मृणाल पाण्डे की कथाकृति ‘हिमुली हीरामणि कथा’ का लोकार्पण

नई दिल्ली। हिमुली हीरामणि कथा की रचना युवाओं के लिए हुई है यदि इसे हज़ारी प्रसाद द्विवेदी की परंपरा को आगे ले जाने वाली कृति समझा जाता है तो यह मेरे लेखन का सम्मान है। सुप्रसिद्ध कथाकार और पत्रकार मृणाल पाण्डे ने मिरांडा हाऊस में अपनी सद्य प्रकाशित कथा कृति ‘हिमुली हीरामणि कथा’ के लोकार्पण एवं परिचर्चा के अवसर पर कहा कि यह नानी के घर और छठी के दूध के बीच की कथा है। पाण्डे ने परिहास भाव के लगातार विरल होते जाने को चिन्ताजनक बताते हुए कहा कि ऐसे दौर में मैंने बोलियों के बाल्यावस्था के साहित्य को पढ़ा और उस विरल होते परिहास भाव को इस कृति में समेटा है। उन्होंने कहा यह कहानी यथार्थ की कहानी है जिसकी भाषा दादी- नी की कहानियों वाली है।

‘शीतलवाणी’ के नये अंक के लोकार्पण पर बोले कुंअर बेचैन- ‘छोटे शहरों से साहित्यिक पत्रिकाएं निकालना मुश्किल काम’

सहारनपुर। देश के जाने माने गीतकार डॉ.कुंअर बेचैन का कहना है कि आज के दौर में साहित्यिक पत्रिकाएं निकालना बहुत मुश्किल काम हैं, और सहारनपुर जैसे छोटे शहर से और भी कठिन है, लेकिन जो लोग यह काम कर रहे हैं वह हिन्दी को समृद्ध करने में बड़ा योगदान कर रहे हैं। डॉ.बेचैन ने यह बात यहां प्रद्युमन नगर स्थित कलानिधि सभागार में डॉ.वीरेन्द्र आज़म के संपादन में सहारनपुर से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका ‘शीतलवाणी’ के नये अंक का लोकार्पण करते हुए कही।

‘बनास जन’ लोकार्पण : पत्रकारिता मनोरंजन हो गई, वर्तमान को इतिहास से परिचित कराएं

लखनऊ : वरिष्ठ हिन्दी उपन्यासकार रवींद्र वर्मा ने इप्टा लखनऊ द्वारा आयोजित साहित्य-संस्कृति की पत्रिका बनास जन के विशेषांक ‘आख्यान में अखिलेश’ के लोकार्पण समारोह में कहा कि इस अंक ने एक बड़ी जिम्मेदारी का निर्वहन किया है। लोकार्पण समारोह में ‘लमही’; के संपादक विजय राय ने कहा कि आज़ादी पूर्व की तत्कालीन पत्रकारिता पर कहा गया था, कुछ समय बाद यहां मशीन होगी। व्यक्ति भी वैसा ही होगा। खिंची हुई लकीर पर चलना रह जाएगा। आज की पत्रकारिता भिन्न नहीं है। साहित्य हड़बड़ी में लिखा जा रहा है। ई-बुक्स का दौर है। नई तकनीक है। पुराने सामाजिक मूल्य ध्वस्त हो रहे हैं। नए परिवेश स्थापित हो रहे हैं। पत्रकारिता मनोरंजन हो गयी है। 

साठ कवियों के संकलन ‘तुहिन’ और ‘गूंज’ का लोकार्पण

नई दिल्ली : हिंदी भवन में 29 कवियों की प्रतिनिधि कविताओं के संकलन ‘तुहिन’ और 33 संभावनाशील कवियों की प्रतिनिधि कविताओं के संग्रह ‘गूंज’ का लोकार्पण किया गया। लोकार्पण प्रतिभा रक्षा सम्मान समिति करनाल के अध्यक्ष नरेंद्र अरोडा, कथाकार और पाखी के संपादक प्रेम भारद्वाज, काटूर्निस्ट इरफान व वरिष्ठ कवयित्री सुमन केशरी ने किया। 

महुआ माजी, वीरेन्द्र सारंग, मलय जैन, राम कुमार सिंह के उपन्यासों का लोकार्पण

विश्व पुस्तक मेले का छठा दिन पुस्तक लोकार्पणों के नाम रहा। राजकमल प्रकाशन समूह के स्टॉल (237-56) में तीन किताबों महुआ माजी की ‘मरंग गोड़ा निलकंठ हुआ’, मलय जैन की ‘ढाक के तीन पात’  व वीरेन्द्र सारंग का उपन्यास ‘हाता रहीम’ का लोकार्पण किया गया। महुआ माजी की किताब ‘मरंग गोड़ा निलकंठ हुआ’ के लोकार्पण के अवसर पर बोलते हुए  वरिष्ठ कवि मंगलेश डबराल ने कहा कि, महुआ माजी के इस उपन्यास का पेपरबैक में आना खुशी की बात है। पेपर बैक से ही साहित्य का भविष्य है। इस उपन्यास के महत्व पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि इस उपन्यास का समाजशास्त्रीय महत्व है। वरिष्ठ पत्रकार रामशरण जोशी ने मंगलेश जी की बातों को आगे बढ़ाते हुए कहा कि, आमतौर पर आदिवासी विमर्श को सतही ढंग से देखा जा रहा था, लेकिन अब बदलाव आया है। आदिवासी समस्या लेखक समझने लगे हैं।

