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सियासत

नरेंद्र मोदी कांग्रेसी हो गए हैं!

Dayanand Pandey : कांग्रेस मुक्त भारत की दहाड़ लगाने वाले नरेंद्र मोदी आहिस्ता-आहिस्ता उसी रहगुज़र के आशिक हो चले दीखते हैं। आप दीजिए गांधी, नेहरू, पटेल और इंदिरा जी को भी इज़्ज़त और बख्शिए उन्हें नूर भी! इस के हक़दार हैं यह लोग। खादी-वादी , हिंदी-विंदी, अमरीका, चीन, जापान , भूटान और नेपाल भी ठीक है, बाल ठाकरे को श्रद्धांजलि दे कर शिव सेना की हवा भी निकालिए लेकिन इन गगनचुंबी बातों की बिना पर, नित नई डिप्लोमेसी की बुनियाद पर असली मुद्दों से आंख तो मत चुराइए जनाबे आली! नहीं तो जनता आंख से काजल निकाल लेना भी जानती है।

<p>Dayanand Pandey : कांग्रेस मुक्त भारत की दहाड़ लगाने वाले नरेंद्र मोदी आहिस्ता-आहिस्ता उसी रहगुज़र के आशिक हो चले दीखते हैं। आप दीजिए गांधी, नेहरू, पटेल और इंदिरा जी को भी इज़्ज़त और बख्शिए उन्हें नूर भी! इस के हक़दार हैं यह लोग। खादी-वादी , हिंदी-विंदी, अमरीका, चीन, जापान , भूटान और नेपाल भी ठीक है, बाल ठाकरे को श्रद्धांजलि दे कर शिव सेना की हवा भी निकालिए लेकिन इन गगनचुंबी बातों की बिना पर, नित नई डिप्लोमेसी की बुनियाद पर असली मुद्दों से आंख तो मत चुराइए जनाबे आली! नहीं तो जनता आंख से काजल निकाल लेना भी जानती है।</p>

Dayanand Pandey : कांग्रेस मुक्त भारत की दहाड़ लगाने वाले नरेंद्र मोदी आहिस्ता-आहिस्ता उसी रहगुज़र के आशिक हो चले दीखते हैं। आप दीजिए गांधी, नेहरू, पटेल और इंदिरा जी को भी इज़्ज़त और बख्शिए उन्हें नूर भी! इस के हक़दार हैं यह लोग। खादी-वादी , हिंदी-विंदी, अमरीका, चीन, जापान , भूटान और नेपाल भी ठीक है, बाल ठाकरे को श्रद्धांजलि दे कर शिव सेना की हवा भी निकालिए लेकिन इन गगनचुंबी बातों की बिना पर, नित नई डिप्लोमेसी की बुनियाद पर असली मुद्दों से आंख तो मत चुराइए जनाबे आली! नहीं तो जनता आंख से काजल निकाल लेना भी जानती है।

पाकिस्तान और महंगाई इस समय दोनों ही महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। लेकिन ज़मीनी स्तर पर तो वह इसका कोई हल नहीं ही निकाल पा रहे, अपनी चुनावी जन-सभाओं में नरेंद्र मोदी इन दोनों मुद्दों पर कांग्रेसी हो गए हैं। मतलब सोनिया-राहुल-मनमोहन वाली कांग्रेस ! अटल जी के भाषणों की रोशनी में कहूं तो यह अच्छी बात नहीं है ! साठ साल और साठ महीने की यह जुमलेबाजी बहुत सुकून देने वाली है नहीं। अपने राहुल बाबा भी बीते चुनावी भाषणों में यही करते थे। चीखना , चिल्लाना , यह क़ानून बनाया , वह क़ानून बनाया , परचा फाड़ा आदि-इत्यादि भी किया लेकिन मंहगाई और घोटालों आदि पर वह भी वायसलेस थे । सो सब गुड-गोबर हो गया । गोया कि चुनांचे गगन-बिहारी साबित हुए जाते हैं नरेंद्र मोदी ! होना ही है ! सलीम के लिखे डायलॉग तो अब फिल्मों में भी नहीं चल रहे । और तीर पर तुक्का हर बार लग ही जाए कोई ज़रूरी भी नहीं।

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दयानंद पांडेय के फेसबुक वॉल से.

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