छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह की सरकार में प्रमुख सचिव रहे अमन सिंह के खिलाफ चल रहे एक मामले को कोर्ट ने बंद कर दिया. अमन सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला चल रहा था. इस मामले में ईओडब्ल्यू की तरफ से 16 अप्रैल को लोअर कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट लगाई गई थी.
मामले में तीन साल तक चली जांच में अमन सिंह और उनकी पत्नी के खिलाफ राज्य ईओडब्ल्यू-एसीबी 3 कोई आरोप साबित नहीं कर पाया.
पूरा मामला क्या है
फरवरी 2020 में ईओडब्ल्यू ने इनकम से ज्यादा संपत्ति के मामले में अमन सिंह और उनकी पत्नी यास्मीन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. इसकी शिकायत एक आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा की गई थी. हालांकि, बिलासपुर उच्च न्यायालय ने ये एपआईआर दो साल पहले ही रद्द कर दी थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2023 में हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक किसी मामले की जांच न हो तब तक केस को रद्द नहीं करना चाहिए. लेकिन आज 20 अप्रैल 2024 को यह मामला बंद कर दिया गया है.
कौन हैं अमन सिंह?
मूलरुप से आजमगढ़ स्थित लालगंज के निवासी अमन सिंह एमपी के भोपाल में रहते हैं. उन्होंने मैनिट से पढ़ाई की है. भारतीय राजस्व सेवा में 1992 बैच के आईआरएस अधिकारी रहे हैं. प्रतिनियुक्ति पर छत्तीसगढ़ में तैनाती मिली थी. यहां साल 2014 में पद से इस्तीफा देने का फैसला लिया था. इसके अलावा अप्रैल 2009 से दिसंबर 2013 तक कानपुर के आईआईटी में बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का पद संभाला. इसके बाद जुलाई 2013 से दिसंबर 2018 तक इंदौर के आईआईटी में इसी पद पर जिम्मेदारी निभाई.
रमन सरकार हटते ही दिया था इस्तीफा
छत्तीसगढ़ में सरकार बदलते ही मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के प्रमुख सचिव रहे अमन सिंह ने साल 2018 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. प्रदेश की नौकरशाही में नंबर एक की पोजीशन पर रहे अमन सिंह रमन के रणनीतिक सलाहकार भी थे. प्रदेश में संचार क्रांति, गरीब परिवारों और युवाओं को मोबाइल वितरण भी उनकी ही योजना का हिस्सा था.
बताया जाता है कि नक्सलियों ने सुकमा जिला कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन का अपहरण कर लिया था. उनके मोबाइल पर आईजी इंटेलीजेंस का मैसेज आया उस समय अमन सिंह हेलिकॉप्टर में मुख्यमंत्री रमन सिंह और मुख्य सचिव के साथ मौजूद थे. अमन सिंह ने फौरन डीजीपी, प्रमुख गृह सचिव और आईजी (इंटेलिजेंस) को सीएम निवास पर आपात बैठक के लिए बुला लिया. इसके बाद रातोरात अमन ने राजनैतिक और रणनीतिक मोर्चेबंदी की सर्वदलीय बैठक का खाका बुना, मध्यस्थों का चयन किया और मुख्यमंत्री को कैबिनेट की उपसमिति गठित करने का सुझाव दिया. अगले दिन सर्वदलीय बैठक हुई, जिसमें अपील जारी करने का सुझाव आया तो ड्राफ्ट अमन के पास पहले से तैयार था.
अमन सिंह की अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि संसद की 60वीं सालगिरह के मौके पर दिल्ली पहुंचे मुख्यमंत्री रमन सिंह बंधक प्रकरण पर रिपोर्ट देने के लिए संघ के सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी से मिलने गए तो वे साथ थे. अमूमन संघ के वरिष्ठ नेताओं के साथ होने वाली मुलाकातों में कोई नौकरशाह शामिल नहीं होते.
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