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इलेक्टोरल बांड की खबर नहीं देना भ्रष्टाचार नहीं है?

भाजपा के भ्रष्टाचार की एक शैली है, पोस्ट रेड बांड (छापे के बाद बांड – से वसूली) – कांग्रेस के इस आरोप को द हिन्दू ने छापा है; अखबारों ने तो इसका विज्ञापन छापने से भी मना कर दिया

संजय कुमार सिंह

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आज मेरे ज्यादातर अखबारों में अरविन्द केजरीवाल की गिरफ्तारी से संबंधित खबरें लीड हैं। उसपर आने से पहले बता दूं कि द टेलीग्राफ में मास्को की हिन्सा की खबर लीड है और द हिन्दू में कांग्रेस का आरोप। जो दूसरे अखबारों में नहीं है। केजरीवाल की खबर जहां लीड नहीं है वहां सेकेंड लीड है। द हिन्दू ने इसे पांच कॉलम में छापा है और शीर्षक है – “कांग्रेस ने कहा, भाजपा ने इलेक्टोरल बांड के जरिये ‘घूस’ को वैध बना दिया”। उपशीर्षक है, पार्टी ने भाजपा पर आरोप लगाया कि उसने इलेक्टोरल बांड का उपयोग चार तरह के भ्रष्टाचार के लिए किया। इनमें प्रीपेड, पोस्टपेड और पोस्ट रेड रिश्वत शामिल है। पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इस योजना की जांच कराने की मांग की है और कहा, अगर सत्ता में आई तो इंडिया इसकी जांच करायेगी। अखबार ने गंभीर आरोप शीर्षक से तीन आरोपों को प्रमुखता से प्रकाशित किया है और साथ ही पार्टी महासचिव जयराम रमेश का यह आरोप भी तस्वीर के साथ प्रकाशित किया है, वे (भाजपा) किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी गारंटी नहीं बना सकते हैं पर रिश्वत को कानूनी जामा पहना दिया है

अरविन्द केजरीवाल से संबंधित खबरों और शीर्षक में बताया गया है कि हाईकोर्ट ने अर्जेन्ट सुनवाई की उनकी अपील पर सुनवाई नहीं की। दिल्ली के मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी दिल्ली के अखबारों के लिए साधारण बात नहीं है। उसका संबंध इलेक्टोरल बांड से तो है ही, चुनाव का समय भी है। अमर उजाला का शीर्षक है, केजरीवाल को झटका हाईकोर्ट का जल्द सुनवाई से इन्कार, जेल में ही मनेगी होली। उपशीर्षक है, शराब घोटाले में गिरफ्तारी के खिलाफ लगाई थी गुहार, अवकाश के बाद 27 मार्च को ही हो सकती है मुख्यमंत्री की याचिका पर सुनवाई। दूसरी ओर, टाइम्स ऑफ इंडिया में इस खबर का शीर्षक है, चुनाव से पहले ‘अवैध’ गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल हाईकोर्ट पहुंचे। उपशीर्षक है, अर्जेन्ट सुनवाई की मांग लेकिन कोर्ट 27 मार्च से पहले इसपर शायद ही सुनवाई करे। खबर के अनुसार  संभव हो तो इतवार को सुनवाई करने की अपील की गई है लेकिन हाईकोर्ट के  सूत्रों ने संकेत दिया कि मामला आगे चलकर बुधवार (27 मार्च) को जब होली की छुट्टी के बाद हाईकोर्ट खुलेगा या उसके बाद लिस्ट किया जायेगा। हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर का शीर्षक है, केजरीवाल ने हाईकोर्ट में अपील की, अर्जेन्ट सुनवाई से इन्कार”। इस खबर में कोई उपशीर्षक नहीं है। पर खबर में लिखा है, दिल्ली हाईकोर्ट ने शनिवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के वकीलों द्वारा उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ की गई अपील पर तत्काल सुनवाई करने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।

यहां खास बात यह है कि कल केजरीवाल की पत्नी ने उनका एक संदेश सार्वजनिक किया। द टेलीग्राफ ने उसे पहले पन्ने पर छापा है और सेकेंड लीड है। शीर्षक है, पत्नी के जरिये केजरीवाल की कल्याण गारंटी। टाइम्स ऑफ इंडिया ने आज पहले पन्ने पर लीड के साथ एक तस्वीर छापी है। इसका कैप्शन है, मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की पत्नी सुनीता शनिवार को उनसे मिलने के बाद ईडी कार्यालय से बाहर निकलते हुए। पीएमएलए कोर्ट ने उन्हें हर दिन आधे घंटे के लिए मिलने की अनुमति दी है। जाहिर है, पत्नी उनसे मिलेंगी जो जनता को उनका संदेश दे सकती हैं। और इस लिहाज से मुख्यमंत्री का संदेश जनता के लिए महत्वपूर्ण है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी इसे मुख्य खबर के साथ छापा है। अमर उजाला ने इसे अपनी मूल खबर के साथ दो कॉलम में दो लाइन के शीर्षक के साथ पांच लाइनों में छापा है।

