संविधान के मौलिक अधिकारों का वजूद खतरे में, कसौटी पर नाकारा यूपी सरकार

Share the news

अभी तक तो यूपी सरकार की किरकिरी कराने वाले चाचा जान ने कल्वे जव्वाद पर हमला बंद  भी नहीं किया था कि उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री राम मूर्ति वर्मा का पत्रकार जगेंद्र सिंह हत्याकांड में नामजद होना यूपी सरकार के लिए एक चिंता का सवाल बन गया है । सरकार पत्रकार हत्याकांड में नामजद मंत्री पर कत्तई एक्शन न लेने के मूड में है । अगर नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आकड़ों पर गौर किया जाय तो प्रतिवर्ष जितने पत्रकारों के देश भर में उत्पीड़न के मामले  प्रकाश में आते हैं, उसके 72 % मामले अकेले यूपी के होते हैं, जो राज्य के वजीर ए आलम अखिलेश के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करते हैं। क्या अखिलेश के अंदर शासन व सत्ता को सुचारु रूप से चल़ाने का म़ाद्दा खत्म हो चुका है? क्या युवा शक्ति के आकलन में कोई सेंध है?

संविधान की दुहाई देने वाली यूपी सरकार अब पत्रकारों की हत्या में क्यों संवेदनहीनता दिखा रही है? क्योंकि मामला सत्ता पक्ष के मंत्री व पुलिस के हाकिमों से जुड़ा हुआ है? अगर कलमकारों पर हमलों में गिरावट नहीं आई तो समाज में फैले भ्रष्टाचार का खुलासा होना नामुमकिन हो जायेगा। इस घटना ने मानवता को शर्मसार करने के साथ ही साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कुठाराघात भी किया है। गौर किया जाय तो भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों में एक प्रेस की स्वतंत्रता भी है, जिस पर अपराध का आरा चलने लगा है। प्रेस की स्वतंत्रता पर आंच ही नहीं धधक भी आने लगी है जिससे विश्व पत्रकारिता जगत क्षुब्ध है।

 पत्रकार जगेन्द्र सिंह की जलाकर हत्या किये जाने से देशभर के पत्रकारों में जहां रोष व्याप्त है, वही प्रदेश सरकार की कुम्भकर्णी निद्रा व मंत्री शिवपाल सिंह यादव के अमर्यादित बयान की चौतरफा निंदा जारी है। जब एक सरकार का जिम्मेदार सिपहसलार यह बयान दे कि बिना जाँच नहीं हटेगा कोई मंत्री तो फिर जाँच किस बात की ? अगर अभियुक्त एक अहम ओहदे पर व्याप्त हो तो निष्पक्षता पर एक सीधा प्रहार होगा ? विगत डेढ़ वर्ष पूर्व प्रतापगढ़ के तत्कालीन सीओ हत्याकांड में नामजद अभियुक्त किये गए मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया का नाम आने पर तत्कालीन मंत्री राजा ने अपने समस्त दायित्यों से त्याग पत्र दे दिया था । देश की सर्वोच्य जाँच एजेंसी सीबीआई की जाँच का सामना किया था और सीबीआई जाँच का प्रस्ताव अखिलेश की हुकूमत ने ही केंद्र के पास भेजा था । 

आखिर क्या कारण है कि प्रदेश की सरकार पत्रकार जगेंद्र सिंह हत्याकांड की सीबीआई जाँच की सिफारिश नहीं कर रही है ? कहीं दागदार तो नहीं है मंत्री ? लेकिन सीओ की हत्या में सीओ ने घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिए थे लेकिन पत्रकार जगेंद्र सिंह प्रकरण में पत्रकार ने सात दिनों तक जीवन व मौत से संघर्ष करने के बाद प्राणों को त्याग दिया । एफआईआर पर गौर किया जाय तो सरकार के दबाव में नौकरशाहों ने तारीख पहली जून 2015 को दिए गए शिकायती पत्र को नजरअंदाज किया। पत्रकार की मौत के बाद नौ जून को दोपहर चार बजे पत्रकारों के दबाव में धारा 302, 504, 506, 120 बी आईपीसी के तहत मुकदमा पंजीकृत किया गया । 

ऐसी लचर प्रणाली से निष्पक्ष जाँच की उम्मीदें खत्म हो गई हैं । सर्वोच्य न्यायालय का सख्त आदेश है कि सात वर्ष की सजा वाले मामलों में अभियुक्त की गिरफ्तारी पुलिस कर सकती है । इस पर बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय से ऊपर है ? क्या संविधान को नाकारा मानती है अखिलेश सरकार ? बताना मुनासिब होगा कि पत्रकार हत्याकांड की चश्मदीद गवाह शालिनी का 164 सीआरपीसी का बयान गोपनीय ढंग से कराना भी सवालों के घेरे में है ? राज्य सरकार ने शालिनी के सुरक्षा के लिए दो महिला पुलिस व एक सशस्त्र पुलिस कर्मी लगाया गया है। उसकी जिंदगी भी खतरे से खाली नहीं हैं । पत्रकार के हत्यारे भी यही खाकी वर्दी के भेड़िये ही हैं ।

वही उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव उद्यम एसपी सिंह ने स्पष्ट बयान दिया है कि उत्तर प्रदेश सरकार की उदासीनता ने नौकरशाही के जमीर को झकझोरना शुरू कर दिया है । गिरफ्तारी में रोड़े की मुख्य वजह है वोट बैंक । पत्रकार बिरादरी को नसीहत देते हुए कहा है कि शोक सभा व कैंडल मार्च भर करने से काम नहीं बनने वाला। सरकार की समस्त खबरों का बहिष्कार करिए। सरकार के काले कारनामों को उजागर करने की जरुरत है । एसपी सिंह ने अफसोस जताया है कि यूपी में इस प्रकरण पर विपक्ष और प्रदेश की पूरी पत्रकार बिरादरी चुप है । अगर पत्रकार व पत्रकारिता आईएएस दुर्गा शक्ति नागपाल और अशोक खेमका जैसे निर्भीक व ईमानदार अफसरशाहों के पक्ष में खड़ी होती है तो पूरे अफसरशाहों को भी एक जुट होकर पत्रकारों के पक्ष में आगे आना चाहिए । अब देखना होगा कि सरकार का कब टूटता है तिलस्म ?

लेखक ज्ञानेंद्र तिवारी से संपर्क : 9454364181, gyanendra936@gmail.com



भड़ास का ऐसे करें भला- Donate

भड़ास वाट्सएप नंबर- 7678515849



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *