जीएसटी का सच (पार्ट 13 से 23 तक) : जीएसटी से बेरोजगारी की कगार पर खड़े एक पत्रकार की डायरी

Share the news

जीएसटी का सच (19) : पेशेवर अकाउंटैंट की चांदी

संजय कुमार सिंह
sanjaya_singh@hotmail.com

जीएसटी कंप्यूटर अकाउंटिंग के बिना संभव नहीं है। यह सही है कि अकाउंटिंग वैसे भी कंप्यूटर के बिना मुश्किल है पर कंप्यूटर सॉफ्टवेयर खरीदना चलाना और उसका अपडेट लेते रहना आसान नहीं है। मुझे मेरा एक मित्र टैली नाम के कंप्यूटर प्रोग्राम की सेवा देता था। मैं इस प्रोग्राम से बहुत प्रभावित था। सब कुछ एक बटन से स्क्रीन पर सामने। प्रिंट आउट ले लो या फिर मेल कर दो। बहुत ही प्रभावशाली सॉफ्टवेयर है पर महंगा है और उसपर काम करने की ट्रेनिंग लेनी पड़ती है। मैंने उसका प्रशिक्षण लेना भी चाहा पर वह भी महंगा था और मैं सॉफ्टवेयर से अकाउंटिंग करता तो अनुवाद की मेरी दुकान का क्या होता। इसलिए मैंने नहीं सीखा।

सन 2010 के आसपास उस सॉफ्टवेयर पर महीने में एक दिन और साल भर का हिसाब-किताब 12-15 दिन में बना देने के 1500 रुपए महीने का रेट था और इससे तैयार डाटा से इनकम टैक्स रिटर्न भी फाइल हो जाता था। क्योंकि मेरे सीए के पास भी वही सॉफ्टवेयर था। अब इसपर काम करने के लोग 6000 रुपए प्रति माह यानी प्रति दिन लेते हैं। पैसा ज्यादा है और इसलिए कि काम करने वाले को लैपटॉप लेकर आपके पास आना पड़ता है। हालांकि, इस सॉफ्टवेयर पर काम करना आता हो तो नौकरी की जरूरत नहीं है। जीएसटी के बाद अकाउंटिंग का काम इतना बढ़ गया है कि यह छह हजार 12,000 रुपए हो जाएगा। छोटा-मोटा कारोबारी यह खर्च कहां से क्यों करे? कहने वाले कहते हैं कि खुद किया जा सकता है। पर सॉफ्टवेयर, उसपर काम सीखना और समय?

पार्ट टाइम अकाउंटैंट का काम घर बैठे नहीं हो सकता है। इसलिए महंगा होगा ही। दूसरी ओऱ, अकाउंटिंग को आसान बनाने पर ध्यान देना चाहिए तो उसकी जरूरत समझी ही नहीं गई। बड़े कारोबारियों के पास अपने कर्मचारी और अकाउंटिंग का अपनी पसंद का सॉफ्टवेयर होता है। मानक सॉफ्टवेयर ना हो तो भिन्न कारणों से सॉफ्टवेयर बदलना पड़ता है और उसके अपने झंझट हैं। जीएसटी लागू होने के बाद से इसके ढेरों सॉफ्टवेयर बाजार में हैं और सब अच्छे बताये जा रहे हैं। सबको बेचने की होड़ है। कंप्यूटर प्रोग्राम बनाने वाले कमा रहे हैं इसमें शक नहीं है।

आम भारतीय खरीदारों की तरह सॉफ्टवेयर भी सस्ता वाला खरीदा जाता है और बाद में पता चलता है कि वह अच्छे वाले से कांपिटेबल नहीं है तब आपका निवेश और कई बार अभी तक का काम गड्ढे में चला जाता है। जो नहीं जानते हैं वो ये सब झेलने के लिए अभिशप्त हैं लेकिन जानकर आप यह सब कैसे करें और न करें तो कुछ कर ही नहीं पाएं। मेरी स्थिति यही है। सॉफ्टवेयर के साथ एक झंझट उसपर काम करने वाले का भी है। अगर आपका कर्मचारी उस सॉफ्टवेयर पर काम नहीं करता है तो कर्मचारी या सॉफ्टवेयर में से एक बेकार है।

ये सब ऐसे झंझट हैं जिनका सामना छोटे कारोबारियों को करना पड़ता है और टैक्स के दायरे में आने के लिए पहले 10 लाख और अब 20 लाख रुपए के वार्षिक टर्नओवर की सीमा इसीलिए है। कम निवेश से एक व्यक्ति अकेले बहुत कुछ नहीं कर सकता है। मैंने लिखा है कि जीएसटी का मौजूदा पोर्टल आधुनिक और उत्कृष्ट नहीं है। मानक सॉफ्टवेयर न होने से भले सबसे रिटर्न फाइल करा लिए जाएं, सारे दस्तावेज ले लिए जाएं, अपलोड करने की मजबूरी थोप दी जाए पर इनका जो लाभ मिल सकता था नहीं मिलेगा। मानक सॉफ्टवेयर से रिटर्न फाइल करने की जरूरत भी नहीं रहती आपका खाता जीएसटी कौंसिल वाले ऑफिस में बैठे जांच सकते थे।

पर सबकुछ इतनी जल्दबाजी में किया गया है कि इन बातों का ख्याल ही नहीं रखा गया। मुमकिन है भविष्य में यह सब संभव हो पर उसके लिए मानक सॉफ्टवेयर का झंझट होगा ही या सब कुछ हिन्दी की तरह गड़बड़ रहेगा। हिन्दी के काम अभी तक सब लोग कंप्यूटर पर कायदे से नहीं करते हैं। कोई मानक नहीं है। कंप्यूटर आया तो हिन्दी वालों ने कुछ सॉफ्टवेयर फौन्ट आदि बनाए। कुछ ने खूब कमाया भी होगा। खर्चा निकालने के लिए हिन्दी के प्रोग्राम की कीमत ज्यादा रखी। इस चक्कर में हिन्दी सॉफ्टवेयर की कई दुकानें थीं। चलता वही रहा जो मुफ्त में उपलब्ध था और विन्डोज से कांपिटेबल था। बाद में यूनिकोड फौन्ट आए विन्डोज में हिन्दी ही नहीं, सारी भारतीय भाषाएं टाइप होने लगीं और सारे भारतीय प्रोग्राम लगभग बेकार हो गए। या लोगों को उनका पता ही नहीं है और अंग्रेजी की तमाम सुविधाएं हिन्दी में उपलब्ध ही नहीं हैं या हैं तो लोगों को मालूम ही नहीं है। हिन्दी का जो हाल है उसमें तो यह सब चल रहा है पर जीएसटी के सॉफ्टवेयर और जीएसटी कुछ वर्ष बाद यह स्थिति कैसे झेलेंगे?

इसके आगे का पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें….



भड़ास का ऐसे करें भला- Donate

भड़ास वाट्सएप नंबर- 7678515849



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *