हाजीपुर। बिहार के वैशाली जिले में पत्रकारिता करनी है तो रिपोर्टर को अपने घर से पैसे लगाने होंगे। यहां पत्रकारिता का आलम ऐसा है कि प्रभारी फोन कर काम करने के लिए बुलाते है, मीठी-मीठी बाते कर ऐसा जताते है जैसे वह अखबार उनकी पुश्तैनी जायदाद है, लेकिन जब तनख्वाह मांगा जाता है तो प्रभारी के साथ-साथ एचआर, एडिटर, संपादक सहित सभी आला अधिकारीयों की बोलती बंद हो जाती है जैसे कोई सांप सूंघ गया हो।
बात हाजीपुर के दैनिक भास्कर अखबार के प्रभारी व पटना कार्यालय में कार्यरत अन्य अधिकारीयों की हो रही है। फरवरी 2017 से मई 2017 तक वहां काम करने वाले एक रिपोर्टर के साथ ऐसा ही बीता है। दैनिक भास्कर हाजीपुर के प्रभारी ने फोन कर एक रिपोर्टर को काम के लिए बुलाया, वेतन निर्धारण भी हुआ। लेकिन हर महीने के आखिर में यह कहकर टाल दिया जाता था कि बस इसी महीने सारा कागजी काम हो जाएगा और पूरा वेतन मिलेगा। रवैये से तंग आकर जब रिपोर्टर ने पटना कार्यालय में एचआर और अन्य वरीय पदाधिकारियों को अपने वेतन के लिए ईमेल किया तो किसी ने कोई जवाब नहीं दिया, साथ ही जल्द काम करने की बात कहकर अखबार के व्हाट्सएप्प ग्रुप से हटा दिया गया। काफी इंतजार के बाद अब रिपोर्टर ने इस मामले को प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया, सीएमओ बिहार, पीएमओ और राष्ट्रपति तक ले जाने की ठानी है।
ये है रिपोर्टर का पत्र…
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Sent: Monday, July 10, 2017 9:42 AM
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Subject: चार महीने के वेतन भुगतान के संबंध में
सर,
मैं चंद्र प्रकाश, दैनिक भास्कर हाजीपुर कार्यालय में फरवरी 2017 से मई 2017 तक रिपोर्टर के तौर पर कार्यरत था। चार महीने में मैं प्रतिदिन क्राइम, रेलवे, कई स्टोरी के साथ जिस बीट पर रिपोर्टिंग करने के लिए कहा गया, बेहिचक मैंने किया। इस दौरान कई बार कहे जाने के बाबजूद मेरा एग्रीमेंट और वेतन का भुगतान नहीं कराया गया।
मैंने मई 2016 से जनवरी 2017 तक प्रभात खबर हाजीपुर के लिए काम किया। 7 फरवरी 2017 की दोपहर दैनिक भास्कर हाजीपुर कार्यालय से मेरे पास फोन आया। मुझे मिलने के लिए शाम को कार्यालय बुलाया गया। उसी दिन शाम को कार्यालय के ब्यूरो से आमने-सामने मेरी बात हुई। उन्होंने मुझे हाजीपुर भास्कर अखबार ज्वाइन करने के बारे में कहा। उन्होंने बताया कि मेरा एग्रीमेंट 10 फरवरी को करा दिया जाएगा और मुझे प्रभात खबर में मिलने वाली तनख्वाह से डेढ़ हजार रुपए बढ़ाकर दिया जाएगा। मुझसे मेरा बायोडाटा, पैन और बैंक एकाउंट डिटेल देने के लिए कहा गया। जिसे देने के बाद 9 फरवरी से मैं वहां काम करने लगा।
– 10 फरवरी को मुझे बताया गया कि आपका एग्रीमेंट अगले हफ्ते करा दिया जाएगा।
– हफ्ते-दस दिन बीतने के बाद फिर कहा गया कि मार्च के पहले हफ्ते में मेरा एग्रीमेंट करा दिया जाएगा।
– मार्च पहला हफ्ता बीतने के बात बताया गया कि कुछ दिनों में एग्रीमेंट करा दिया जाएगा।
– मार्च आखरी हफ्ते में मुझे बताया गया कि अप्रैल फर्स्ट वीक में आपका काम करा दिया जाएगा।
– अप्रैल के दुसरे हफ्ते में फिर वही बात, इस महीने पक्का हो जाएगा।
अप्रैल आखरी हफ्ते में मैंने कहा मेरा पेपर वर्क जल्दी हो जाना चाहिए। इसके बाद मुझसे दुबारा मेरा सारे पेपर बायोडाटा, पैन और बैंक एकाउंट डिटेल मांगा गया। सारे पेपर मैंने दुबारा जमा कर दिया और मुझे बताया गया आपका काम हो जाएगा, मैं खुद जमा कर दूंगा। मई महीने के तीसरे हफ्ते में मैंने एक बार फिर अपने एग्रीमेंट और पेपर के बारे में टोका, मुझे बताया गया कि पेपर जमा करा दिया गया है। इस महीने (मई 2017) सारे बकाए के साथ तनख्वाह मिल जाएगी। इसके बाद रवैए से मुझे लगा कि यह टाल-मटोल किया जा रहा है। मैंने 30 मई को व्हात्सप्प पर मेसेज किया और सारी बाते समझ में आ गई। इसके बाद खानापूर्ति के लिए मुझे 1 जून को पटना कार्यालय भेजा गया, जहां न तो कोई एग्रीमेंट हुआ और न ही कोई पेपर वर्क।
सर, मैंने कुछ डिटेल्स अटैच किए है। और भी कुछ जानकारियां जरुरत हो तो मैं दे सकता हूं। पूरे एक और महीने इंतजार करने के बाद मैं आपलोगों से अनुरोध कर रहा हूं, इस बीच भी मुझे उम्मित थी कि मेरा काम कराया जा रहा होगा। आपसे उम्मीद है मेरे चार महीने के मेहनताने का भुगतान जल्द करा दिया जाएगा।
Thanks & Regards,
Chandra Prakash
Hajipur
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