Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

जीएसटी का सच (पार्ट 13 से 23 तक) : जीएसटी से बेरोजगारी की कगार पर खड़े एक पत्रकार की डायरी

जीएसटी का सच (13) : गाजियाबाद से एनसीआर में काम के लिए जीएसटी जरूरी

Advertisement. Scroll to continue reading.

संजय कुमार सिंह
[email protected]

सरकारी स्तर पर जब यह तय हो गया कि जीएसटी लागू होगा ही तो मेरे दिमाग में इस बारे में तीन बातें थी – 1) कारोबार की राशि के लिहाज से मैं इससे मुक्त रहूंगा 2) नया है इसलिए अनुपालन आसान होगा, मामूली औपचारिकताएं मैं खुद कर लूंगा और 3) कोई विकल्प नहीं हुआ तो मित्र सीए हैं ही। पर जब लागू हुआ तो तीनों बातें हवा हो गईं। राशि तो पहले के 10 लाख रुपए प्रति वर्ष की तुलना में 20 लाख कर दी गई पर अंतर राज्यीय कारोबार (एक देश एक टैक्स के नारों के बीच) करने के कारण फंस जाउंगा यह तो सोचा ही नहीं था। इसका आसान उपाय था दिल्ली शिफ्ट कर जाना। ज्यादातर ग्राहक या उनका मुख्यालय दिल्ली में है। इसलिए सिर्फ दिल्ली के ग्राहकों से मेरा काम चल जाता। लेकिन कंप्यूटर और ई मेल के काम करने वाले निश्चित रूप से जीएसटी के दायरे में आएंगे – यह भी मेरी कल्पना में नहीं था। तीसरा विकल्प तो है ही। महंगा है पर मित्रों के भरोसे चल जाएगा। उसमें कोई समस्या नहीं है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

सिर्फ कंप्यूटर से अपना कारोबार कर लेना बहुत मामूली निवेश से गुजारा कर लेना है। इसे छूट मिलनी चाहिए थी तो इसपर टैक्स भरने की औपचारिकता जबरदस्ती लादी गई है। मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया के जमाने में जब रोजगार के नए मौके बन ही नहीं रहे हैं। सीए और सीए के सहायकों के काम की जो संभावना बन रही है वह बहुत सारे काम बंद कराने की कीमत पर होगा। 

अब मैं देख रहा हूं कि बहुत सारे लोगों ने पंजीकरण करा लिया है या पंजीकरण से संबंधित शिक्षण सत्रों आदि में हिस्सा लिया है। पर अनुपालन या झंझटों के संबंध में उनकी जानकारी नहीं है. यहां तक कि रिटर्न फाइल करने की तारीख निकल गई और उन्हें कुछ पता नहीं है। इससे मेरी इस धारणा की पुष्टि होती है कि पंजीकरण तो मजबूरी में हर कोई करा लेगा पर अनुपालन (बिक्री कम होने के कारण) नहीं होगा और लोग यह मानकर चलेंगे कि उनके जैसे छोटे कारोबारियों को कौन पूछेगा। यह एक हद तक सही भी है पर चुन कर परेशान किए जाने के साथ रिश्वतखोरी का रास्ता तो खोलता ही है। मेरा एतराज या मेरी परेशानी यही है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अभी तक जिन जानकारों से मेरी बात हुई है। सब ने मुझे कंपोजिट स्कीम में पंजीकरण कराने की सलाह दी है। हालांकि, मेरे सवालों का जवाब कोई नहीं दे पाया और स्पष्ट हो गया कि उनकी जानकारी बहुत ही सतही है। इसलिए, सबके कहने के बावजूद मैंने अभी तक पंजीकरण नहीं कराया है। कंपोजिट स्कीम को अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के सरकारी जवाब (जिसका कानूनी महत्व नहीं है) में संरचना योजना कहा गया है। जो गलत है। कंपोजिट का मतलब संयुक्त या मिश्रित होना चाहिए पर वह अलग विषय है। यह छोटे करदाताओं (जिनका वित्तीय वर्ष का कारोबार 50 लाख रुपए है) के लिए है। इस योजना के अंतर्गत करदाता बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) लाभ प्राप्त किए एक राज्य में एक वर्ष के दौरान अपने कुल कारोबार के प्रतिशत के रूप में कर का भुगतान करेंगे। सीजीएसटी और एसजीएसटी / यूटीजीएसटी के लिए कर की न्यूनतम दर (उत्पादकों के लिए एक प्रतिशत, अन्य मामलों में आधा प्रतिशत और अनुसूची जो के पैरा छह (बी) में उल्लिखित विशिष्ट सेवाओं अर्थात भोजन परोसने की सेवाएं अथवा मानव उपयोग के लिए अन्य वस्तु के लिए 2.5 प्रतिशत) से कम नहीं होगा। नारा एक देश एक जीएसटी और दर अलग-अलग।

कंपोजिट स्कीम का विकल्प चुनने वाला करदाता अपने ग्राहकों से कोई कर नहीं लेगा। लेकिन जमा कराएगा। यह रोजगार करने का टैक्स है? मोटा-मोटी इसका मतलब यही हुआ कि कारोबार का 2.5 प्रतिशत देकर जीएसटी से पीछा छुड़ाइए। पर यह जैसा मुझे समझ में आ रहा है, 20 लाख से ऊपर 50 लाख से नीचे के कारोबार वालों के लिए है जो अपना कारोबार कम समझते हैं पर सरकार जिन्हें बख्शना नहीं चाहती है। यह मेरे लिए नहीं हो सकता है। और जवाब में यह बात स्पष्ट लिखी है। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसके आगे का पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें….  

Advertisement. Scroll to continue reading.

Pages: 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement