बिना पेंशन वाली इस पीढ़ी और उनके परिवारों का भविष्य क्या होगा?

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डॉ रवींद्र राणा-

ये हैं 90 वर्ष के श्याम सिंह जी. माछरा के रहने वाले हैं. बिजली विभाग से रिटायर्ड हैं. तीस वर्ष से पेंशन ले रहे हैं. जितना वेतन मिलता था उससे कई गुना ज़्यादा पेंशन है.

ज़िंदगी में तमाम झंझावत झेले पर नौकरी और पेंशन ताक़त बन गई. छह बेटियों के हाथ पीले किए. पोते पोतियों और नातियों को पेंशन से ही खूब गिफ्ट देते हैं. खेती की ज़मीन नहीं है. कहते हैं पेंशन न होती तो क्या होता.

एक तथ्य ये भी है कि बीते एक दशक में देश में सरकारी नौकरियों में 22 फ़ीसदी की कमी आई है. पेंशन ख़त्म हो चुकी है. इस देश में श्याम सिंह जी जैसी सामाजिक पृष्ठभूमि वाले करोड़ों लोग हैं. सोचिए नई पीढ़ी कहाँ जाएगी.

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