टीम भड़ास, आपकी वेबसाइट www.Bhadas4Media.com पर ‘नभाटा में नया फरमान- डेस्क नहीं करेगा किसी रिपोर्टर की कॉपी एडिट‘ नामक शीर्षक से 27 जून 2015 को एक आर्टिकल प्रकाशित किया गया है, जिसका लिंक है- https://bhadas4media.com/print/6225-nbt-farman इस आर्टिकल में मेरे नाम का इस्तेमाल कर मुझे बदनाम करने की कोशिश की गई है। बगैर मेरी इजाजत के, बगैर मेरा कथन/पक्ष जाने मेरे नाम का इस्तेमाल यहां क्यों किया गया? आपने यहां बिना सच जाने मुझे ‘आरोपी’ करार दे दिया। किसी आपराधिक मामले से जुड़ी खबर को बनाते हुए भी प्राथमिकी में दर्ज तथ्यों के आधार पर खबर लिखी जाती है।
मेरे खिलाफ जब कोई आपराधिक मामला अथवा प्राथमिकी तक दर्ज नहीं, तो आपको मेरे नाम का इस्तेमाल करने का अधिकार किसने दिया? आप ये कैसे लिख सकते हैं- ‘मुंबई नवभारत टाइम्स ने हाल ही में रिपोर्टर्स और स्ट्रिंगर्स के खिलाफ एक नया फरमान जारी किया हैं. फरमान के मुताबिक नवभारत टाइम्स के रिपोर्टर्स और स्ट्रिंगर्स को अपनी न्यूज़ कॉपी २०० परसेंट अच्छी बनाकर देनी पड़ेगी, ताकि डेस्क को कोई भी काम न करना पड़े.’?
जबकि हमारे ऑफिस में ऐसा कोई फरमान जारी नहीं किया गया है। आप किस आधार पर न सिर्फ मुझ पर, बल्कि हमारे एडिटर और एसोसिएट एडिटर पर भी लांछन लगा रहे हैं? एनबीटी में डेस्क पर काम करने वाले अनेक लोग हैं, पर यहां जिस तरह मेरे नाम का इस्तेमाल किया गया है, वह साफ जाहिर करता है कि यहां सीधे-सीधे मुझे टारगेट किया जा रहा है। आपके इसी आर्टिकल में छपे एक वाक्य के मुताबिक- ‘एनबीटी से जुड़े लोगों के मुताबिक एनबीटी में कॉपी एडिटर के पोस्ट पर काम कर रहीं आकांशा प्रभु नामक महिला पत्रकार ने कह दिया है कि मेरे पास कोई भी न्यूज़ कॉपी फाइनल आनी चाहिए, हैडिंग से लेकर कंटेंट में एक भी गलती नहीं होनी चाहिए.’
आपने ऐसा करके मेरी छवि को अपमानित और बदनाम किया है। यदि आपने इसके लिए मुझसे सार्वजनिक तौर पर अपनी इसी वेबसाइट पर 24 घंटे के भीतर माफी नहीं मांगी, तो मैं आपके खिलाफ मानहानि और महिला उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराऊंगी। आपकी इस करनी से मुझे मानसिक आघात पहुंचा है।
आकांक्षा प्रभु
नवभारत टाइम्स
मुंबई
मूल पोस्ट…