लखनऊ। हिंदी दैनिक लोकमत अपने लखनऊ संस्करण के 5वें स्थापना दिवस पर प्रत्येक वर्ष की भाँति इस वर्ष भी “लोकमत सम्मान” का आयोजन आगामी 10 जून लखनऊ में करने जा रहा है। समाज के 15 क्षेत्रों में दिया जाने वाला “लोकमत सम्मान” ऐसे लोगों को सम्मानित करने का प्रयास है जिनका सम्बंध जन्म या कर्म से, उत्तर प्रदेश से है और जो अपने कार्यक्षेत्र में तृणमूल स्तर पर कार्य कर रहे हैं तथा जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से जनता को लाभान्वित किया है। यह श्रेणियाँ हैं- शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, दिव्यांग, हस्तशिल्प, कला एवं संस्कृति, क्रीड़ा, कृषि, महिला, व्यवसाय, साहित्य, प्रशासन, क़ानून, जनसंचार और सार्वजनिक जीवन। इसके अलावा दो ऐसे लोगों को ज्यूरी अवॉर्ड से सम्मानित किया जाता है जिन्होंने अपनी कला और कल्पनाशीलता से कुछ नया करने में सफलता पायी है।
लोकमत सम्मान की असाधारण चयन प्रक्रिया इसको अन्य पुरस्कारों व सम्मानों से अलग बनाती है। इसके लिए क़रीब छः महीने की कड़ी मेहनत से उत्तर प्रदेश के साथ-साथ अन्य प्रदेशों से नामांकन एकत्र किए जाते हैं। हर श्रेणी में प्राप्त नामांकनों को उस क्षेत्र के चुनिंदा महारथियों की स्क्रीनिंग कमेटी के सामने रखा जाता है जिनमें से वह 5-5 नामों को छाँटते हैं। अंत में राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त शख़्सियतों की एक ज्यूरी द्वारा प्रत्येक श्रेणी में एक नाम का चयन किया जाता है। लोकमत सम्मान 2017 का आयोजन प्रति वर्ष की भाँति 10 जून 2017 को संगीत नाटक अकादमी, गोमती नगर, लखनऊ में किया जा रहा है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मौजूद रहेंगे।
इस वर्ष ज्यूरी में पद्मश्री मुज़फ़्फ़र अली (फ़िल्म निर्माता), पद्मश्री डॉ॰ मंसूर हसन (विश्वविख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ, पद्म श्री परवीन तलहा (पूर्व महानिदेशक, उत्पाद एवं सीमाशुल्क), पद्मश्री मालिनी अवस्थी (लोकगायिका), सीवी सिंह (पूर्व उपाध्यक्ष, टाटा-देयवू, द॰ कोरिया) व विष्णु अग्रवाल आदि द्वारा लोकमत सम्मान से सम्मानित होने वाले व्यक्तियों या संस्थाओं का नाम चयनित किया जाएगा।
हिंदी दैनिक लोकमत देश के सबसे पुराने अख़बारों में से एक है। 1947 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों द्वारा “लोकमत” की नींव पड़ी और इसके साथ ही यह अंग्रेजों के भारत छोड़ने और आजादी के जश्न का गवाह बना। राजस्थान के बीकानेर ज़िले से आरम्भ हुए इस अखबार ने जून 2011 में लखनऊ में कदम रखा और शीघ्र ही आमजन में लोकप्रिय हो गया। सामान्यजन की आवाज़ उठाते रहना ही लोकमत की पहचान रही है और इसके लिए लोकमत को अनेक पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं। लोकमत को “आम आदमी का ख़ास अख़बार” भी कहा जाता है।