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सुख-दुख

राम आये तो बंदर-शबरी को यूँ साधा बाज़ार ने!

कुमार सौवीर-

अयोध्या के बंदर भी क्या करें? पहले हजारों एकड़ में अमरूद आदि फल के पेड़ थे, जिस पर वे पलते थे। अब कंक्रीट ने उसे समाप्त कर दिया, तो बंदरों ने अपनी भूख का समाधान के लिए घरों-मंदिरों में घुसपैठ शुरू कर दी।

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अयोध्या जी की इस ‘शबरी रसोई’ में चाय और टोस्ट का बिल देखकर यकीन हो गया है कि देश के गरीबों का स्तर “गारंटी” के साथ ऊपर उठ चुका है!

जाहिर है कि अब हनुमान-वंशजों की हरकत से लोग बेहाल हो गए। राम मंदिर ही नहीं, हर घर में बंदरों के खौफ है। सबने बंदरों को रोकने के लिए मोटी जालियां लगा दी हैं।

लेकिन कल एक बंदर इन अवरोधों को तोड़ कर सीधे राम प्रतिमा के नीचे रखे भोज्य थाली तक पहुंचा, तो बवाल हो गया।

ऐसे में बाजार के कुशल चितेरे बिजनेसमैनों ने मीडिया को साधा, और श्रीराम के चरणों मे पहुंचे बजरंगबली का घोष पूरी दुनिया में शुरू हो गया।

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त्रेता में सिर्फ बेर से जीवन व्यतीत कर रही शबरी माई भी अपना यह सुनहरा मौका क्यों छोड़तीं? बिजनेसमैनों ने शबरी माई को नफा-नुकसान समझाया, और फिर शबरी माई ने राम को अपना झूठे बेर खिलाने का धंधा त्याग दिया, और अयोध्या के टेढ़ी बाजार में उन्होंने एक चौंचक रेस्टोरेंट खोल लिया।

दो साल पहले इस इलाके में एक चाय पांच रुपये में मिलती थी, अब केवल 55 रुपये तक उचक गयी। ब्रेड का एक सादा टुकड़ा भी 60 रुपये तक बिक रहा है इस शबरी माई के चूल्हा घर में, जहां हर महिला यही विनीत गीत गाते हुए प्रतीक्षाकुल होकर आर्तनाद कर रही है:-
“मेरी झोंपड़ी में
कब आएगी
मेरे राम जी”

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