जीएसटी का सच (16) : मानक सॉफ्टवेयर होना चाहिए था
संजय कुमार सिंह
sanjaya_singh@hotmail.com
आप जानते हैं कि जीएसटी का सारा खेल कंप्यूटर से होना है। पर इसके लिए कोई मानक सॉफ्टवेयर नहीं है। कई सॉफ्टवेयर बाजार में हैं। बिना जाने खरीदे तो गए। हेल्पलाइन अभी हाल तक काम नहीं कर रही थी। ई मेल से जाहिर की गई जिज्ञासाओं का जवाब अभी नहीं आया है। कल मैंने रिमाइंडर भेजा है। पूर्व में मैंने लिखा है कि मुझे कई लोगों ने कंपोजिट स्कीम में पंजीकरण कराने की सलाह दी। पर मैंने उसके बारे में पता किया तो लगा कि वह मेरे काम का नहीं है। आज एक मित्र ने बताया कि लोगों की सलाह पर उन्होंने भी इस स्कीम में पंजीकरण करा लिया। अब पता चल रहा है कि वह उनके काम का नहीं है। मैं लिख चुका हूं कि कंपोजिट स्कीम में ग्राहक से टैक्स नहीं लेना है पर पूरे कारोबार का एक निश्चित प्रतिशत अपनी जेब से जमा कराना है।
कंपोजिट स्कीम में पंजीकरण करा चुके लोगों से उनके ग्राहक कह रहे हैं कि जब पंजीकरण है तो टैक्स लीजिए, हमें तो इनपुट टैक्स क्रेडिट व्यवस्था के तहत वापस मिल जाना है। जब ये बताते हैं कि हमने कंपोजिट स्कीम में पंजीकरण कराया है और टैक्स ले नहीं सकता तो ग्राहक बताते हैं कि उल्लू बन गए। वो कह रहे हैं कि अब किससे शिकायत करूं, पंजीकरण कैसे बदलवाऊं, क्या करूं, किससे पुछूं, कोई बताने वाला नहीं है। हालांकि, उनका मानना है कि जीएसटी बहुत अच्छा है पर इसे कायदे से लागू नहीं किया गया है इसलिए इसका फायदा नहीं होगा या देर से होगा।
दूसरी ओर, गलत पंजीकरण के बाद सुधार होने तक कारोबार का एक निश्चित प्रतिशत टैक्स के रूप में जमा कराते रहने की मजबूरी है। कहने की जरूरत नहीं है कि इस लिहाज से मैं बेहतर स्थिति में हूं। काम भले नहीं मिल रहा है, टैक्स तो नहीं देना है। इस बीच सरकार ने एलान कर दिया है कि जीएसटी लागू करने के बाद पहले महीने में 92,283 करोड़ रुपए एकत्र हुए हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि टैक्स कलेक्शन 91,000 करोड़ रुपए के लक्ष्य से ज्यादा हुआ है।
यह राशि कुल करदाता आधार के सिर्फ 64.42 प्रतिशत से एकत्र हुई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सभी करदाता रिर्टन फाइल करेंगे तो यह राशि और बढ़ेगी। निश्चित रूप से। मेरा कहना है कि सरकारी नियम शून्य रिटर्न फाइल करने का भी है तो यह 100 प्रतिशत क्यों नहीं है? 95 प्रतिशत से ऊपर तो होना ही चाहिए क्योंकि सबको पहले से मालूम था कि अमुक दिन रिटर्न फाइल करना है। वित्त मंत्री ने जो जानकारी दी उसके मुताबिक 59.57 लाख कारोबारों ने पंजीकरण कराया है और इन्हें जुलाई का रिटर्न दाखिल करना चाहिए था पर अभी तक 38.38 लाख करदाताओं (64.42 प्रतिशत) ने ही टैक्स रिटर्न दाखिल किए हैं। इसके अगले ही दिन सरकार ने एलान किया नोटबंदी के बाद 99 प्रतिशत पुराने नोट बैंकों में आ गए हैं। ऐसे में सिर्फ 64.42 प्रतिशत का रिटर्न दाखिल करना बताता है कि लोग इस मामले में नोट बदलने की तरह गंभीर नहीं हैं। और यही जीएसटी की अभी तक की असफलता है।
कानून बन गया है तो लागू होगा ही। जहां तक, 92, 283 करोड़ की वसूली की बात है। मुझे इसमें कोई खास बात नहीं लगती है। सरकार ने जबरदस्ती, आधी-अधूरी तैयारियों से ही जीएसटी लागू किया है। उसमें पैसे तो आने ही हैं पर जिन लोगों ने रिटर्न दाखिल नहीं किया वो बताएंगे कि मामला असल में क्या है। पर ऐसा नहीं लगता कि सरकार उनका पक्ष जानना चाहती है। सरकार रिटर्न फाइल नहीं करने वालों से पूछताछ करे या नोटबंदी के बाद बैंकों में संदिग्ध लेन-देन करने वालों से? जाहिर है, सरकार एक साथ सब कुछ नहीं कर सकती इसलिए कब किसकी बारी आएगी, कहा नहीं जा सकता और लगता है कि सब ऐसे ही चलता रहेगा। दूसरी ओर, जीएसटी से जो नुकसान हुआ है उससे बचने का कोई उपाय नहीं है। सरकार ज्यादा वसूली का दावा करती रहेगी। आज के अखबारों में खबर है कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि छोटे कर दाताओं को जीएसटी की जद में लाया जाए।
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