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जबरन वसूली करने वाले ऐसे पत्रकार नेताओं से रहें सावधान

चेन्नई : एक कथित पत्रकार वी. अंबलगन, जो चेन्नई पत्रकार यूनियन (सीयूजे) के अध्यक्ष होने का दावा करता है, को गिरफ्तार कर कोयंबटूर जेल   २६ अप्रैल २०१७ के दिन भेज दिया गया है। उस पर आईपीसी के विभिन्न धाराओ के तहत इलज़ाम लगाया गया है। अंबलगन पर आरोप है कि वह अपनी पत्रिका “उल्लाच्चि अल्सल” में कुछ झूठे कई उन लोगों के खिलाफ प्रकाशित कर चुका हैं, क्योंकि उन लोगों ने उसकी पैसे की मांगों को पूरा नहीं किया। तमिलनाडु के श्रम आयुक्त ने चेन्नई यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स का पंजीकरण रद्द कर दिया है।

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चेन्नई : एक कथित पत्रकार वी. अंबलगन, जो चेन्नई पत्रकार यूनियन (सीयूजे) के अध्यक्ष होने का दावा करता है, को गिरफ्तार कर कोयंबटूर जेल   २६ अप्रैल २०१७ के दिन भेज दिया गया है। उस पर आईपीसी के विभिन्न धाराओ के तहत इलज़ाम लगाया गया है। अंबलगन पर आरोप है कि वह अपनी पत्रिका “उल्लाच्चि अल्सल” में कुछ झूठे कई उन लोगों के खिलाफ प्रकाशित कर चुका हैं, क्योंकि उन लोगों ने उसकी पैसे की मांगों को पूरा नहीं किया। तमिलनाडु के श्रम आयुक्त ने चेन्नई यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स का पंजीकरण रद्द कर दिया है।

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स्थानीय तमिल अखबारों और न्यू इंडियन एक्सप्रेस अंग्रेज़ी दैनिक ने अंबलगन की गिरफ्तारी की खबरों को प्रसारित किया था। चेन्नई की पुलिस ने कहा कि वह अंबलगन के सहयोगी के. असदुल्लाह की तलाश में है, जो आईएफडब्ल्यूजे के सचिव (दक्षिण) होने का दावा करता है. तमिलनाडु के वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन के अध्यक्ष, श्री एजेबी सगयराज ने कहा कि आई.एफ.डब्लू.जे की केवल एक ही राज्य इकाई है और यह डब्ल्यूजेयूटी है। श्री सगयराज ने यह भी कहा कि अंबलगन और असदुल्लाह ने 25 और 26 मार्च 2017 को चेन्नई में आईएफडब्ल्यूजे का एक फर्जी सम्मेलन आयोजित किया था, जहां दिल्ली के वकील परमानंद पांडे उपस्थित थे। सम्मेलन एम. नटराजन द्वारा खर्च रकम से आयोजित हुआ था | नटराजन पत्नी वी.के. शशिकला बेंगलूर सेंट्रल जेल में हैं| सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों पर उसे जयललिता के साथ २४ फरवरी को दोषी ठहराया था। इस नटराजन, जिन्होंने जनसंपर्क अधिकारी के रूप में अपना करियर शुरू किया, ने इस फर्जी सम्मेलन का स्वयं उद्घाटन भी किया। तमिलनाडु, केरल, पांडिचेरी और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों सम्मेलन को संबोधित करेंगे, यह बताते हुए उनके विशाल पोस्टर व्यापक रूप से चेन्नई में प्रदर्शित हुए थे। उनमें से कोई भी नहीं आया।

एक तमिल पत्रकार ने टिप्पणी की है कि यह एम. नटराजन एआईडीएमके नेताओं से खुद को बचाने के लिए इस कथित पत्रकार सम्मेलन का इस्तेमाल करना चाहते थे| इन्ही लोगो ने उनकी पत्नी शशिकला को पार्टी सेक्रेटरी जनरल पद से हटा दिया था। श्री सगयराज ने कहा कि उन्होंने अंबलगन की रिहाई की मांग करने के लिए पिछले हफ्ते चेन्नई प्रेस क्लब की बैठक में हिस्सा लिया था। लेकिन उन्होंने वहां स्पष्ट किया कि आईएफडब्ल्यूजे और उसकी राज्य इकाई (डब्लूजेयूटीएन) अंबलगन का समर्थन नहीं कर सकती क्योंकि उन्हें पता है कि वह “ब्लैकमेलर और जबरन वसूली करता है| चेन्नई मीडिया सर्कल द्वारा व्यापक रूप से तिरस्कृत किया गया था।” डब्लू.जे.यू.टी.एन. ने जल्दबाजी में बयां न देने की पत्रकारों से अपील की है। न्यायपालिका को अपना काम करना चाहिए।

