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सियासत

होशियार ! खौलते मौसम में लपटों के अंदेशे भी, भारी पड़ जाएगी असावधानी

राजधानी दिल्ली का तापमान मई के महीने में ही जब 47 डिग्री सेल्शियस को पार कर गया तो आगामी दो माह में किन परिस्थितियों से गुजरना होगा, इसका अनुमान हम आसानी से लगा सकते हैं। ऐसे मौसम में लोगों की जब जान चली जाती है, तब पश्चाताप होता है कि काश! हमने सावधानी बरती होती तो शायद ये दिन हमें नहीं देखने पड़ते।

<p>राजधानी दिल्ली का तापमान मई के महीने में ही जब 47 डिग्री सेल्शियस को पार कर गया तो आगामी दो माह में किन परिस्थितियों से गुजरना होगा, इसका अनुमान हम आसानी से लगा सकते हैं। ऐसे मौसम में लोगों की जब जान चली जाती है, तब पश्चाताप होता है कि काश! हमने सावधानी बरती होती तो शायद ये दिन हमें नहीं देखने पड़ते।</p>

राजधानी दिल्ली का तापमान मई के महीने में ही जब 47 डिग्री सेल्शियस को पार कर गया तो आगामी दो माह में किन परिस्थितियों से गुजरना होगा, इसका अनुमान हम आसानी से लगा सकते हैं। ऐसे मौसम में लोगों की जब जान चली जाती है, तब पश्चाताप होता है कि काश! हमने सावधानी बरती होती तो शायद ये दिन हमें नहीं देखने पड़ते।

जैसा कि हर वर्ष देखने में आता है, गर्मी ने दस्तक दी नहीं कि जगह-जगह आग लगने का सिलसिला शुरू। इस बार भी गत 22 मई को ही राजधानी दिल्ली में एक ही दिन में तीन जगह आग लगी। लगभग चार दर्जन अग्नि शामक गाड़ियों ने घण्टों जूझकर आग पर तो किसी तरह काबू पा लिया किन्तु जान-माल की हानि जो हुई, क्या उसकी भरपाई कोई कर पाएगा, नहीं! किंतु यदि हम तैयार हैं तो निश्चित रूप से इन हादसों को रोकने या उनका प्रभाव न्यूनतम करने में अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं। अपने रोजमर्रा की दिनचर्या में यदि हम कुछ भूलों, असावधानियों या लापरवाहियों पर काबू पा लें तो न सिर्फ़ अपने खर्चों में कटौती कर सकते हैं बल्कि अनेक बड़ी दुर्घटनाओं और शारीरिक कष्टों से आसानी से छुटकारा पा सकते हैं। इससे न सिर्फ़ हम स्वयं बल्कि अपने पड़ोसी को भी सुरक्षित जीवन दे सकते हैं- 

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-बिजली के मेन स्विच, पैन्ट्री हीटर तथा अन्य ऐसे उपकरणों, जिनसे आग लगने का खतरा हो, से कागजए प्लास्टिक, कपड़ा इत्यादि ज्वलनशील वस्तुओं को दूर रखें।

– बिजली के लोड को निर्धारित सीमा में रखें जिससे बिजली की फ़िटिंग, मीटर या सप्लाई लाइन पर अनुचित दबाव से होने वाले खतरों से बचा जा सके।

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– अपने प्रतिष्ठान या घर के बिजली की फ़िटिंग या वाइरिंग की समय-समय पर जांच करते रहें जिससे शॉर्ट सर्किट के कारण कोई हादसा न होने पाए।

– अग्नि शमन यंत्रों तथा प्राथमिक उपचार यंत्रों की क्षमता अंतिम तिथि की नियमित जांच करते रहें जिससे आपातकाल में वे काम आ सकें। इसके अलावा वहां रहने या काम करने वाले व्यक्तियों को उन यंत्रों को चलाने का उचित प्रशिक्षण भी अवश्य दें जिससे किसी भी हादसे के समय उनका उपयोग किया जा सके। बड़ों के साथ-साथ आवश्यकतानुसार आग बुझाने के छोटे सिलेंडरों का भी प्रयोग करें।

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– भवन में कहीं भी जलती हुई बीड़ी, सिगरेट के टुकड़े या माचिस की तीली इत्यादि को न फ़ेंकें। ऐसे स्थानों पर धूम्रपान पर पूर्ण प्रतिबन्ध हादसों को रोकने में सदा सहायक रहता है। एलपीजी-सीएनजी गैस या उसके सिलेंडरों का प्रयोग ऑफ़िसों में या तो बिल्कुल ना करें अन्यथा बहुत सावधानी पूर्वक नियत मानदण्डों के अनुरूप ही करें।

– आग लगने की स्थिति में लिफ़्ट की सेवाएँ न लें तथा गीला रूमाल या कपडे का प्रयोग करें जिससे सांस लेने में तकलीफ़ न हों।

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– सायंकाल अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान को बढाने, बन्द करने से पूर्व यह सुनिश्चित कर लें कि वहां लगे कम्प्यूटर, यूपीएस, टीवी, एयर कंडीशनर, हीटर, फ़ोटो कॉपीयर इत्यादि सब ठीक तरह से बन्द कर दिए गए हैं।

– ऑफ़िस, फैक्ट्री छोड़ने से पूर्व यह भी सुनिश्चित कर लें कि बिजली के सभी मेन स्विच ठीक से बन्द हैं जिससे बिजली की अनावश्यक खपत पर भी अंकुश लगेगा और हमारी अनुपस्थिति में हो सकने वाली दुर्घटनाओं से भी मुक्ति मिलेगी।

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ठहरिये! उपर्युक्त को पढ़ने के बाद आपको शायद लग रहा होगा ये कोई नई बात नहीं हैं। इनको तो हम पहले से ही जानते हैं। इनमें नया क्या है किन्तु सावधान! पढ़ने और जानने के बाद कृपया अपने अंतर्मन से यह पूछना न भूलें कि उपरोक्त में से कितनी बातों का पालन मैं स्वयं और मेरा परिवार, पडोसी, मित्र, सहकर्मी, कर्मचारी, बॉस या मालिक करता है। अगर इनमें से कोई एक भी कमजोर कड़ी निकली तो समझ लेना कि आप भी कम खतरे में नहीं हैं और आज, अभी से ही आपको ये बातें पोलियो की खुराक की तरह सब को पिलानी पड़ेगी। तभी हम सब भारतवासी गर्मी के भीषण हादसों पर रोक लगा कर सुरक्षित व समृद्ध भारत के निर्माण में अपना योगदान सुनिश्चित कर सकेंगे।

विनोद बंसल से संपर्क : 9810949109

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