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इस मामले में खास बात यह भी है कि अरविन्द केजरीवाल की पत्नी आईआरएस अधिकारी रही हैं और अब एक गृहणी के रूप में मतदाताओं के समक्ष मुख्यमंत्री का संदेश पढ़ रही थीं।। निश्चित रूप से यह आम आदमी पार्टी की राजनीति है और रेखांकित तो किया ही जाना चाहिये। टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसे भी पहले पन्ने पर मूल खबर के साथ रखा है और दूसरे आरोप भी हैं जैसे केजरीवाल मामले में वायदा माफ गवाह पी शरतचंद्र रेड्डी ने भाजपा को इलेक्टोरल बांड के जरिये 59.5 करोड़ रुपये दिये हैं। रेड्डी खुद गिरफ्तार हुए थे और मेडिकल ग्राउंड पर जमानत मिली है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि ईडी ने उनकी जमानत का विरोध नहीं किया और बाद में भाजपा को इलेक्टोरल बांड से 50 करोड़ रुपये मिले। इस मामले में और भी कई खबरें हैं जो अलग अखबारों में हैं या नहीं हैं। पाठकों को इसका ख्याल रखना चाहिये कि उनका अखबार उन्हें क्या बता रहा है और क्या नहीं? टाइम्स ऑफ इंडिया में कई खबरें एक साथ हैं।

इंडियन एक्सप्रेस ने केजरीवाल के संदेश को लीड बनाया है और शीर्षक है, जल्दी ही वापस आउंगा …. इसके लिए भाजपा से घृणा न करें पत्नी ने केजरीवाल का संदेश पढ़ा। उपशीर्षक में बताया गया है कि हाईकोर्ट में अपील की और यह भी कि भाजपा ने कहा, किसी को उनके लिए सहानुभूति नहीं है। इस उपशीर्षक के नीचे एक तस्वीर है जिसका कैप्शन है, अरविन्द केजरीवाल की पत्नी सुनीता और बेटी हर्षिता डी राजा और अन्य भाकपा नेताओं के साथ। इंडियन एक्सप्रेस ने आज यह भी प्रमुखता से छापा है कि इस मामले में जर्मनी ने कहा है कि उसे उम्मीद है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के मामले में उचित प्रक्रिया का पालन किया जायेगा। सरकार ने इसके जवाब में जर्मन दूतावास के उप प्रमुख को तलब करके विरोध जताया है। यह भी गंभीर मामला है। मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी पर दूसरा देश क्यों नहीं बोले और बोले तो सरकार को क्या दिक्कत। पर वह अलग मामला है।

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मेरी चिन्ता खबर देने और नहीं देने की है। आप देखिये कि आपके अखबार ने आपको क्या बताया है। आपके लिए वह खबर है कि नहीं और जो नहीं बताया वह क्या है। इसमें इलेक्टोरल बांड से संबंधित जानकारी महत्वपूर्ण है और वह इसलिए भी सरकार यह जानकारी नहीं दे रही थी और सुप्रीम कोर्ट की सख्ती पर यह जानकारी उपलब्ध हुई है और अब यह सार्वजनिक है कि किसने किसे कब कितने पैसे दिये हैं। लेकिन कार्रवाई सिर्फ आम आदमी पार्टी और बीआरएस के खिलाफ हो रही है। इस संबंध में आज इंडियन एक्सप्रेस ने पहले पन्ने पर तीन कॉलम में खबर छापी है। अमर उजाला में दोनों पहले पन्नों पर यह खबर नहीं है। अन्ना हजारे की खबर थोड़ी दुबली हो गई है। आज शीर्षक है, केजरीवाल ने विश्वास को धोखा दिया। इसमें अन्ना ने कहा है, जो व्यक्ति भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का हिस्सा रहा वही अब भ्रष्टाचार में गिरफ्तार हो गया।