सरोज सिंह के पहले कविता संग्रह ‘तुम तो आकाश हो’ का लोकार्पण

8 फरवरी 2015 को इंदिरापुरम, ग़ाज़ियाबाद में Saroj Singh की काव्यकृति ‘तुम तो आकाश हो’ का विमोचन हुआ। इस किताब का लोकार्पण हिंदी की मूर्धन्य कथाकार मैत्रेयी पुष्पा, दुनिया इन दिनों के प्रधान संपादक सुधीर सक्सेना, कवि सिद्धेश्वर सिंह, संस्कृत की प्राध्यापिका हीरावती सिंह तथा लेखक और साइक्लिस्ट राकेश कुमार सिंह ने किया।

रवीश की किताब ‘इश्क़ में शहर होना’ का हुआ लोकार्पण

जयपुर साहित्य महोत्सव में लप्रेक-फ़ेसबुक श्रृंखला की पहली पुस्तक इश्क में शहर होना का लोकार्पण अनूठे अंदाज में संपन्न हुआ। चारबाग मंडप में आयोजित ‘कहानी की नई करवट’ सत्र में इस पुस्तक का लोकार्पण जयपुर के युवा विद्यार्थियों ने किया। इस सत्र में लप्रेककार रवीश कुमार से कथाकार अनु सिंह चौधरी ने बातचीत की। रवीश कुमार ने अपनी किताब ‘इश्क़ में शहर होना’ से कई लघु कथाओं का पाठ किया।

इला कुमार के पांचवें काव्य-संग्रह के लोकार्पण में संचालक महोदय खुद पच्चीस मिनट तक बोले

दिल्ली : वरिष्ठ कवयित्री इला कुमार के पाँचवें काव्य-संग्रह  “आज पूरे शहर पर” का लोकार्पण पिछले दिनों हिन्दी भवन / दिल्ली में किया गया.  कला सम्पदा एवं वैचारिकी की ओर से हिंदी भवन / दिल्ली में आयोजित लोकार्पण कार्यक्रम में एक विचारगोष्ठी की शुरुआत करते हुए विजयशंकर ने इला कुमार की काव्य –पुस्तकों (ठहरा हुआ एहसास, जिद मछली की, किन्हीं रात्रियों में, कार्तिक का पहला गुलाब) एवं उपन्यास तथा अनुवाद (रिल्के और लाओ त्ज़ु) के साथ-साथ उपनिषद कथाओं और हिन्दुत्व से सम्बंधित पुस्तकों का रचनाकार बताते हुए उनके महत्वपूर्ण साहित्यिक अवदान की चर्चा की.

त्रैमासिक पत्रिका ‘लीलटांस’ का लोकार्पण

चूरू । प्रयास संस्थान, चूरू की ओर से शुरू की गई त्रौमासिक राजस्थानी साहित्यिक पत्रिका ‘लीलटांस‘ के प्रवेशांक का लोकार्पण रविवार शाम जिला मुख्यालय स्थित सूचना केन्द्र में किया गया।  मुख्य अतिथि साहित्य अकादेमी नई दिल्ली में राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक प्रो. अर्जुन देव चारण ने पत्रिका के लोकार्पण के बाद संबोधित करते हुए कहा कि ‘लीलटांस’ पत्रिका से उनकी यह अपेक्षा है कि वह पक्षी की तरह समग्र व विहंगम दृष्टि की वाहक और समाज व साहित्य में नए मूल्यों की स्थापना का माध्यम बने।

महेंद्र दवेसर ‘दीपक’ के कहानी संग्रह ‘पुष्प-दहन’ का लोकार्पण

श्रीमती संगीता बहादुर के कर-कमलों द्वारा लंदन के नेहरू सेंटर में महेंद्र दवेसर ‘दीपक’ के चौथे कहानी-संग्रह ‘पुष्प- दहन’ का लोकार्पण संपन्न हुआ. कार्यक्रम के संचालक थे बीबीसी के हिंदी यूनिट के पूर्व अध्यक्ष एवं घोषक और कथा (यू.के.) के वर्तमान अध्यक्ष सर्वप्रसिद्ध साहित्यकार, श्री कैलाश बुधवार. कार्यक्रम में शामिल थीं दो विश्वविख्यात साहित्यकार, डॉक्टर कविता वाचक्नवी (कहानीकार, कवियत्री, शोधक, समीक्षक और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की परीक्षक) और श्रीमती दिव्या माथुर (कहानीकार, कवियत्री, वातायन की संस्थापक-अध्यक्ष और नेहरू सेंटर की पूर्व सीनियर प्रोग्रामर). इस अवसर पर उपस्थित थे अन्य प्रसिद्ध साहित्यकार – डॉक्टर श्याम मनोहर पाण्डे, श्रीमती उषाराजे सक्सेना, श्रीमती तोषी अमृता तथा श्रीमती शन्नो अग्रवाल.

आईआईएमसी से निकलते ही होनहार पत्रकार हिमांशु ने ‘सही’ समय पर ‘सही’ कदम उठा लिया!

Abhishek Srivastava : स्‍वागत कीजिए Indian Institute Of Mass Communication(IIMC) से निकले इस होनहार पत्रकार Himanshu Shekhar का, जिसने ‘सही’ समय पर ‘सही’ कदम उठाते हुए पूरे साहस के साथ ऐसा काम कर दिखाया है जो अपनी शर्म-लिहाज के कारण ही सही, बड़े-बड़े पुरोधा नहीं कर पा रहे। मैं हमेशा से कहता था कि संस्‍थान में पत्रकारिता के अलावा बाकी सब पढ़ाया जाता है। बस देखते रहिए, और कौन-कौन हिंदू राष्‍ट्र की चौखट पर गिरता है।