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सुप्रीम कोर्ट ने मीडियाकर्मियों को दिया गलती सुधारने का एक विशेष मौका

दबाव, जबर्दस्‍ती, अज्ञानता, भय, मजबूरी या कंफर्ट जोन में रहने की आदत। जो भी कहें, दैनिक जागरण के कर्मचारियों ने एक गलती तो कर ही दी है कि 20-जे के तहत कंपनी को सुप्रीम कोर्ट में फायदा उठाने का मौका दे दिया है। अब जब लोग ताल ठोंक कर सुप्रीम कोर्ट पहुंच ही गए हैं तो अदालत ने उन्‍हें अपनी गलती सुधारने का एक विशेष मौका दे दिया है। 

<p>दबाव, जबर्दस्‍ती, अज्ञानता, भय, मजबूरी या कंफर्ट जोन में रहने की आदत। जो भी कहें, दैनिक जागरण के कर्मचारियों ने एक गलती तो कर ही दी है कि 20-जे के तहत कंपनी को सुप्रीम कोर्ट में फायदा उठाने का मौका दे दिया है। अब जब लोग ताल ठोंक कर सुप्रीम कोर्ट पहुंच ही गए हैं तो अदालत ने उन्‍हें अपनी गलती सुधारने का एक विशेष मौका दे दिया है। </p>

दबाव, जबर्दस्‍ती, अज्ञानता, भय, मजबूरी या कंफर्ट जोन में रहने की आदत। जो भी कहें, दैनिक जागरण के कर्मचारियों ने एक गलती तो कर ही दी है कि 20-जे के तहत कंपनी को सुप्रीम कोर्ट में फायदा उठाने का मौका दे दिया है। अब जब लोग ताल ठोंक कर सुप्रीम कोर्ट पहुंच ही गए हैं तो अदालत ने उन्‍हें अपनी गलती सुधारने का एक विशेष मौका दे दिया है। 

सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, राज्‍य सरकारें एक विशेष श्रम अधिकारी की नियुक्ति करेंगी, जो यह रिपोर्ट देगा कि संस्‍थान ने मजीठिया वेतनमान लागू किया है या नहीं। अब कर्मचारियों को करना यह होगा कि विशेष श्रम अधिकारी को शपथपूर्वक बताएं कि उनके साथ कंपनी ने धोखा किया है। 20-जे तभी लागू माना जाता है, जब उनका वेतन मजीठिया वेतनमान से अधिक हो। ऐसा दैनिक जागरण के कुछ गिने-चुने लोगों के ही साथ है। इसलिए अधिकांश कर्मचारी एकजुटता के साथ सादे कागज पर हस्‍ताक्षर करने की अपनी गलती सुधार सकते हैं। 

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दिखानी होगी एकजुटता 

दैनिक जागरण प्रबंधन ने कर्मचारियों की एकजुटता तोड़ने के लिए एक जेबी यूनियन बनवा दी, लेकिन समय पर उसका भंडाफोड़ हो गया। आज सुप्रीम कोर्ट में उस यूनियन के कई पदाधिकारी मिले और उन्‍होंने यूनियन से अपना कोई संबंध न होने की बात बताई और कहा, अब अनिश्चितकालीन हड़ताल होगी। उनकी बात से साफ हो गया कि दैनिक जागरण प्रबंधन किस प्रकार की कुत्सित चाल चल रहा है। अब कर्मचारियों को फिर से एकजुट करने के प्रयास किए जा रहे हैं। जिन लोगों ने कर्मचारियों को भ्रमित कर रखा था, वे आठ पास ले गए थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में नजर नहीं आए। इसलिए अब यह आवश्‍यक हो गया है कि कर्मचारी इस बात को समझें कि उनका हित कहां और कैसे हो सकता है। असली लड़ाई तो अब शुरू हुई है, मजीठिया वेतनमान लागू कराने की।

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करना क्‍या होगा

आने वाले दिनों में बैठकों के जरिये कर्मचारियों को जागरूक किया जाएगा कि किस प्रकार वे अपना मजीठिया वेतनमान निकलवा सकते हैं और सक्रियता दिखा कर सही रिपोर्ट प्रदेश सरकार तक पहुंचाने में कामयाब हो सकते हैं। इस बीच दैनिक जागरण प्रबंधन और भी कई चालें चल सकता है। उससे कर्मचारियों को सतर्क रहना होगा और मजीठिया वेतनमान लागू कराने के अभियान में शामिल होना होगा। अभियान की जानकारी समय-समय पर कर्मचारियों को दी जाती रहेगी। इसलिए जागरूक रहें, सतर्क रहें, अपडेट रहें। आपका भविष्‍य शुभ हो।

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वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत सिंह के एफबी वॉल से

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