यहां इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिये कि भारत में भ्रष्टाचार पुरानी समस्या है और इसका सीधा संबंध चुनावी खर्चों से हैं। भाजपा और नरेन्द्र मोदी ने भ्रष्टाचार दूर करने के जो वादे किये और जो भ्रष्टाचार गिनाए उनका सच हम देख चुके हैं। जो आरोप थे उनमें कोई 10 साल में साबित नहीं हुआ और ना खाऊंगा ना खाने दूंगा के बाद इलेक्टोरल बांड आया जिसे असंवैधानिक करार दिये जाने के बाद भी कहा जा रहा है कि उससे काला धन खत्म होगा लेकिन जो व्यवस्था थी वह वसूली की थी और वसूली से न सिर्फ तथाकथित सफेद धन लिया जा रहा था बल्कि दावा किया जा रहा था कि जनता को यह जानने की जरूरत नहीं है कि सरकारी पार्टी को किसने कितने पैसे दिये या लिये। पीएम केयर्स और आगे है। यह भ्रष्टाचार नहीं है तो कैसे पर दूसरा मुद्दा है। केजरीवाल पर जो आरोप है वह यही है कि गोवा चुनाव के लिए पैसे लिये और खर्च हो गये इसलिए बरामद नहीं हुए।

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अब मुद्दा यह है कि चुनाव के लिए पैसे तो सब लेते रहे हैं, इलेक्टोरल बांड से भी लिये ही हैं तो केजरीवाल ने लिया भी तो क्या गलत किया? और देने वाले अगर कह रहे हैं कि उन्होंने पैसे देकर जनविरोधी नीति बनवाई तो उन्हें सजा क्यों नहीं होनी चाहिये? माफी मिलनी ही है तो निर्वाचित मुख्यमंत्री को मिलेगी (क्योंकि भाजपा पर इलेक्टोरल बांड के लिए किसी कार्रवाई की मांग ही नहीं है) या उसे जिसे रिश्वत देकर अपने हित में नीति बनवाई। भाजपा के खिलाफ तो वसूली के लिए भी कार्रवाई होनी चाहिये और एक भी मामला साबित हो तो सजा होनी चाहिये लेकिन वह मुद्दा ही नहीं है।

मेरा सवाल वही है कि आम आदमी को यह सब समझ में नहीं आये तो नहीं आये, अखबारों को क्यों नहीं समझ में आ रहा है? अगर वे विज्ञापन के लिए विरोध नहीं कर रहे हैं तो वह रिश्वत नहीं है? जहां तक सरकारी एजेंसियों के जरिये विपक्षी नेताओं को परेशान किये जाने की बात है, कल सीबीआई ने महुआ मोइत्रा के ‘ठिकानों’ पर छापा मारा था। आज उसकी खबर द टेलीग्राफ में दिखी और यही है कि कुछ नहीं मिला। आप जानते हैं कि उनपर क्या आरोप है और जो भी हैं उस मामले में उनपर कार्रवाई हो चुकी है। उनकी संसद सदस्यता खत्म हो चुकी है और इसपर सुप्रीम कोर्ट में अपील के जवाब में सरकार की ओर से कहा जा चुका है कि लोकसभा का मामला लोकसभा सचिवालय ही देखता है। इस हिसाब से सदस्यता खत्म होना सजा है और मामला खत्म हो जाना चाहिये लेकिन चुनाव से पहले उनके ‘ठिकानों’ पर छापा मार कर उन्हें बदनाम किया जा रहा है। मुझे याद नहीं है कि भ्रष्ट पार्टी की सरकार में विपक्षी दलों के साथ ऐसी ईमानदारी दिखाकर अपनी छवि बनाई जाती थी या कोई देश कह दे कि उसे उम्मीद है कि कानून का पालन होगा तो उसे आंतरिक मामलों में दखल मान लिया जाता हो। जय हो।

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अरविन्द केजरीवाल से संबंधित खबरों और शीर्षक में बताया गया है कि हाईकोर्ट ने अर्जेन्ट सुनवाई की उनकी अपील पर सुनाई नहीं की।अखबारों का पूर्वग्रह साफ नजर आ रहा है। उदाहरण के लिए अमर उजाला का शीर्षक है, केजरीवाल को झटका हाईकोर्ट का जल्द सुनवाई से इन्कार, जेल में ही मनेगी होली। उपशीर्षक है, शराब घोटाले में गिरफ्तारी के खिलाफ लगाई थी गुहार, अवकाश के बाद 27 मार्च को ही हो सकती है मुख्यमंत्री की याचिका पर सुनवाई। दूसरी ओर टाइम्स ऑफ इंडिया में इस खबर का शीर्षक है, चुनाव से पहले अवैध गिरप्तारी के खिलाफ केजरीवाल हाईकोर्ट पहुंचे। उपशीर्षक है, अर्जेन्ट सुनवाई की मांग लेकिन कोर्ट 27 मार्च से पहले इसपर शायद ही सुनवाई करे। खबर के अनुसार संभव हो तो इतवार को सुनवाई करने की अपील की गई है लेकिन हाईकोर्ट के सूत्रों ने संकेत दिया कि मामला आगे चलकर बुधवार (27 मार्च) को जब होली की छुट्टी के बाद हाईकोर्ट खुलेगा या उसके बाद लिस्ट किया जायेगा। द हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर का शीर्षक है, केजरीवाल ने हाईकोर्ट में अपील की, अर्जेन्ट सुनवाई से इन्कार। इस खबर में कोई उपशीर्षक नहीं है। पर खबर में लिखा है, दिल्ली हाईकोर्ट ने शनिवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के वकीलों द्वारा उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ की गई अपील पर तत्काल सुनवाई करने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।

