जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले से जुड़े दिलीप कुमार द्विवेदी बनाम जागरण प्रकाशन मामले में दिल्ली की कड़कड़डूमा श्रम न्यायालय ने दैनिक जागरण पर दो हजार रुपये का जुर्माना ठोंक दिया है। इस जुर्माने के बाद से जागरण प्रबंधन में हड़कंप का माहौल है। बताते हैं कि गुरुवार को दिल्ली की कड़कड़डूमा श्रम न्यायालय में दैनिक जागरण के उन 15 लोगों के मामले की सुनवाई थी जिन्होंने मजीठिया बेज बोर्ड की मांग को लेकर जागरण प्रबंधन के खिलाफ केस लगाया था। इन सभी 15 लोगों को बिना किसी जाँच के झूठे आरोप लगाकर टर्मिनेट कर दिया गया था। गुरुवार को जब न्यायालय में पुकार हुयी तो इन कर्मचारियों के वकील श्री विनोद पाण्डे ने अपनी बात बताई।
इस पर जागरण प्रबंधन के वकील श्री आर के दुबे ने कहा कि मेरे सीनियर वकील कागजात के साथ आ रहे हैं, अभी रास्ते में हैं। माननीय जज ने कहा कि अगली तारीख पर दे देते हैं। इस पर वकील विनोद पांडेय ने कहा कि हुजूर, ये लोग मामले को लटकाना चाहते हैं, संबंधित डाक्यूमेंट्स नहीं देना चाहते हैं, वैसे ही हम बहुत लेट हो चुके हैं, आज हम देर से ही सही, आपके सामने इनका जवाब लेंगे। इस पर माननीय जज साहब ने पासओवर दे दिया और कहा कि 12 बजे आइये। तय समय पर वर्कर अपने वकील के साथ हाजिर हुए, तो मैनेजमेंट की ओर से कोई नहीं आया। जज ने फिर वर्कर को साढ़े बारह बजे आने के लिए कहा। फिर सभी उक्त समय पर हाजिर हुए, तब भी मैनेजमेंट के लोग गायब रहे। इसी बात पर और कानून के हिसाब से जागरण पर 2000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। इस मामले की अगली तारीख 4 मई की लगी है।
सूत्रों के हवाले से दैनिक जागरण से जुड़ी एक और चर्चा भी यहां चल रही है कि प्रबंधन अब वर्करों से हारने वाला है। ऐसा कई मोर्चों पर हो रहा है। सूत्र कहते हैं कि एक ओर जहां अदालत में जागरण प्रबंधन की किरकिरी हुयी है वहीं उनमें अब हार का डर भी समाने लगा है। दैनिक जागरण में एक और चर्चा है कि जागरण में एक बड़ी मीटिंग हुई है, जिसमें यह बात भी सामने आयी कि जितने भी वर्कर बाहर हों, सबको जल्दी अंदर लिया जाये।
खबर है कि मालिकानों में अब हर जगह हो रही फजीहत की वजह से आपस में ही जूतमपैजार होने की नौबत आ गई है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि मजीठिया मामले को लेकर जागरण का पूरा घराना एक तरफ और संजय गुप्ता अकेले एक तरफ हैं। दूसरी ओर माननीय सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस में भी अब मालिकानों को हार नजर आ रही है, इसलिए भी परेशान हैं। जागरण के मालिक संजय गुप्ता की बात करें तो उन्होंने अपने वर्करों से मजीठिया की मांग करने के दौरान यह कहा था कि नौकरी हम देते हैं, सुप्रीम कोर्ट नहीं, हम जैसे चाहेंगे, वैसे काम कराएँगे, मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। यह तब की बात है, लेकिन आज ऊंट पहाड़ के नीचे आ गया है।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट
मुंबई
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