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उत्तर प्रदेश

6 दिसंबर : एक तारीख के कई फसानें

स्वदेश कुमार, लखनऊ

हिन्दुस्तान की सियासत में वैसे तो कई ‘तारीखें’ महत्वपूर्ण मानी जाती हैं, लेकिन 06 दिसंबर जैसा महत्व शायद ही किसी और तारीख को मिला होगा। 06 दिसंबर के साथ एक नहीं कई फसानें जुड़े हुए हैं। इस दिन बाबा साहब के परिनिर्वाण दिवस पर उनके अनुयायी और उनके नाम पर सियासत करने वाले राजनैतिक दल दलित वोट बैंक की चाहत में ‘ढिंढोरा’ पीटते हैं, तो 06 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने को लेकर हिन्दू पक्ष शौर्य दिवस और मुस्लिम पक्ष काला दिवस मनाने का सिलसिला पिछले साल तक जारी रखे तो इस बार भी कुछ लोग इस परम्परा का निर्वाहन करते देखे गए।

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06 दिसंबर की महत्ता और सियासत को जानते-समझते हुए आज आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड ने अयोध्या फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करके अपने इरादे साफ कर दिए हैं। इसी प्रकार आज एक नया फंसाना यह और जुड़ गया कि हैदराबाद में गैंगरेप की घटना को अंजाम देकर देश को झंझोर देने वाले चारों आरोपियों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया। बेटी को इंसाफ मिले इसके लिए राष्ट्रपति भवन की ओर निहार रही निर्भया की माॅ ने भी आरोपियों को मारे जाने पर खुशी जाहिर की

बहरहाल, भारतीय इतिहास में 6 दिसंबर के दिन कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटीं, जिसने देश ही नहीं दुनिया के इतिहास को बदल कर रख दिया था। आज ही के दिन 1732 में ईस्ट इंडिया कंपनी के पहले गर्वनर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स का जन्म हुआ था। 06 दिसंबर 1907 को भारत के स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित डकैती की पहली घटना चिंगरीपोटा रेलवे स्टेशन पर हुई थी।

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आज 6 दिसंबर की याद में जगह-जगह तमाम तरह के कार्यक्रम हो रहे हैं,जिसने यह साबित कर दिया है कि इतिहास उन्हीं लोगों को सचे मन से याद रखता है जो देश के लिए कुछ कर गुजरते हैं। इसी लिए बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर साहब के परिनिर्वाण दिवस पूरा देश उन्हें सच्चे मन से श्रद्धांजलि दे रहा है। राष्ट्रपति से लेकर उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री आदि तमाम हस्तियों ने बाबा साहब को याद किया तो उत्तर प्रदेश में तमाम राजनैतिक दलों के बीच बाबा साहब को ‘अपना बनाने’ की होड़ लगी है।

डॉ भीमराव आंबेडकर की 64वीं पुण्यतिथि परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर आज मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने उनकी प्रमिता पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि यह वर्ष बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी की स्मृति का महत्वपूर्ण वर्ष है। संविधान शिल्पी के रूप में बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी ने अपने पूरे जीवन की साधना को संविधान को समर्पित किया। जो व्यक्ति भारत के संविधान का अपमान करता है, वह अप्रत्यक्ष रूप से बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी का भी अपमान करता है। इस दौरान उनके साथ मंत्री स्‍वतंत्र देव सिं‍ह भी मौजूद रहे।

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मुख्‍यमंत्री ने कहा कि बाबा साहब ने कहा था कि अनुच्‍छेद 370 देश के अंदर विभाजनकारी तत्वों को सिर उठाने का अवसर प्रदान करेगी। जैसे भी हो इसे समाप्त करना चाहिए और उनकी बात सही साबित हुई। प्रधानमंत्री जी ने अनुच्‍छेद 370 हटाई और यही बाबा साहब को सच्ची श्रद्धांजलि है। 26 नवंबर को प्रधानमंत्री जी ने संविधान दिवस के रूप में मनाने की परंपरा आरम्भ की। इस वर्ष तो उत्तर प्रदेश विधान सभा में संविधान दिवस पर विशेष सत्र भी आहूत किया गया।