यहां खास बात यह है कि कल केजरीवाल की पत्नी ने उनका एक संदेश सार्वजनिक किया। द टेलीग्राफ ने उसे पहले पन्ने पर छापा है और सेकेंड लीड है। शीर्षक है, पत्नी के जरिये केजरीवाल की कल्याण गारंटी। टाइम्स ऑफ इंडिया ने आज पहले पन्ने पर लीड के साथ एक तस्वीर छापी है। इसका कैप्शन है, मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की पत्नी सुनीता शनिवार को उनसे मिलने के बाद ईडी कार्यालय से बाहर निकलते हुए। पीएमएलए कोर्ट ने उन्हें हर दिन आधे घंटे के लिए मिलने की अनुमति दी है। जाहिर है, पत्नी उनसे मिलेंगी जो जनता तो उनका संदेश दे सकती हैं। और इस लिहाज से मुख्यमंत्री का संदेश जनता के लिए महत्वपूर्ण है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी इसे मुख्य खबर के साथ छापा है। अमर उजाला ने इसे अपनी मूल खबर के साथ दो कॉलम में दो लाइन के शीर्षक के साथ पांच लाइनों में छापा है।

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इस मामले में खास बात यह भी है कि अरविन्द केजरीवाल की पत्नी आईआरएस अधिकारी रही हैं और अब एक गृहणी के रूप में मतदाताओं के समक्ष मुख्यमंत्री का संदेश पढ़ रही थीं।। निश्चित रूप से यह आम आदमी पार्टी की राजनीति है और रेखांकित तो किया ही जाना चाहिये। टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसे भी पहले पन्ने पर मूल खबर के साथ रखा है और दूसरे आरोप भी हैं जैसे केजरीवाल मामले में वायदा माफ गवाह पी शरतचंद्र रेड्डी ने भाजपा को इलेक्टोरल बांड के जरिये 59.5 करोड़ रुपये दिये हैं। रेड्डी खुद गिरफ्तार हुए थे और मेडिकल ग्राउंड पर जमानत मिली है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि ईडी ने उनकी जमानत का विरोध नहीं किया और बाद में भाजपा को इलेक्टोरल बांड से 50 करोड़ रुपये मिले। इस मामले में और भी कई खबरें हैं जो अलग अखबारों में हैं या नहीं हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया में कई खबरें एक साथ हैं।

इंडियन एक्सप्रेस ने केजरीवाल के संदेश को लीड बनाया है और शीर्षक है, जल्दी ही वापस आउंगा …. इसके लिए भाजपा से घृणा न करें पत्नी ने केजरीवाल का संदेश पढ़ा। उपशीर्षक में बताया गया है कि हाईकोर्ट में अपील की और यह भी कि भाजपा ने कहा, किसी को उनके लिए सहानुभूति नहीं है। इस उपशीर्षक के नीचे एक तस्वीर है जिसका कैप्शन है, अरविन्द केजरीवाल की पत्नी सुनीता और बेटी हर्षिता डी राजा और अन्य भाकपा नेताओं के साथ। इंडियन एक्सप्रेस ने आज यह भी प्रमुखता से छापा है कि इस मामले में जर्मनी ने कहा है कि उसे उम्मीद है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के मामले में उचित प्रक्रिया का पालन किया जायेगा। सरकार ने इसके जवाब में जर्मन दूतावास के उप प्रमुख को तलब करके विरोध जताया है। यह भी गंभीर मामला है। मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी पर दूसरा देश क्यों नहीं बोले और बोले तो सरकार को क्या दिक्कत। पर वह अलग मामला है।