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यही अंबलगन चेन्नई प्रेस क्लब के कोषाध्यक्ष भी है, जहां कई वर्षों से कोई चुनाव नहीं हुआ है। नियमानुसार हर दो वर्ष में चुनाव होना चाहिए, मगर १९९१ के बाद से हुआ ही नहीं| अंबलगन का कब्ज़ा है| न्यायमूर्ति एम.एम. सुन्दरेश ने याचिका संख्या ४७६५, २०१५ तथा सीए संख्या १९० और १५०/- (२०१६) पर निर्णय दिया कि रिटायर्ड न्यायमूर्ति के. चंद्रू को चुनाव अधिकारी नामित किया गया है जो दिसम्बर तक नया निर्वाचन करा देंगे| लेकिन अंबलगन ने चुनावी प्रक्रिया में बाधा डाली। डब्लू जे टी यू सहित सभी मीडिया संगठनो ने भ्रष्ट और नकली पत्रकारों के चंगुल से “चेन्नई प्रेस क्लब को आजाद” कराने के लिए “विरोध प्रदर्शन” किया है।

इस अंबलगन ने 25 मार्च को चेन्नई में एक नकली संगठन के फर्जी सम्मेलन का आयोजन किया था जिसमें एक जाली पत्रकार के. असदुल्लाह और दिल्ली के वकील परमानंद पांडे शामिल थे। प्रतिनिधियों के पंजीकरण फॉर्म के अनुसार केवल सात राज्यों में कुल 57 शामिल लोग थे। लेकिन पांडे ने 500 का दावा किया था। उनमें से कई जमानत पर जेल से मुक्त हुए लोग हैं। जैसे बिहार के एस. एन. श्याम, जो स्काउट्स तथा गाइड के फंड की हेराफेरी करने के लिए पटना में जेल में बंद थे| तीन महीने के बाद, श्याम को जमानत दी गई, लेकिन वह अपराधिक  मुक़दमे का सामना कर रहे हैं। वकील परमानंद पांडे को रायपुर (छत्तीसगढ़) में जालसाजी और धोखाधड़ी के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष अरविंद अवस्थी ने पांडे के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया है। भारतीय बार कौंसिल ने दिल्ली बार कौंसिल को निर्दिष्ट किया है कि वह जांच करे कि पांडे पेशेवर वकील हैं अथवा श्रमजीवी पत्रकार, क्योंकि पांडे दोनों पर दावा करते हैं| कानूनन यह अपराध है| केरल के मार्क्सवादी मुख्यमंत्री श्री पिनरायी विजयन ने डीजी पुलिस को निर्देश दिया है कि पुलिस पांडे-अंबलगन की जोड़ी के खिलाफ झूठे कथनों के आरोपों की जांच करे कि “केरल के मुख्यमंत्री (नकली) “आईएफडब्ल्यूजे सम्मेलन को संबोधित करेंगे।” (केरल सरकार के आदेश देखें नीचे) प्रतिनिधियों में थे उड़ीसा के एक विभूति भूषण कार जो प्रदेश यूनियन के स्वयंनियुक्त अध्यक्ष बने है, इन्हें परमानंद पांडे ने एक बार अपने परिपत्र में बिल्डर माफिया के रूप में नामित किया था, जो एक होटल व्यापारी है और जो भुवनेश्वर में यूनियन भवन पर कब्जा करना चाहता है ताकि उसे पांच सितारा होटल में बदल दिया जाए। पैसा बनाएं। यही मिस्टर कार अब पांडे का साझेदार है| तमिलनाडु में वी. पांडियन तथाकथित सम्मेलन के आयोजकों में से एक था। इस पांडियन को कुछ सरकारी कर्मचारियों को धोखा देने के लिए हिरासत में रखा गया था। लेकिन इन नकली व्यक्तियों के शीर्ष पर लखनऊ के एक हेमंत तिवारी हैं जिन्हें माननीय उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने “हजरतगंज (लखनऊ) पुलिस के गॉडफादर” के रूप में वर्णित किया था। न्यायमूर्ति सैयाद्जुमा सिदिकी की पीठ ने याचिका स. ४४४३ (२०१२) में यह टिपण्णी ५ जुलाई २०१२ को की थी|

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आईएफडब्ल्यू.जे. पत्रकारों के रूप में प्रतिरूपित ऐसे अवांछनीय व्यक्तियों से सावधान रहने के लिए पूरे देश में मीडिया व्यक्तियों को डब्लूजेयूटी अपील करता है।

संतोष चतुर्वेदी
सचिव
आईएफडब्ल्यूजे
[email protected]

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