लखनऊ। अभी शाहजहांपुर के पत्रकार जागेन्द्र को जलाकर मारने की घटना ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि बाराबंकी में अमर उजाला अखबार के पत्रकार संतोष त्रिवेदी की मां से थाने के भीतर बलात्कार की कोशिश की गई और कामयाबी नहीं मिली तो उहें पेट्रोल डालकर जला दिया गया। गंभीर हालत में लखनऊ में जिंदगी और मौत से जूझ रही हैं। वह थाने में अपने पति को छुड़ाने के लिए गयी थी जिन्हें पूछताछ के नाम पर पुलिस ने बेवजह बैठा रखा था। छोडऩे के एवज में पहले उनसे एक लाख रुपये मांगे गये और फिर थानाध्यक्ष के कमरे में ले जाकर उनसे बलात्कार की कोशिश की गयी।
बाराबंकी जनपद के कोठी थाने में रेप में नाकाम होने पर दारोगा और एसआई ने पीड़ित महिला के ऊपर पेट्रोल डालकर जला दिया, जिससे महिला गम्भीर रूप से झुलस गई। महिला को उपचार के लिये जिला अस्पताल बाराबंकी में भर्ती कराया गया लेकिन हालत गम्भीर होने पर चिकित्सकों ने महिला को ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया। जहां वह जिन्दगी और मौत से जंग लड़ रही है। इस मामले में एसपी बाराबंकी ने थानाध्यक्ष कोठी और एसआई को सस्पेंड कर दिया है।
बाराबंकी जनपद के कोठी थाने पर सोमवार की सुबह पीड़ित महिला नीतू शर्मा अपने पति को छुड़ाने के लिये गई थी। नीतू का आरोप है कि एसओ राय सिंह यादव और एसआई अखिलेश ने उसे कमरे में बुलाया और रेप करने की कोशिश की। विरोध करने पर उस पर पेट्रोल उड़ेल दिया और आग लगा दी, जिससे वह गम्भीर रूप से जल गई। एसओ का कहना है कि चार जुलाई को थाना क्षेत्र में गंगा प्रसाद को गोली मारी गई थी, जिसमें नीतू का भाई नन्दू भी नामजद है। इस मामले में नीतू के पति को पुलिस पूछताछ के लिये थाने लाई थी, जहां नीतू छोड़ने का दबाव बना रही थी। पूछताछ के बाद ही छोड़ने की बात कही गई तो उसने मिट्टी का तेल अपने ऊपर गिराकर स्वयं को आग लगा ली।
आईपी सिंह, प्रवक्ता भाजपा : एक पत्रकार की मां को जलाने की घटना सरकार के ताबूत में आखिरी कील होगी। कोई सपने में भी नहीं सोच सकता था कि प्रदेश में कानून व्यवस्था का इतना बुरा हाल हो जायेगा कि पत्रकार की मां तक से बलात्कार की कोशिश की जायेगी और कामयाबी न मिलने पर उसे जिंदा जला दिया जायेगा।
अमिताभ ठाकुर, आईजी : यह बेहद शर्मनाक घटना है। तत्काल एफआईआर दर्ज करके दोषी पुलिसकर्मियों को जेल भेजा जाना चाहिए। हैरानी की बात है कि बेकसूर लोगों को बेवजह थाने लाया जा रहा है और उनसे अवैध वसूली की जा रही है। अगर एसएसपी भी कुछ नहीं कर पा रहे तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए
बड़े अफसरों को नहीं मतलब
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा था कि पत्रकारों के मामले बेहद संवदेनशील तरीके से देखें जाये। मगर पुलिस के बड़े अफसरों को इससे कोई मतलब नहीं है। बाराबंकी में अमर उजाला अखबार के पत्रकार की मां को खुलेआम जला दिया गया। जब डिटेल जानने के लिए डीजीपी, एडीजी कानून व्यवस्था के मोबाइल और लैंड लाइन नम्बरों पर कई बार कॉल की गई और बताया गया कि बाराबंकी में पत्रकार की मां जला दी गयी है, इस पर अपना पक्ष दीजिए। पुलिस का पक्ष जानने की बात कहने पर उधर से कहा गया कि अपना नम्बर दे दीजिये, साहब व्यस्त हैं। नम्बर देने के दो घंटे बाद भी किसी भी अफसर ने फोन करने की जहमत नहीं उठाई। बाराबंकी के एसपी अब्दुल हमीद अपने कारनामों से वैसे भी चर्चा में रहते हैं। बाराबंकी के दर्जनों मामले सामने आये हैं जहां अवैध हिरासत में लोगों को रखकर उनसे अवैध वसूली की गयी और शिकायत करने पर उन्हें गलत मुकदमों में जेल भेज दिया गया। बीते सप्ताह ही दारोगा यशवंत सिंह ने एक बेकसूर प्रभाकर शर्मा को जेल भेज दिया। सीओ ने कहा कि यशवंत सिंह यादव है हम कुछ नहीं कर सकते। एसपी अब्दुल हमीद को भी बताया गया मगर कुछ नहीं हुआ प्रभाकर का दोष था कि उसने पुलिस की अवैध वसूली की शिकायत मानव अधिकार आयोग से कर दी थी।
लखनऊ के सांध्य दैनिक ‘4पीएम’ में प्रकाशित खबर. ‘4पीएम’ अखबार के संपादक वरिष्ठ पत्रकार संजय शर्मा हैं.