उधर, पहली बार डॉ. भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि मनाने के समाजवादी पार्टी के फैसले से डरी बहुजन समाज पार्टी ने आज व्यापक स्तर पर श्रद्धाजंलि कार्यक्रम आयोजित किए। सेक्टर स्तर पर होने वाले कार्यक्रमों में पार्टी कार्यकर्ताओं की अच्छी खासी भीड़ दिखी। बसपा सुप्रीमों मायावती सहित सभी बसपाइयों ने बाबा साहब की नीतियों व सिद्धांतों का प्रचार प्रसार करने का बीड़ा उठाया।

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सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने निर्देश पर आज सभी जिलों के सपाइयों ने भारत के संविधान निर्माता व दलितों के मसीहा डॉ.आंबडेकर का परिनिर्वाण दिवस मनाया। इस मौके पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करने के साथ ही समाज निर्माण में उनकी भूमिका और आदर्शों पर चर्चा की गई। बाबा साहब को अपना बनाने के लिए समाजवादी पार्टी के अधिकृत होर्डिग्स में भी बदलाव किया है। डॉ. राममनोहर लोहिया के साथ में बाबा साहेब के चित्र सभी होर्डिंग्स व अन्य प्रचार माध्यमों पर लगाने को भी कहा गया है। बसपा से सपा में शामिल हुए एक पूर्व विधायक का कहना है कि बसपा से गठबंधन भले ही टूट गया हो परंतु दलितों में सपा को लेकर आक्रोश कम हुआ है। ऐसे में बसपा से नाराज दलितों का एक खेमा समाजवादी पार्टी की साइकिल पर सवारी करने का राजी दिखता है। इसके लिए समाजवादी पार्टी योजनाबद्ध तरीके से दलितों का भरोसा जीतने की कोशिश में लगी है।

वहीं अयोध्या में विवादित ढांचा की आज 27वीं बरसी को लेकर रामनगरी के साथ उत्तर प्रदेश में हाई अलर्ट है। अयोध्या में रामलला का मंदिर बनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह पहली बरसी है। इसको लेकर अयोध्या में सुरक्षा व्यवस्था काफी चैकस है।

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फैसले के बाद ही अयोध्या में 15 दिसंबर तक धारा 144 लागू है, आज इसमें और सख्ती की गई है। केंद्रीय बल के जवानों के साथ स्थानीय पुलिस भी यहां पर हर गतिविधि पर नजर रखे है। इसके साथ ही लखनऊ, वाराणसी व मथुरा में भी सुरक्षा एजेंसियां काफी सतर्क हैं। अयोध्या प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से शहर की सड़कों पर रूट मार्च किया। राम जन्मभूमि जाने वाले सभी मार्गों पर बैरिकेडिंग लगा दी गई है।

दूसरी ओर आज अयोध्या विवाद में हिंदू महासभा ने भी ऐलान किया है कि वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी। हिंदू महासभा मुस्लिम पक्षकारों को पांच एकड़ जमीन दिए जाने के खिलाफ ये याचिका दाखिल करेगी। हिंदू पक्षकारों पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को लेकर विचार करने को कहेगी।

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अभी तक अयोध्या विवाद से दूर रही पीस पार्टी ने भी अयोध्या विवाद को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। इसमें पीस पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ के नौ नवंबर के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है। पीस पार्टी ने अपनी याचिका में कहा है कि वर्ष 1949 तक विवादित स्थल पर मुस्लिमों का अधिकार था। 1949 तक सेंटल डोम के नीचे नमाज अदा की गई थी और कोई भी भगवान की मूर्ति डोम के नीचे तब तक नहीं थी। पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट में भी इस बात के साक्ष्य (सबूत) नहीं है कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई। 1885 में बाहरी अहाते में राम चबूतरे पर हिंदू पूजा करते थे आंतरिक हिस्सा मुसलमानों के पास था।

स्वदेश कुमार लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार हैं.

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