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मेरी चिन्ता खबर देने औऱ नहीं देने की है। आप देखिये कि आपके अखबार ने आपको क्या बताया है। आपके लिए वह खबर है कि नहीं और जो नहीं बताया वह क्या है। इसमें इलेक्टोरल बांड से संबंधित जानकारी महत्वपूर्ण है और वह इसलिए भी सरकार यह जानकारी नहीं दे रही थी और सुप्रीम कोर्ट की सख्ती पर यह जानकारी उपलब्ध हुई है और किसने किसे कब कितने पैसे दिये हैं। इस संबंध में आज इंडियन एक्सप्रेस ने पहले पन्ने पर तीन कॉलम में खबर छापी है। अमर उजाला में दोनों पहले पन्नों पर यह खबर नहीं है। अन्ना हजारे की खबर थोड़ी दुबली हो गई है। आज शीर्षक है, केजरीवाल ने विश्वास को धोखा दिया। इसमें अन्ना ने कहा है, जो व्यक्ति भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का हिस्सा रहा वही अब भ्रष्टाचार में गिरफ्तार हो गया।

यहां इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिये कि भारत में भ्रष्टाचार पुरानी समस्या है और इसका सीधा संबंध चुनावी खर्चों से हैं। भाजपा और नरेन्द्र मोदी ने भ्रष्टाचार दूर करने के जो वादे किये और जो भ्रष्टाचार गिनाए उनका सच हम देख चुके हैं। जो आरोप थे उनमें कोई 10 साल में साबित नहीं हुआ और ना खाऊंगा ना खाने दूंगा के बाद इलेक्टोरल बांड आया जिसे असंवैानिक करा दिये जाने के बाद भी कहा जा रहा है कि उससे काला धन खत्म होगा लेकिन जो व्यवस्था थी वह वसूली की थी और वसूली से न सिर्फ तथाकथित सफेद धन लिया जा रहा था बल्कि दावा किया जा रहा था कि जनता को यह जानने की जरूरत नहीं है कि सरकारी पार्टी को किसने कितने पैसे दिये। जाहिर है, यही भ्रष्टाचार है पर दूसरा मुद्दा है। केजरीवाल पर जो आरोप है वह यही है कि गोवा चुनाव के लिए पैसे लिये और खर्च हो गये इसलिए बरामद नहीं हुए। अब मुद्दा यह है कि चुनाव के लिए पैसे तो सब लेते हैं, इलेक्टोरल बांड से भी लिये ही हैं तो केजरीवाल ने लिया भी तो क्या गलत किया और देने वाले अगर कह रहे हैं कि उन्होंने पैसे देकर जनविरोधी नीति बनवाई तो उन्हें सजा क्यों नहीं होनी चाहिये। माफी मिलनी ही है तो निर्वाचित मुख्यमंत्री को मिले (क्योंकि भाजपा पर इलेक्टोरल बांड के लिए किसी कार्रवाई की मांग ही नहीं है) या उसने जिसे रिश्वत देकर अपने हित में नीति बनवाई।

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भाजपा के खिलाफ तो वसूली के लिए भी कार्रवाई होनी चाहिये और एक भी मामला साबित हो तो सजा होनी चाहिये लेकिन वह मुद्दा ही नहीं है। औऱ मेरा सवाल वही है कि आम आदमी को यह सब समझ में नहीं आये तो नहीं आये, अखबारों को क्यों नहीं समझ में आ रहा है? अगर वे विज्ञापन के लिए विरोध नहीं कर रहे हैं तो वह रिश्वत नहीं है? जहां तक सरकारी एजेंसियों के जरिये विपक्षी नेताओं को परेशान किये जाने की बात है, कल सीबीआई ने महुआ मोइत्रा के ‘ठिकानों’ पर छापा मारा था। आज उसकी खबर द टेलीग्राफ में दिखी और यही है कि कुछ नहीं मिला। आप जानते हैं कि उनपर क्या आरोप है और जो भी हैं उस मामले में उनपर कार्रवाई हो चुकी है। उनकी संसद सदस्यता खत्म हो चुकी है और इसपर सुप्रीम कोर्ट में अपील के जवाब में सरकार की ओर से कहा जा चुका है कि लोकसभा का मामला लोकसभा सचिवालय ही देखता है। इस हिसाब से सदस्यता खत्म होना सजा है और मामला खत्म हो जाना चाहिये लेकिन चुनाव से पहले उनके ‘ठिकानों’ पर छापा मार कर उन्हें बदनाम किया जा रहा है। मुझे याद नहीं है कि भ्रष्ट पार्टी की सरकार में विपक्षी दलों के साथ ऐसी ईमानदारी दिखाकर अपनी छवि बनाई जाती थी या कोई देश कह दे कि उसे उम्मीद है कि कानून का पालन होगा तो उसे आंतरिक मामलों में दखल मान लिया जाये। जय हो।

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