समीरात्मज मिश्रा-
मोदी जी को दिखाने के लिए मोरबी में सिर्फ़ अस्पताल का ही रंग रोगन नहीं किया गया, सिर्फ़ सड़कों की ही मरम्मत नहीं की गई, वाटर कूलर ही नहीं लगाए गए, मरीज़ों की चादरें और बिस्तर ही नहीं बदले गए बल्कि घायलों के प्लास्टर भी बदल दिए गए ताकि वो नए दिखें।
और मोदी जी ने भी शायद इसीलिए गुजरात में ही रहने के बावजूद घटना के दो दिन बाद वहाँ जाना मुनासिब समझा ताकि अफ़सरों को ये सब करने का समय मिल जाए और कैमरे पर तस्वीरें अच्छी आ सकें।
सौमित्र रॉय-
मरीज़ एक, ज़ख्म अनेक।
ऐसा ही नज़ारा आपने मुन्ना भाई एमबीबीएस में देखा होगा।
वार्ड भी शायद जच्चा-बच्चा का है। फोटू देखिये।
NDTV के पत्रकार ने देखा तो पाया कि मोरबी अस्पताल के वॉटर कूलर और मरीज़ दोनों प्यासे हैं।
रिपोर्ट की तो आनन-फानन में पानी का इंतज़ाम हुआ। तब तक प्रधानमंत्री फोटू खिंचवाकर जा चुके थे।
उसके बाद मीडिया की एंट्री बंद कर दी गई।
गुजरात मॉडल की फटेहाली अब छिपी भी कहाँ है?
रवीश कुमार-
मोरबी पुल हादसे में 140 लोगों की मौत हुई है। गोदी मीडिया इसकी जवाबदेही लोगों पर ही डाल रहा है। क्या पता लोग भी मान लें कि मरने वाले अपनी गलती से मरें, पुल की ग़लती नहीं थी। प्रधानमंत्री मोदी गुजरात में होते हुए भी अस्पताल तुरंत नहीं जा सके। अब तस्वीरें आ रही हैं कि अस्पताल को सजाया जा रहा है। टाइलें लगाई जा रही हैं। रंगरोगन हो रहे हैं। वरना उस अस्पताल की जर्जर हालत की पोल खुल जाती।
अच्छी बात है कि आप सभी का बौद्धिक और राजनीतिक स्तर ऐसा हो गया है कि इसमें भी ग़लत नहीं लगेगा। झूठ की परतें खुद उतरती हैं मगर उसकी क़ीमत बहुत बड़ी हो जाती है। इतने लोगों की मौत के बाद इस तरह का तमाशा करने का भरोसा बहुत कम नेता में होता है, तभी होता है जब जनता का अस्तित्व मिट चुका होता है। यह तस्वीर ट्विटर से ली गई है।