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उत्तर प्रदेश

सहारनपुर में पीड़ित दलितों को सबक सिखाने पर उतारू है जोगी सरकार!

लखनऊ : सहारनपुर में पीड़ित दलितों को सबक सिखाने पर उतारू है जोगी सरकार… यह बात आज एस.आर. दारापुरी, पूर्व आई.जी. तथा संयोजक, उत्तर प्रदेश जनमंच ने प्रेस को जारी ब्यान में कही है. उन्होंने कहा है कि एक तरफ सरकार भीम आर्मी के नाम पर तीन दर्जन दलित युवकों को गिरफ्तार करती है जिनमें 80% छात्र हैं, दूसरी तरफ शब्बीरपुर में 5 मई को दलितों पर हमले के दोषियों में से केवल 9 लोगों को ही गिरफ्तार करती है. इसके साथ ही हमले के शिकार 9 दलितों को भी गिरफ्तार कर लेती है तथा उसके बाद कोई गिरफ्तारी नहीं करती है.

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लखनऊ : सहारनपुर में पीड़ित दलितों को सबक सिखाने पर उतारू है जोगी सरकार… यह बात आज एस.आर. दारापुरी, पूर्व आई.जी. तथा संयोजक, उत्तर प्रदेश जनमंच ने प्रेस को जारी ब्यान में कही है. उन्होंने कहा है कि एक तरफ सरकार भीम आर्मी के नाम पर तीन दर्जन दलित युवकों को गिरफ्तार करती है जिनमें 80% छात्र हैं, दूसरी तरफ शब्बीरपुर में 5 मई को दलितों पर हमले के दोषियों में से केवल 9 लोगों को ही गिरफ्तार करती है. इसके साथ ही हमले के शिकार 9 दलितों को भी गिरफ्तार कर लेती है तथा उसके बाद कोई गिरफ्तारी नहीं करती है.

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यह भी ज्ञातव्य है कि 9 मई को भीम आर्मी की प्रशासन के साथ झड़प भी प्रशासन की ही गलत कार्रवाही का परिणाम थी क्योंकि उस दिन जिला प्रशासन द्वारा ही भीम आर्मी के सदस्यों को शब्बीर पुर के मामले में पीड़ितों को मुयाव्ज़ा घोषित न करने तथा हमलावरों की गिरफ्तारियां न करने को लेकर रविदास छात्रावास में शांतिपूर्ण ढंग से की जाने वाली मीटिंग न करने देने, उन्हें गाँधी पार्क में भेजने तथा वहां पर भी उन पर लाठी चार्ज करके खदेड़ देने के कारण ही हुयी थी. इसके बाद जिला प्रशासन ने शब्बीरपुर के दलितों पर हमले के मामले में न तो शीघ्रता से मुयाव्ज़े की घोषणा की और न ही हमलावरों की गिरफ्तारियां ही कीं. इससे दलितों को आभास हुआ कि प्रशासन दलितों के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैया तथा हमलावरों के प्रति नर्म रुख अपना रहा है.

कल उत्तर प्रदेश के गृह सचिव का यह ब्यान कि “भीम आर्मी के संस्थापक चन्द्र शेखर के सरेंडर करने के मंसूबों को पूरा नहीं होने दिया जायेगा” भी जोगी सरकार का दलितों को सबक सिखाने की कार्रवाही का ही प्रतीक है. यह सर्विदित है कि किसी भी आरोपी को पुलिस अथवा कोर्ट के सामने सरेंडर करने का अधिकार है. क्या इस मामले में प्रशासन द्वारा चन्द्र शेखर को कोर्ट में सरेंडर करने से रोकने को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लेना दलित विरोधी मानसिकता का प्रतीक नहीं है? जहाँ तक उसकी पुलिस द्वारा गिरफ्तारी का प्रश्न है उसने तो 21 मई को दिल्ली में उत्तर प्रदेश पुलिस के सामने गिरफ्तारी हेतु आत्मसमर्पण किया ही था. तब उसकी गिरफ्तारी क्यों नहीं की गयी?

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एक तरफ जहाँ शब्बीरपुर में दलित लड़कियों की शादी में राजपूतों की हिस्सेदारी उनके गांव में जातीय सौहार्द को पुनर्स्थापित करने के प्रयास का प्रतीक है वहीं प्रशासन द्वारा भीम आर्मी की आड़ में दलितों का उत्पीड़न करना तेजी से लौट रहे जातीय सौहार्द को बिगाड़ने का प्रयास है. अतः जनमंच जोगी सरकार से यह मांग करता है कि सहारनपुर में भीम आर्मी की आड़ में दलितों को सबक सिखाने के लिए की जा रही उत्पीड़न की कार्रवाही को तुरंत रोका जाये, शब्बीरपुर के दोषियों को गिरफ्तार किया जाये, स्थिति को सही ढंग से सँभालने में चूक करने वाले अधिकारियों को दण्डित किया, जातीय नव सामंतों के बढ़े हुए मनोबल पर रोक लगाई जाये तथा हमले में घायल लोगों के उचित इलाज़ की व्यवस्था की जाये.

एस.आर. दारापुरी
संयोजक, उत्तर प्रदेश जनमंच
मोब: 9415164845

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0 Comments

  1. akki

    June 4, 2017 at 7:03 am

    UP me jabse yogi sarkar aayi hai tab se jo purani govt jobs ki vacancy band kardi hai aur nayi vacancy bhi nahi aahi hai
    is mudde ko koi bhi media nahi likh rahi hai aisa lag raga hai jaise media ne cash paise lekar apna muh band kar liya hai

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