Nadim Akhter : टीवी और युद्ध : कल तक जो महिला एंकर टीभी कैमरों के सामने प्लांटेड भीड़ जुटाकर पूछ रही थी कि – मंदिर कब बनेगा?? आज वही एंकर एक नए चैनल में (नौकरी बदलकर) वैसी ही प्लांटेड भीड़ जुटाकर पूछ रही है – पुलवामा के बाद देश क्या चाहता है?? ज़ाहिर है सिखाई-पढ़ाई भीड़ युद्धोन्माद में चीखती है कि बदला लेना चाहते हैं हम!!
ये हमारे देश के टीभी चैनल हैं जो public consent manufacture कर रहे हैं कि पाकिस्तान से युद्ध होना चाहिए। दशकों पहले नोम चोम्स्की ने अपनी प्रसिद्ध किताब – MANUFACTURING CONSENT में यही लिखा था कि किस तरह मीडिया राजनेताओं और कॉरपोरेट्स के हाथ का खिलौना बनकर वो खबरें गढ़ता है जो असल में होती ही नहीं। वह राजनेताओं और कॉरपोरेट्स की स्वार्थ सिद्धि के लिए वही खबर छापता और दिखाता है, जिससे उनके आकाओं को फायदा हो। यानी मीडिया कृत्रिम रूप से जनता के बीच एक राय बनाता है, जिसका फायदा उठाकर नेता अपनी सत्ता सुरक्षित रखते हैं। चोम्स्की ने अमरीका के कई उदाहरण देकर अपनी बात साबित की थी और वहीं से प्रोपगंडा थ्योरी को मास कम्युनिकेशन में महत्व दिया जाने लगा।
एक उदाहरण मैं देता हूँ। इराक़ पर हमला करने के लिए और सद्दाम हुसैन को सत्ता से हटाने के लिए बुश प्रशासन ने दुनियाभर की मीडिया में ये खबर प्लांट करवाई कि इराक के पास weapons of mass destruction हैं। इस तरह अमरीकियों में ये भावना घर कर दी गयी कि इस दुनिया के अस्तित्व के लिए सद्दाम हुसैन सबसे बड़ा खतरा है। फिर उस पब्लिक राय पर सवार होकर अमरीका ने इराक पर हमला किया और बिल से निकालकर सद्दाम हुसैन को मारा। पर इराक में कोई भी रासायनिक या जौविक हथियार नहीं मिले। इराक के तेल पर अमरीका ने एक झूठी कहानी गढ़कर कब्ज़ा कर लिया। दुनिया को बाद में अपनी गलती का एहसास हुआ पर सब मौन रहे।
आज भारत में भी यही हो रहा है। पुलवामा आतंकवादी हमले को भाई लोगों ने एक इवेंट बना दिया है। टीभी चैनलों के मार्फ़त युद्ध की मांग की जा रही है। टीभी कैमरों के सामने जनता की शक्ल में उन लोगों को खड़ा किया जा रहा है, जो पहले से सीखे-सिखाये हुए हैं। कैमरा चालू होते ही वे पाकिस्तान से युद्ध की मांग करने लगते हैं और देशभक्ति के गीत गाने लगते हैं। फिर कैमरा बन्द होते ही वे चुप हो जाते हैं। ये सब कुछ राजनीतिक आकाओं के आदेश से बहुत महीन तरीके से हो रहा है। चुनाव सिर पे हैं। अब सोचिये कि -देशभक्ति की इस बयार- में किसे फायदा होने की संभावना है।
तो सुनो बे चिरकुट! तुम मुझे किसी टीवी चैनल का संपादक बना दो। तीन दिन के अंदर अपने चैनल के माध्यम से मैं देशभर में ये माहौल बना दूंगा कि सिर्फ और सिर्फ राहुल गांधी ही देश के भविष्य हैं। देशभर में ob van तैनात करके प्लांटेड भीड़ जुटाकर – जनता- से यही कहलवाऊंगा कि सिर्फ राहुल गांधी ही देश को बचा सकते हैं। आप कहेंगे तो देशभर में ये माहौल भी बना दूंगा कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ महाभियोग लाया जाना चाहिए। या फिर ये कि अबकी बार योगी आदित्यनाथ को पीएम पद का उम्मीदवार होना चाहिए। जो बोलोगे, हो जाएगा। टीभी की reach का उपयोग करके अपने दर्शकों के माध्यम से मैं देशभर में अपने सेट एजेंडे पे बहस छेड़ दूंगा। फिर मजबूरी में या देखा-देखी या फिर ऊपरी दबाव में दूसरे टीभी चैनल भी मेरे एजेंडे पे आ जाएंगे। ( इसकी एक छोटी झलक आपको प्रिंस नामक बच्चे के बोरवेल में गिर जाने की घटना से मिलेगी, जिसे सबसे पहले #zeenews ने उठाया और फिर धीरे-धीरे दूसरे टीभी चैनल भी इस खबर पे live आ गए। एक ज़मीन के नीचे सोना दबे होने की स्टोरी भी थी) इससे मेरे प्रोपेगंडा को और ताकत मिलेगी। यानी मैं अपने आकाओं के इशारे पे जनता के बीच एक राय गढूंगा और फिर ये इशारा करूंगा कि अगर सरकार ये कदम उठाती है तो इसमें कोई बुराई नहीं। देश हित में ये होना ही चाहिए। नोम चोम्स्की ने इसे ही manufacturing consent कहा है यानी मीडिया फर्जी राय गढ़कर बाज़ार में बिक जाता है।
