अखबार ने नौकरी से निकाला तो 34 साल बाद कोर्ट से जीत सके दुबे जी!

कुछ लोगों का कहना है कि यह जीत कोई जीत नहीं है. 34 साल बाद किसी कंपनी से निकाले गए आदमी का जीतना बताता है कि दरअसल कंपनी जीत गई, आदमी हार गया. बावजूद इसके, कई पत्रकार साथी खुश हैं कि चलो, जीते हुए साथी को समुचित पैसा, बकाया, वेज बोर्ड और मुआवजा तो मिल …

दैनिक भास्कर के आफिस पर पड़ा छापा, बाथरूम में छिपे संपादक और मैनेजर! देखें वीडियो

मजीठिया वेज बोर्ड के एरियर की मांग को लेकर जिन कर्मचारियों ने केस कर रखा है, प्रबंधन कर रहा है उन्हें प्रताड़ित… हिसार दैनिक भास्कर की यूनिट में गुरुवार को काफी कुछ देखने को मिला. यूनिट के विभिन्न ब्यूरो कार्यालयों में तैनात फोटोग्राफरों व सब एडिटर का मई के आखिर में बिहार और गुजरात ट्रांसफर …

सुनवाई की तारीख पर बरेली लेबर कोर्ट में जड़ा मिला ताला

पिकनिक मना रहे पीठासीन अधिकारी… इसे कहते हैं सांप भी मर जाय-लाठी भी ना टूटे। कुछ ऐसा ही किया श्रम न्यायालय बरेली ने। श्रम न्यायालय बरेली में माह जून में सुनवाई की तारीखें भी लग रहीं हैं और न्यायालय के गेट पर पूरे जून माह के लिए ताला भी जड़ दिया गया है। मजीठिया केसों …

जागरण प्रबंधन को करारा तमाचा, दो पत्रकारों ने लेबर डिपार्टमेंट से अपना तबादला रुकवा लिया

मजीठिया वेज बोर्ड के लाभ मांगने पर दैनिक जागरण आगरा के प्रबंधन ने दो पत्रकारों का दूरदराज के इलाकों में तबादला करने का फरमान जारी कर दिया. इसके बाद दोनों पत्रकारों लेबर डिपार्टमेंट गए और अब लेबर डिपार्टमेंट ने इनका तबादला रोक दिया है. इन दो पत्रकारों के नाम हैं सुनयन शर्मा और रूपेश कुमार सिंह. दैनिक जागरण आगरा में सुनयन चीफ सब एडिटर हैं तो रूपेश डिप्टी चीफ सब एडिटर.

‘हिंदुस्तान’ अखबार से 6 करोड़ वसूलने के लखनऊ के अतिरिक्त श्रमायुक्त के आदेश की कापी को पढ़िए

लखनऊ के श्रम विभाग ने हिंदुस्तान के 16 पत्रकारों व कर्मचारियों को क़रीब 6 करोड़ रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया है. लखनऊ के एडिशनल कमिशनर बी.जे. सिंह व सक्षम अधिकारी डॉ. एमके पाण्डेय ने 6 मार्च को हिंदुस्तान के ख़िलाफ़ आरसी जारी कर दी और पैसा वसूलने के लिए ज़िलाधिकारी को अधिकृत कर …

दिल्ली की श्रम अदालत ने दैनिक जागरण पर ठोंका दो हजार रुपये का जुर्माना

जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले से जुड़े दिलीप कुमार द्विवेदी बनाम जागरण प्रकाशन मामले में दिल्ली की कड़कड़डूमा श्रम न्यायालय ने दैनिक जागरण पर दो हजार रुपये का जुर्माना ठोंक दिया है। इस जुर्माने के बाद से जागरण प्रबंधन में हड़कंप का माहौल है। बताते हैं कि गुरुवार को दिल्ली की कड़कड़डूमा श्रम न्यायालय में दैनिक जागरण के उन 15 लोगों के मामले की सुनवाई थी जिन्होंने मजीठिया बेज बोर्ड की मांग को लेकर जागरण प्रबंधन के खिलाफ केस लगाया था। इन सभी 15 लोगों को बिना किसी जाँच के झूठे आरोप लगाकर टर्मिनेट कर दिया गया था। गुरुवार को जब न्यायालय में पुकार हुयी तो इन कर्मचारियों के वकील श्री विनोद पाण्डे ने अपनी बात बताई।

डीएलसी पाठक साहब, आखिर प्रकरण में बहस कराते क्यों हो?

डिप्टी लेबर कमिश्नर एल.पी. पाठक के कार्यालय में मजीठिया वेज बोर्ड के अनुरूप बकाया वेतन और एरियर की माँग कर रहे अनेक पत्रकारों और गैर-पत्रकार साथियों के प्रकरण इन निरन्तर सुनवाई चल रही है। केस की सुनवाई में आवेदक और अनावेदक पक्ष द्वारा जो जवाब लिखित में दिए जा रहे हैं, उन जवाबों को ही श्री पाठक अपने आदेश में शामिल कर अंतिम फैसला दे रहे हैं।

श्रम अफसरों के धमकाने के मामले से नई दुनिया प्रबंधन के होश उड़े

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से प्रकाशित प्रसिद्ध अखबार नई दुनिया में मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के अनुसार वेतन हासिल करने के लिए यहां कार्यरत सभी पत्रकार एवं गैर पत्रकार कर्मचारी लामबंद हो गए हैं। इसके लिए वे न्यायपालिका से लेकर सरकारी तंत्र के हर उस पुर्जे को आजमाने में मशगूल हैं जो उनकी इस मांग को पूरा कराने में निर्णायक सहायता कर सके। या कहें कि उन्हें मजीठिया दिलवा सके। इस जीवनदायी महान काम के लिए कर्मचारियों ने श्रम विभाग का भी दरवाजा खटखटाया है। खुशी की बात यह है कि श्रम महकमा खुलकर उनकी मदद में उतर आया है।

सहारा प्रबंधन से आए लोग सुनवाई से पहले ही श्रमायुक्त कार्यालय देहरादून को कागजात रिसीव कराकर रफूचक्कर हुए (देखें दस्तावेज)

देहरादून में राष्ट्रीय सहारा अखबार के कर्मियों ने प्रबंधन के खिलाफ मुकदमा कर रखा है। यह मुकदमा श्रमायुक्त आफिस में किया गया है। सुनवाई के दिन सहारा प्रबंधन की तरफ से कोई नहीं आ रहा है। हां, आश्वासन के कागजात जरूर सौंप जाते हैं। सहारा प्रबंधन के लोग इस बार भी सुनवाई के दौरान सहायक श्रम आयुक्त देहरादून के कार्यालय में नहीं पहुंचे। इसके पहले भी 18 अगस्त 2015 को जब वेतन संबंधी मामले की पहली सुनवाई थी तब भी प्रबंधन पक्ष के लोग तय समय तक नहीं पहुंचे थे।

मजीठिया वेज बोर्ड इंप्लीमेंटेशन रिपार्ट पर दिल्ली के श्रम मंत्री गोपाल राय नाराज, श्रम विभाग के अफसरों पर गिरेगी गाज

नई दिल्ली : सु्प्रीम कोर्ट द्वारा सभी राज्यों से मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने की मांगी गई रिपोर्ट पर दिल्ली में बवाल मच गया है। सूत्रों का कहना है कि श्रम विभाग ने अपनी मनमानी की रिपार्ट बिना मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और श्रम मंत्री को दिखाए यहां तक कि बिना बताए ही सुप्रीम कोर्ट में जमा कर दी है। इस बिना सिर-पैर और मालिकों व प्रबंधन के बयानों पर आधारित 23 पेज की रिपार्ट पर श्रम मंत्री गोपाल राय काफी नाराज बताए जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट में श्रम विभाग द्वारा अपनी तरफ से रिपोर्ट पेश कर दिए जाने की खबर से खुद श्रम मंत्री हैरान थे।

रोहन जगदाले हाजिर हों…

जिया नामक चैनल और मैग्जीन लांच करने वाले रोहन जगदाले लापता हैं. तभी तो वो मीडियाकर्मियों के बकाये को लेकर लेबर आफिस में चल रही लड़ाई में उपस्थित नहीं हो पा रहे हैं. मीडियाकर्मियों ने उदारता दिखाते हुए उन्हें खुद मेल और पत्र के जरिए सूचित किया है कि वे अगली तारीख पर नोएडा लेबर …

जो इस्तीफा दे चुका है उसे श्रम विभाग नोएडा ने पार्टी बनाकर नोटिस जारी कर दिया! (पढ़ें प्रसून शुक्ला का पत्र)

द्वारा, प्रसून शुक्ला, पूर्व एडिटर इन चीफ  एवं सीईओ, न्यूज़ एक्सप्रेस चैनल

08.06.2015

श्री शमीम अख्तर

सहायक श्रम आयुक्त

गौतमबुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश

संदर्भ :  प्रसून शुक्ला, (पूर्व सीईओ एवं एडिटर इन चीफ) को भेजे गये 06.06.15 की नोटिस का जवाब

शमीम जी,

जागरण के पत्रकार ने नोएडा के उप श्रमायुक्त की श्रम सचिव और श्रमायुक्त से की लिखित शिकायत

मजीठिया मामले में अपने को पूरी तरह से घ‍िरा पाकर दैनिक जागरण प्रबंधन इतना बौखला गया है कि अब वह हमला कराने, घूसखोरी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने पर उतर आया है। इस बात के संकेत उस जांच रिपोर्ट से मिल रहे हैं, जिसके लिए जागरण के पत्रकार श्रीकांत सिंह ने उप श्रम आयुक्त को प्रार्थना पत्र दिया था। जांच के लिए पिछले 21 फरवरी 2015 को श्रम प्रवर्तन अध‍िकारी राधे श्याम सिंह भेजे गए थे। यह अफसर इतना घूसखोर निकला कि उसने पूरी जांच रिपोर्ट ही फर्जी तथ्यों के आधार पर बना दी। उसने जांच रिपोर्ट में बतौर गवाह जिन लोगों के नाम शामिल किए हैं, उनमें से कोई भी घटना के मौके पर मौजूद नहीं था।

दैनिक भास्कर कोटा के कर्मियों की एकजुटता देख झूठ बोलने को मजबूर हुआ भास्कर प्रबंधन

दैनिक भास्कर कोटा के दर्जनों कर्मियों ने मजीठिया वेज बोर्ड के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इसकी जानकारी जब प्रबंधन को लगी तो इन कर्मियों के उत्पीड़न का दौर शुरू हो गया. कभी किसी को काम पर आने से रोका गया तो किसी को काम करते वक्त डिमोरलाइज करके अलग-थलग कर दिया गया. किसी को टर्मिनेशन नोटिस थमाया गया तो किसी को नेतागिरी करने पर भुगत लेने की धमकी दी गई. तरह-तरह की प्रताड़ना से तंग आकर भास्कर कोटा के कर्मियों ने एकजुट होकर लेबर आफिस जाने का फैसला लिया.

बंद हो चुके ‘भास्कर न्यूज’ चैनल के मालिकों-संपादकों में घमासान, लेबर डिपार्टमेंट ने आरसी जारी की

‘भास्कर न्यूज’ चैनल के शीर्षस्थ लोगों में घमासान शुरू हो चुका है. खबर है कि राहुल मित्तल ने हेमलता अग्रवाल व समीर अब्बास के खिलाफ नोएडा के किसी थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया है. उधर, हेमलता अग्रवाल और समीर अब्बास ने भी राहुल मित्तल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने हेतु थाने में तहरीर पहले से दे रखा है. सूत्रों के मुताबिक चैनल के फेल होने के बाद इसका ठीकरा एक दूसरे पर फोड़े जाने की कवायद शुरू हो गई है.

पी7 के 450 में से सिर्फ 153 कर्मियों को ही फुल एंड फाइनल पेमेंट मिलेगा

पिछले दिनों ये खबर आई थी कि आन्दोलनकारी पत्रकारों के जिद और जुनून के आगे पी7 प्रबंधन झुक गया और उन्हें नवम्बर तक की सैलरी दे दी गयी. साथ ही 15 जनवरी तक तीन महीने का कम्पनसेशन भी दे दिया जाएगा. इस खबर को सुनकर पी7 के सभी कर्मचारी/श्रमिक ख़ुशी से झूम उठे, लेकिन इनकी ख़ुशी में तब विराम लग गया जब इन्हें पता चला कि पी7 के सभी कर्मचारियों को नहीं बल्कि केवल 450 में से केवल 153 (लगभग) लोगों को ही ये सुविधा मिलेगी. इसके बाद, दूसरे ही दिन अन्य कर्मचारियों ने तत्काल बैठक बुलाई और सब एकत्रित हो कर दुबारा बड़ी संख्या में लेबर कमिश्नर के पास नयी कंप्लेन दायर कर आये.

मजीठिया की लड़ाई : श्रम विभाग अवैध कमाई का सबसे बड़ा जरिया, सीधे कोर्ट जाएं

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी मजीठिया न देना दैनिक भास्कर, जागरण के मालिकों के लिए गले का फंस बन सकता है। इन दोनों अखबारों के मालिक अपने अपने अखबारों के कारण ही खुद को देश का मसीहा समझते हैं। देश का कानून ये तोड़ मरोड़ देते हैं। प्रदेश व देश की सरकारें इनके आगे जी हजूरी करती हैं। लेकिन अब देखना होगा कि अखबार का दम इनका कब तक रक्षा कवच बना रहता है क्योंकि जनवरी में मानहानि के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। कारपोरेट को मानहानि के मामले में सिर्फ जेल होती है। अब देखना होगा कि सहाराश्री के समान क्या अग्रवाल व गुप्ता श्री का भी हाल होता है या फिर मोदी सरकार अखबार वालों को कानून से खेलने की छूट देकर चुप्पी साध लेती है। मोदी सरकार पत्रकारों को मजीठिया दिलवाने के मामले में बेहद कमजोर सरकार साबित हुई है। मालिकों को सिर्फ नोटिस दिलवाने से आगे कुछ नहीं कर पाई।

‘भास्कर न्यूज’ चैनल डूब गया, ताला लगा, इनवेस्टर तलाशने में जुटे समीर अब्बास

हेमलता अग्रवाल ने ‘भास्कर न्यूज’ नामक कथित न्यूज चैनल पर लांच होने से पहले ही ताला लगवा दिया. इनके दत्तक पुत्र राहुल मित्तल पूरा जोर लगा कर भी चैनल नहीं चला पाए. अब हेमलता का पूरा ध्यान समीर अब्बास पर है जिन्होंने नया मालदार निवेशक लाने का वादा किया है. आईबीएन7 से भास्कर न्यूज गए समीर अब्बास नए निवेशक तलाश रहे हैं. चर्चा है कि नए निवेशक को पटाने मनाने की तैयारियां जोरों पर हैं. एकाध के पटने की भी खबर है. भास्कर न्यूज अब किसी दूसरे आफिस से चलेगा ताकि पुराने लेनदार न टपक पड़ें और नए निवेशक को सब्जबाग दिखाने में आसानी हो. देनदारियों से पीछा छुड़ाने के लिए भास्कर न्यूज प्रबंधन अब अपने पुराने स्टाफ और पुराने आफिस से पीछा छुड़ाने की फिराक में है.

एक और मीडिया कंपनी ने मजीठिया वेज बोर्ड देने की लिखित घोषणा की

मुंबई से खबर है कि महाराष्ट्र के दूसरे सबसे बड़े समाचार पत्र समूह श्री अंबिका प्रिंटर्स एंड पब्लीकेशन ने श्रम आयुक्त कार्यालय के आदेश के बाद मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिश अपने यहां लागू करने की लिखित रूप से घोषणा की है. इस बाबत कंपनी ने श्रम आयुक्त को सूचना दी है.

‘पी7न्यूज’ में रमन पांडेय समेत कई वरिष्ठों की नो इंट्री, चैनल की कमान उदय सिन्हा को

जब लुटिया डूबती है तो हर कोई इसके आगोश में आ जाता है।  कुछ ऐसा हाल इन दिनों पर्ल्स ग्रुप के चैनल “पी7” का है। खिसयानी बिल्ली खम्बा नोचे वाली कहावत के तहत पी7 चैनल का मैनेजमेंट अपने कर्मचारियों के साथ बदतमीजी पर उतारू है। आउटपुट हेड रमन पांडेय समेत कई लोगों की चैनल में नो एंट्री कर दी गयी है। पीएसीएल ग्रुप सेबी के शिकंजे में जबसे फंसा है तबसे इसके मीडिया वेंचर का बुरा हाल है। चैनल की आर्थिक स्थिति कई महीनों से खराब है और लगातार बिगड़ती जा रही है।  वक्त से सैलरी न मिल पाने के कारण चैनल के साथ जी जान से काम करने वाले कर्मचारी परेशान हैं।

मजीठिया वेतन बोर्ड : भूलकर भी लेबर आफिस के चक्कर में ना पड़ें क्योंकि लेबर आफिस अंत में कोर्ट ही जाता है

मजीठिया वेतन बोर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उन सभी संस्थानों की सूची मांगी है जो मजीठिया वेतन नहीं दे रहे है। ऐसे में अब पत्रकारों का दायित्व बनता है कि अंतिम समय में और सक्रिय होकर अपने हक की लड़ाई लड़े। वास्तविक स्थिति आज भी यह है कि कई वरिष्ठ पत्रकार यह नहीं जानते कि मजीठिया वेतन बोर्ड है क्या? लड़ाई किस बात को लेकर हो रही है, वेतन तो सभी को मिल रहे है। फिर उन्हें साफ शब्दों में समझाना पड़ता है कि मजीठिया वेतन बोर्ड मतलब कम से कम 30 हजार वेतन।

पी7 न्यूज में हड़ताल, प्रसारण ठप, कई माह से सेलरी न मिलने के कारण लेबर कोर्ट गए कर्मी

 

पीएसीएल समूह की मीडिया कंपनी पर्ल मीडिया के न्यूज चैनल पी7 न्यूज से बड़ी खबर आ रही है कि यह चैनल मीडियाकर्मियों की हड़ताल के कारण बंद हो गया है. कई महीनों से सेलरी न मिलने के कारण चैनल का प्रसारण कर्मियों ने रोक दिया है. पी7 न्यूज चैनल में कार्यरत एक मीडियाकर्मी ने जानकारी दी कि पीएसीएल के चिटफंड के कारोबार पर सीबीआई, सेबी, इनकम टैक्स समेत कई विभागों के छापे व सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण बुरा असर पड़ा है.