मजीठिया डाल-डाल, अख़बार मालिक पात-पात। एक तरफ़ सुनाई दे रहा है कि इसी 15 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट पत्रकारों के पक्ष में मजीठिया वेतन आयोग लागू करने लिए दो-टूक फ़ैसला दे सकता है, तो दूसरी ओर अख़बार मालिकान एक बार फिर से इसकी तोड़ निकालने की जुगत में लग गए हैं। असल में अदालत ने राज्य सरकारों से 15 सितंबर तक रिपोर्ट माँगा है कि मजीठिया लागू करने के विषय में अख़बारों की स्थिति कहाँ तक पहुँची है।
इसी के मद्देनज़र अब अख़बार मालिक अपने कर्मचारियों से एक रजिस्टर पर दस्तख़त करवा रहे हैं, जिसे ही इस तरह की चिट्ठी के साथ सरकार को सौंप दिया जाएगा कि उनके कर्मचारियों को पर्याप्त वेतन या सुख-सुविधाएँ मिल रही हैं, सो उन्हें मजीठिया वेतनमान की ज़रूरत नहीं है। हिंदुस्तान अख़बार में आज सुबह से ही जबरन दस्तख़त कराने की गहमागहमी चल रही है। किसी कर्मचारी को न तो बताया जा रहा है कि किसलिए दस्तख़त लिए जा रहे हैं और न तो उन्हें कोई चिट्ठी वग़ैरह ही दिखाई जा रही है। सिर्फ़ सामने एक रजिस्टर रख दिया गया है, जिस पर लोग एक-एक कर दस्तख़त कर दे रहे हैं बस। ज़्यादातर को बिलकुल गुमान नहीं है कि माज़रा क्या है। असल मामले की जानकारी तो अंदरूनी सूत्र दे रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस रजिस्टर के साथ ही पत्र नत्थी करके सरकार को सौंपा जाएगा।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
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