एक बात और सुनो बे! संसद पे हमला बीजेपी राज में ही हुआ था। कंधार तक आतंकवादी छोड़ने बीजेपी के ही मंत्री गए थे। और ताजा-ताजा मोदी जी के राज में पठानकोट पे हुए आतंकवादी हमले की जांच के लिए पाकिस्तान की बदनाम खुफिया एजेंसी ISI को मोदी सरकार ने ही भारत बुलाया था। इतना ही नहीं, वाजपई जी ने पाकिस्तान से दोस्ती के लिए लाहौर बस यात्रा की थी, जिसके बाद कारगिल हुआ। इधर मोदी जी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में उसी नवाज शरीफ को बुलाया, जिस नवाज के पीएम रहते कारगिल में हमारे सैनिकों की शहादत हुई। मोदी जी इतने से ही नहीं माने। बिना दावत के अचानक अपना विमान पाकिस्तान में उतार दिया और नवाज के घर बिरयानी खाने चले गए। वही नवाज, जिसके लिए विपक्ष की नेता के रूप में सुषमा स्वराज कहती थीं कि वो हमारे सैनिकों का एक सिर काटेंगे तो हम 10 पाकिस्तानी सैनिकों के सिर लाएंगे। पर नज़ारा देखिये। सुषमा स्वराज विदेश मंत्री बन गई। मोदी जी पीएम बन गए। पर मोदी जी भारतीय सैनिकों के सिर कटवाने वाले नवाज शरीफ के साथ बिरयानी खा रहे हैं। साड़ी गिफ्ट की जा रही है। ISI को भारत आने का न्योता दिया जा रहा है कि देख लो भाई!! आतँकवादी हमला तुम्हारे ही देश ने कराया है। pleezz… ना मत बोलना !! हुआ उल्टा। ISI हमारे सैनिक बेस में घुसकर इत्मीनान से पूरी थाह लेती है और वापिस लौटकर भारत को ठेंगा दिखा देती है। कम से कम मनमोहन सिंह ने ISI को तो कभी नहीं भारत बुलाया जो आतँकवादी हमलों की खुद mastermind रही है।
बहरहाल मीडिया एजेंडे पे लग गया है। चुनाव के यज्ञ में देशभक्ति की आहुति है। सर्जिकल स्ट्राइक का प्लान है। आप देख लीजियेगा कि चुनाव से ठीक पहले एक और सर्जिकल स्ट्राइक होगी। माहौल बनेगा। देशभक्ति का ज्वार उठेगा और वोट की मशीन लहलहा उठेगी। राजनेता आशा तो यही करते हैं। एजेंडा सेट है। मन्दिर आंदोलन से यूथ भड़क रहा है, सो उसको अभी किनारे लगा दिया है। पाकिस्तान और भारत के हुक्मरानों के लिए दुश्मन का डर दिखाकर वोट लेना सबसे पसंदीदा शगल रहा है। अटल जी के वक़्त भी दोनों देश की सेनाएं महीनों आमने सामने खड़ी रहीं पर अटल जी चुनाव हार गए। मनमोहन सिंह आये तो 10 साल तक फिर ये नौबत नहीं आयी। सर्जिकल स्ट्राइक उन्होंने भी करवाई पर कभी इसका ढिंढोरा नहीं पीटा। अब बोलकर सर्जिकल स्ट्राइक किए जाएंगे। वाह!! दुनिया की खुफिया एजेंसियां सुनेंगी तो अपना सिर नोच लेंगी। पाकिस्तान, फिलिस्तीन नहीं है कि इजराइल ने बम दागा और फिलिस्तीनी रोते-बिलखते रहे। पाकिस्तान के पास एटम बम है। भारत के पास भी है। फिर अच्छा है। सर्जिकल स्ट्राइक और राष्ट्रवाद के इस माहौल में एक-एक एटम बम वाला युद्ध हो ही जाए। मुझे भी बड़ी तमन्ना है एटम बम वाला युद्ध देखने की। देख लूंगा तो गंगा नहा लूंगा। नागासाकी और हिरोशिमा के बारे में सिर्फ पढ़ा है। भारत और पाकिस्तान में ही वो दृश्य देख लिया जाए तो कितना अच्छा हो!! तो हम पाकिस्तान से बदला कब ले रहे हैं और एटम बम वाला युद्ध कब शुरू हो रहा है???!! मुझे बहुत बेसब्री से इंतज़ार है। पाकिस्तान को मज़ा तो चखाना ही होगा। दो-चार एटम बम उस पे तुरन्त गिराए जाएं। उम्मीद है कि भारत सरकार ने भारतीय वायु सेना को इस काम में लगा दिया होगा। वंदे मातरम!!
लेखक नदीम अख्तर कई चैनलों और अखबारों में वरिष्ठ पदों पर काम कर चुके हैं.