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सुख-दुख

शादी के फौरन बाद पति की मौत से महिला पत्रकार गायत्री का जीवन संकट में, पढ़िए सीएम को लिखी चिट्ठी

सेवा में

मुख्यमंत्री महोदय जी

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उत्तर प्रदेश

विषयः पति की मौत के बाद विधवा के पति की संपत्ति हड़पने तथा उत्पीङ़न व जान-मान का खतरा के संदर्भ में।

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मैं गायत्री पाराशर (30) पत्नी स्वर्गीय श्री पंकज रावत, संजय मार्ग, हरि नगर, टूंडला, जिला- फिरोजाबाद की निवासी हूं। मेरी शादी 29 जनवरी 2019 को होटल ग्रांड इंपीरियल आगरा में हुई थी। 20 अप्रैल 2019 को एक दुःखद रेल दुर्घटना में मथुरा में मेरे पति पंकज रावत जी की मृत्यु हो गई थी। मेरे पिता श्री महावीर प्रसाद गांव गढी ठाकुर टूंडला फिरोजाबाद ने मेरी शादी में लगभग 10,00,000 रुपए कन्या धन के रूप में खर्च करते हुए मेरी शादी बहुत ही धूमधाम से की थी। मेरे पति की मुझसे यह दूसरी शादी हुई थी।

पहली पत्नी से उनको एक पुत्री है जो कि फिलहाल अपने ननिहाल में हैं। मेरे पति की पहली पत्नी की मृत्यु ससुराल में आग लगने के कारण हुई थी जिसका मुकदमा चल रहा है और उस केस में मेरी सासु मां श्रीमती मिथिलेश रावत जमानत पर बाहर हैं। श्रीमान मेरी शादी के 80 दिनों के अंदर मेरे पति की मौत हो गई लिहाजा उनके बैंक अकाउंटस में नोमिनी परिवारीजन ही रहे होगे। नोमिनी होने के नाते मेरे ससुरालीजन मेरे पति का पैसा हङपना चाहते हैं। जबकि नोमिनी केवल एक ट्रस्टी होता है। यहां भी मेरे साथ धोखा हो रहा है।

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मेरे पति के नाम से एक कंप्यूटर सेंटर राजीव गांधी कंप्यूटर साक्षरता मिशन (दीक्षित कांपलेक्स) टूंडला एवं प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना सेंटर टूंडला शंकर शिव महाविद्यालय (जिसका कुछ पैसा रुका हुआ है) में संचालित हो रहे है। यह दोनों ही सेंटर मेरे पति पंकज रावत के नाम थे एवं वही ही चलाते थे। लेकिन मुझे बिना अवगत कराए ये कंम्प्यूटर सेंटर मेरे दोनों ननद ननदोई ने मिलकर मेरी सास मिथलेश कूमारी रावत के नाम करा लिए हैं। यहां भी मुझे धोखा दिया जा रहा है।

मेरे पति कि दो विवाहित बहने हैं। श्रीमान जी, मुझे बहुत प्रताड़ित किया जा रहा है एवं मेरे पति के दोनों सेंटर, उनके सारे बैंक खाते , कार , बाइक, लैपटॉप जहां तक कि उनके दोनों मोबाइल भी मुझे नहीं दिए गए, ना ही कोई जानकारी दी गई है। जब से मेरे पति की मृत्यु हुई है तभी से मेरा मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न किया जा रहा है। मुझसे कहते हैं जो भी तेरे पति के बैंक अकाउंट में है उसमें तो नॉमिनी हम ही हैं तो तुम कुछ भी नहीं कर सकती।

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मेरे दो नंदोई (राजेश शर्मा पिता कृष्ण स्वरूप BHEL, कोटा में एवं आदित्य शर्मा पिता खजानची शर्मा कस्टम विभाग मुंबई में) हैं जो ऊंचे पदों पर हैं और अपने पदों का भरपूर फायदा उठा रहे हैं। बड़ी ननद नीरज शर्मा भी वनस्थली कॉलेज जयपुर में टीचर है। ये सभी लोग मिलकर मेरे पति की सारी प्रोपर्टी को हड़पना चाहते हैं और मुझसे कहते हैं कि तू 3 महीने से शादी कर के आ गई है, तेरा क्या है। हम बचपन से उसके साथ इस घर में रह रहे थे। मेरे भाई अगर मेरे घर आते हैं तो उन पर पुलिस के झूठे मुकदमे लगाने की धमकी देते हैं। यह बहुत ही जल्द उनकी प्रॉपर्टी को अपने नामों में ट्रांसफर और बेचना चाहते हैं और उनके बैंक खाते का सारा पैसा निकाल कर मुझे कुछ नहीं देना चाहते हैं।

श्रीमान जी मेरे ससुराल में मेरी जान और मान को खतरा है। मैं डर के साये में हर समय जी रही हूं। मेरे ससुरालवाले बहुत ही पैसे और पावरफुल लोग हैं। यहां हर समय मेरे लिऐ षङयंत्र रचे जाते है। मेरे पास कोई श्रोत नही जिनसे कि मैं इनका सामना कर सकूं। लेकिन मुझे न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है कि मेरे साथ न्याय होगा।

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श्रीमान जी मुझे मेरा हक जो कि मेरे पति का था उसे दिलाने की कृपा करें जिससे की मैं अपनी जिंदगी को सम्मानजनक तरीके से जी सकूं । जिस घर में मैं रहती हूं वह मेरी सास मां के नाम में है, इसके अलावा भी कई प्लॉट, खेत, और पेंशन भी मिलती है। मेरे पति स्व. पंकज रावत जी की सभी संम्पत्तियों की जानकारी मुझसे छिपाई जा रही है।

अतः श्रीमान जी से निवेदन है कि मेरे पति की अचल संपंत्ति (बैंक अकाउंट, बीमा पालिसी, दोनों कंम्प्यूटर सेंटर के हस्तातंरण) और जो भी संपंति जो मेरे संज्ञान में नहीं है, सभी पर रोक लगाते हुए मुझे मेरे अधिकार दिलवाने का कष्ट करें, एवं मेरे पति के सभी डॉक्यूमेंट ( मृत्यु प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, आदि) दिलाने की कृपा करें। ये लोग मुझ विधवा, लाचार महिला को दबाकर सब कुछ अपने नाम में कर लेना चाहते हैं और नाम में होते ही यहाँ से बेचकर मुंबई या जयपुर जाना चाहते हैं।

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श्रीमान जी यहां तक कि रेल दुर्घटना बीमा एवं किसान दुर्घटना बीमा की प्रोसेस भी अपने हाथ में ले रखी है और पता नहीं उसमे भी क्या हो रहा है। श्रीमानजी से निवेदन है मुझे मेरा हक दिलाने की कृपा करें। आपकी अतिकृपा होगी।

पीड़िता
गायत्री रावत
पति स्व. पंकज रावत,
हरी नगर, टूंडला, जिला- फिरोजाबाद

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