राजीव शर्मा-
अख़बार सिर्फ़ ख़बरों का पुलिंदा नहीं होता कि देश-दुनिया में जो कुछ हो रहा है, उसे लिखकर पाठक के सामने फैला दिया जाए। यह इससे कहीं ज़्यादा होता है। मेरी पीढ़ी के लोग (जो नब्बे के दशक में स्कूली विद्यार्थी थे) जानते हैं कि हम अख़बार पढ़कर हिंदी सीखते थे।
अगर आज कोई बच्चा अख़बार पढ़कर हिंदी सीखेगा तो अपना ही नुक़सान कर बैठेगा। इन दिनों हिंदी अख़बार जो कुछ छाप रहे हैं, उसके आधार पर मैं किसी बच्चे को यह राय नहीं दूँगा।
आज (08.01.2023) का राजस्थान पत्रिका (जयपुर संस्करण) ही देख लीजिए। इसमें पृष्ठ सं. 16 पर छपी एक ख़बर पढ़कर हिंदी व्याकरण से भरोसा ही उठ जाएगा!
ख़बर का शीर्षक है-
‘वूमन्स ने सक्सेस की कहानी की शेयर, कहा
चैलेंज और रिस्क से भरी सपनों की उड़ान’
बतौर पाठक मुझे इस शीर्षक में अंग्रेज़ी शब्दों के ज़्यादा उपयोग को लेकर कोई आपत्ति नहीं है। मैं मानता हूँ कि पाठकों की सुविधा को देखते हुए अगर अंग्रेज़ी, उर्दू या अन्य भाषाओं के शब्द लिखने ज़रूरी हों तो ज़रूर लिखें, लेकिन जो भी लिखें, सही लिखें।
मुझे इस शीर्षक के पहले ही शब्द ‘वूमन्स’ ने चौंकाया। हमने स्कूल में यही पढ़ा था कि woman का बहुवचन women होता है। मुझे संदेह हुआ कि कहीं हमें ग़लत तो नहीं पढ़ाया गया!
इसके लिए मैंने ऑक्सफ़ोर्ड का प्रसिद्ध शब्दकोश देखा। उसमें woman का अर्थ ‘स्त्री, औरत, महिला, नारी’ बताया गया है। साथ ही बहुवचन women लिखा है।
राजस्थान पत्रिका की इस पूरी ख़बर में वर्तनी को तहस-नहस किया गया है। यहाँ आप देख सकते हैं कि इसमें ग़लतियों की कितनी भरमार है! यह सिर्फ़ एक ख़बर है, जिसे मैंने थोड़ा-सा समय दिया तो इतनी ग़लतियाँ मिल गईं। अगर इतना समय बाक़ी ख़बरों को देता तो वहाँ भी ख़ूब ग़लतियाँ मिल जातीं।
संपादक महोदय से निवेदन है कि वे वर्तनी संबंधी ग़लतियों को सुधारने के लिए ख़ास ध्यान दें।
धन्यवाद!
आपका एक पाठक
.. राजीव शर्मा ..