‘शीतलवाणी’ के नये अंक के लोकार्पण पर बोले कुंअर बेचैन- ‘छोटे शहरों से साहित्यिक पत्रिकाएं निकालना मुश्किल काम’

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सहारनपुर। देश के जाने माने गीतकार डॉ.कुंअर बेचैन का कहना है कि आज के दौर में साहित्यिक पत्रिकाएं निकालना बहुत मुश्किल काम हैं, और सहारनपुर जैसे छोटे शहर से और भी कठिन है, लेकिन जो लोग यह काम कर रहे हैं वह हिन्दी को समृद्ध करने में बड़ा योगदान कर रहे हैं। डॉ.बेचैन ने यह बात यहां प्रद्युमन नगर स्थित कलानिधि सभागार में डॉ.वीरेन्द्र आज़म के संपादन में सहारनपुर से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका ‘शीतलवाणी’ के नये अंक का लोकार्पण करते हुए कही।

इस अवसर पर देहरादून से आये प्रख्यात ग़ज़लकार डॉ. अश्वघोष ने कहा कि शीतलवाणी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पिछले करीब एक दशक से हिन्दी की अलख जगा रही है,आज जब नेट और मोबाइल ने साहित्य पठन पाठन को काफी सीमित कर दिया है ऐसे समय में शीतलवाणी का अभियान सराहनीय है। प्रख्यात साहित्यकार कृष्ण शलभ ने कहा कि शीतलवाणी द्वारा देश के अनेक साहित्यकारों को केंद्र में रखकर कई ऐसे विशेषांक प्रकाशित हुए हैं जो साहित्यिक दृष्टि ही नहीं शोधार्थियों के लिए शोध की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण रहे हैं। देश के चर्चित गीतकार राजेंद्र राजन ने कहा कि सहारनपुर से प्रकाशित शीतलवाणी आज देश की प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं में अपना विशेष स्थान बना चुकी है, शीतलवाणी के अनेक अंक बहुत शानदार रहे हैं। इससे पूर्व उक्त सभी साहित्यकारों ने शीतलवाणी के जुलाई अंक का लोकार्पण किया।

पत्रिका के संपादक डॉ. वीरेंद्र आजम ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि शीतलवाणी का प्रकाशन धनोपार्जन के लिए नहीं अपितु हिन्दी के नये और युवा रचनाकारों को मंच देने का प्रयास है।  उन्होंने बताया कि कवि शमशेर बहादुर व नरेश सक्सेना, नाट्य लेखक व कथाकार डॉ. लक्ष्मी नारायण लाल, भाषाविद् डॉ. द्वारिका प्रसाद सक्सेना, आलोचक कमला प्रसाद, कथाकार से रा यात्री व उदय प्रकाश तथा प्रशासक व कवि, संस्मरण  लेखक आर पी शुक्ल आदि साहित्य मनीषियों को केंद्र में रखकर उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर आधारित विशेषांक पत्रिका द्वारा निकाले गए है जिनसे उक्त साहित्यकारों के साहित्य पर शोध करने वाले शोधार्थियों को काफी मदद मिली है, और यही शीतलवाणी के प्रकाशन का उद्देश्य भी है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. आर पी सारस्वत ने किया। इस अवसर पर अनेक साहित्यकार व गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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