्तों से प्रश्न किया,‘ उन्हें क्या दिखाई दे रहा है, ‘सब ने एक ही उत्तर दिया, चादर पर दाग लगा हैं। संत बोले, बस यही फर्क है। पूरी चादर सफेद है, यह किसी को नहीं दिखाई दे रहा है। ऐसा ही मेरे और मेरी सरकार के साथ हो रहा है। विकास के जो काम तेजी से हो रहे हैं वह सफेदी किसी को नहीं दिखाई दे रही है। टपुट घटनाओं की कालिख लगाई जा रही है। र भी हमारा प्रयास है कि इन घटनाओं पर अंकुश लगे। भियान चलाकर अपराधियों और माफिया के विरूद्ध जल्द ही कार्रवाई शुरू की जायेगी।
भ्रष्टाचार से सरकार की छवि पर बट्टा लगा है ?
जब भी कोई पार्टी सत्ता में आती है तो तमाम मौकापरस्त लोग उसी पार्टी का लबादा ओढ़ लेते हैं।ऐसा कमोवेश सभी सरकार के साथ होता रहा है।अपराधियों और भ्रष्टाचारियों का कोई दल या सिद्धांत नहीं होता है।भ्रष्टाचार के मामले में सामने आने वाले शैलेन्द्र अग्रवाल का मामला भी इसी तरह का है।सरकार की तत्परता के कारण ही वह जेल पहुंचा है,जिसने जो भी गुनाह किया है,उसे उसकी सजा जरूर मिलेगी।नोयडा अथार्रिटी के भ्रष्ट इंजीरियर यादव सिंह के खिलाफ भी कठोर कारवाई हुई है।
नेताजी आपकी सरकार की कई बार खिंचाई कर चुके हैं ?
यही तो समस्या है।अगर नेताजी(मुलायम सिंह)चुप रहते हैं तो लोग कहते हैं पुत्र मोह में उन्होंने सरकार की तरफ से आंखे मूंद रखी हैं और जब वह हमें दिशा-निर्देश देते हैं तो कहा जाता है कि वे अपनी ही सरकार के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं।नेताजी,मेरे पिता के साथ-साथ पार्टी के मुखिया भी हैं।वे मन से मुलायम हैं,निर्णय लेने में कठोर।उनके(मुलायम) कट्टर विरोधी भी यह बात जानते हैं।पार्टी या सरकार में कहीं कोई मतभेद नहीं है।अब आप ही सोचिए,नेता जी अगर सार्वजनिक रूप से हमें नहीं डांटे तो लोग कहते हैं कि वो सुपर सीएम हैं और जब डांटते हैं तो साफ हो जाता है कि सरकार मैं ही चला रहा हूं। अब चार,साढ़े चार या सुपर सीएम की बात कहीं चर्चा में है।
कुछ मोदी सरकार का काम संतोषजनक है ?
मोदी सरकार को दिखावा करने की ज्यादा रूचि है।जो काम यूपी करता है,वह काम बाद में केन्द्र करता है। यह एक चालू पार्टी की सरकार है जिसका मुखिया भी चालू है।अच्छे दिन की बात करते थे, कहां गये अच्छे दिन।सब जानते हैं क्या हो रहा है।यूपी में भाजपा के 73 सांसद हैं,लेकिन इसमें से एक-दो को छोड़कर सब के सब सत्ता के नशे में चूर हैं।उमा भारती की मैं प्रशंसा करता हॅू।उनकी वजह से मध्य प्रदेश से पानी सहजता से मिल गया।बाकी सभी सांसद भी दलगत राजनीति से ऊपर उठकर यदि प्रदेश की 20 प्रतिशत भी मदद कर दें तो यूपी की तस्वीर बदल जायेगी।
योग के कारण मोदी चर्चा में हैं ?
मोदी की तरह चर्चा में रहने का गुण सबको नहीं आता है।योग पर विवाद गलत है।जब किसी काम को करते समय नियत में खोट होती है तो विवाद पैदा हो ही जाता है। योग का अभियान चलाने वाले लोग हैवी वेटेड हैं। इसे धर्म से जोड़ने का काम भगवा खेमें ने किया, वर्ना तो कई सदियों से लोग शांतिपूर्वक योग कर रह थे।
भाजपाई साम्प्रदाकिता का आरोप लगाते हैं। आजम खां के बयानों से खासकर उनको शिकायत है ?
हम लोहिया-जेपी के दिखाये समाजवाद के रास्ते पर चलते हैं।जहां सबका विकास तय होता है।भाजपा वाले जातिवादी,समाजघाती और साम्प्रदायिकता की राजनीति करते हैं।आजम खां पार्टी और सरकार के जिम्मेदार नेता हैं।वह बिना सोचे-समझे नहीं बोलते।वह अल्पसख्यकों का दुख-दर्द समझते हैं।अगर वह यह दर्द सार्वजनिक करते हैं तो इसमें बुराई क्या है।अल्पसंख्यकों का दिल जीतने का काम हमारी पार्टी और सरकार कर रही है।
आपके मन की बात ?
मैं न तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राहुल गांधी आदि तमाम नेताओं की तरह अपने नाम और काम की मार्केंटिग कर पाया और न ही मीडिया मैनेजमेंट की कला मुझे आई।जिस वजह से प्रदेश के दूरदराज इलाकों की बात छोड़ भी दी जाये तो लखनऊ के ग्रामीण इलाको की भी बड़ी आबादी मेरे चेहरे और नाम से परिचित नहीं है।कुछ दिनों पहले की बात है।मैं लखनऊ के ग्रामीण इलाकों का दौरा करने गया था।दौरे के दौरान प्राथमिक और जूनियर स्कूलों का भी निरीक्षण किया।जूनियर स्कूल के निरीक्षण के दौरान मेरे साथ गये एक मंत्री ने आठवीं क्लास के बच्चे से मेरी तरफ इशारा करते हुए पूछा,‘जानते हो कौन है ?मंत्री का सवाल सुनते ही बच्चा तुरंत बोला,‘राहुल गांधी हैं।’यह जवाब सुनकर बच्चे के साथ खड़े टीचरों के चेहरे की हवाइयां उड़ गईं।मगर मैं समझ गया था कि यह बच्चे की नहीं मेरी गलती है।अगर मैं भी नरेन्द्र मोदी,राहुल गांधी,अरविंद केजरीवाल आदि की तरह अपने चेहरे और नाम का प्रचार करता तो यह स्थिति नहीं आती।इसी के साथ अखिलेश जोड़ देते हैं,’वैसे तो नाम में कुछ नहीं रखा है,लेकिन चुनावी राजनीति में चेहरे और नाम की महत्ता से इंकार भी नहीं किया जा सकता है।
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